Thursday 20 July 2023

★भारत देश धर्म से चले ! न की धर्मनिरपेक्षता से !★ (१) यह एक कटु सत्य है कि कोई भी देश / समाज / परिवार धर्म से या धर्म पर चलता है तब ही हम चिर स्थाई रुप से प्रेम, शान्ति व आनंद के साथ रहते हुए सर्वांगीण विकास कर सकते है ! धर्म पर चलने पर ही राजा / शासक व प्रजा / आमजनता दोनों सुख व शान्ति पूर्वक रह सकते है ! श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि जब जब भी धर्म की हानि हुई, तो मै अवतार लेकर पृथ्वी पर आकर धर्म की पुनः स्थापना की व करेंगे ! (२) जब भी राजा ने धर्म को छोड़ा है तो उसके राज मे आम जनता दुखी हुई है और उस राजा / शासक का अन्त हुआ है ! भारत मे भी 1000 वर्ष पूर्व हमने धर्म को छोड़ा (अर्थात् आपसी प्रेम घटा / छोटे छोटे राज्यों मे बँटे / गद्दारी) की, तो हमारे ऊपर आक्रमण हुए और हम गुलाम बने ! जिससे राजा / शासक का अन्त हुआ व आमजनता भी दुखी हुआ ! इस कारण हमें धर्म पर ही चलना चाहिए ! (३) हमारा देश 1947 मे आजाद हुआ, तो उसके बाद हमने एक बड़ी गलती की है कि हमने धर्म विहीन देश की स्थापना की, जिसे हम "धर्मनिरपेक्षता" कहते है ! इसमें तत्कालीन शासको ने वोट के खातिर "एकपक्षीय धर्मनिरपेक्षता" लागू की ! जिसके कारण हिन्दू मुसलमान के बीच वैमनस्यता बढ़ी तथा जो सर्वांगीण विकास के लिए बाधक है ! (४) अब प्रश्न यह है कि देश किस धर्म पर चले ? सनातन धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म जो सभी धर्मों को साथ लेकर चल सकता है ! इसमें व्यक्ति प्रेम, त्याग, शान्ति, भाईचारा व आनंद के साथ रहते हुए देश व देशवासियों का सर्वांगीण विकास सम्भव है ! अतः हमें भारत के संंविधान मे संशोधन करके "धर्मनिरपेक्षता" के स्थान पर "सनातन धर्म" लिखना होगा ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक आम आदमी #(46) #20/07/23 #dineshapna


 

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