Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Thursday 2 January 2020
विश्व के एकमात्र योद्धा जिनकी लड़ाई न राज्य के सीमा के लिए थी, न धन के लिए और न ही किसी अन्य लालसा के लिए था ... वो था मात्र धर्म रक्षा का संकल्प युद्ध ... . महाभारत था धर्म युद्ध और अर्जुन से बड़ा धनुर्धारी न पैदा हुआ लेकिन पुत्र अभिमन्यु वध का समाचार मिलते ही दुःख और क्षोभ से गांडीव फ़िसल गया, पैर काँप गया ...... अर्जुन के गुरु द्रोण अपने पुत्र की मृत्यु के झूठे ख़बर मात्र से धनुष रख के रोने लगे और युद्ध बंद कर दिया .... . पुत्र से बिछड़ने मात्र के संताप से देवासुर संग्राम के विजेता चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ गिर पड़े और फिर न उठे ... . ऐसे में गुरु गोविंद सिंह मात्र एक ऐसे देवतुल्य महापुरुष हुए जिन्होंने पुत्रों को बलिदान होने के लिए अपने हाथ से सज़ा के भेजा .... चमकौर का क़िला छोड़ते समय जब उनके अनुयायियों ने अपने पगड़ी खोलकर दोनो साहबजादों के बलिदानी शरीर को ढकना चाहा तो गुरु जी ने ये कह के मना कर दिया कि बाकी के बलिदानी भी उनके पुत्र ही हैं .. फिर इनके लिए व्यवस्था क्यों, बाक़ी के वंचित रहें क्यों ? . लड़ाई चलते रहने के समय, पुत्रों के बलिदानी होने के पहले या बाद ... उफ़नाइ नदी पार करने के बाद उसी हाल में गुरु जी ने धर्म रक्षा के लिए बिना विचलित हुए ईश्वर का पूजन और शबद कीर्तन भी किया .... . चारों साहबजादों के बलिदान होने पर गुरु जी ही एक मात्र थे, जिनके न पैर कांपे, न धनुष फिसला, न तलवार की चमक कम हुई, जिन्होंने धर्म रक्षार्थ योद्धा लोगों की ओर देखकर कहा ... . इन पुतरन के शीश पर वार दिए सुत चार .. चार मुए तो क्या हुआ, जीवित कई हज़ार .. . ऐसे महानायक, महायोद्धा, धर्मरक्षक, महाज्ञानि ईश्वर तुल्य गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म दिवस है ...... . किसी के भी जीवन में मनाने के लिए इससे बड़ा उपलक्ष और क्या हो सकता है .... . गुरुजी को शत शत प्रणाम .... 02.01.2020
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