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Thursday 23 January 2020
★★मन्दिर मण्डल, नाथद्वारा के निर्माण कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण क्यों जरूरी ?★★ ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• ■नाथद्वारा मन्दिर मण्डल एक्ट 1959 की धारा 28 (iii) के अनुसार बोडँ को फण्ड का उपयोग the construction and maintenance of dharmshalas and rest house for the use and accommodation of such pilgrims and worshippers; तो क्या वल्लभ विलास का निर्माण धर्मशाला/रेस्ट हाऊस हैं या "लक्जरी होटल" है ? ■बोडँ मेम्बर्स द्वारा वैष्णवों के द्वारा निर्मित पायगा कोटेज को तोड़कर, नई आलीशान होटल निर्माण कर मन्दिर के 50 करोड़ रु.खर्च करना ! क्या "दानदाता वैष्णवों के हित मे' था ? या क्या "मन्दिर के धन का सदुपयोग" था ? ■क्या बोडँ मेम्बर्स के निर्णय द्वारा नाथद्वारा विकास/मन्दिर विकास के कार्य आमजन के हित मे है ? या खासजन के हित मे है ? जबकि (१) बृजवासी (सन् 1409 से) 611 वर्षों से सेवा व सुरक्षा कर रहे है, (२) महाराज श्री (सन् 1535 से) 542 वर्षो से सेवा व सुरक्षा कर रहे है व (३) बोडँ मेम्बर्स (सन् 1959 से) 61 वर्षो से निर्णय ले रहे है ! किन्तु बृजवासीयो को 61 वर्षों से निर्णय लेने से दूर कर दिया, इसलिए उन्हें "सामाजिक अंकेक्षण" करने का अधिकार मिलना ही चाहिए ! ■क्या नाथद्वारा मन्दिर मण्डल के द्वारा विकास के नाम पर जो जमीन व धन का उपयोग आम वैष्णवों के हित मे हो रहा है ? उसके लिए "निर्माण कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण" करना जरुरी है ! ■क्या बोडँ मेम्बर्स मन्दिर मण्डल की दिल्ली वाली धर्मशाला, छोटी धर्मशाला को तोड़कर आम वैष्णवों के हित मे होगा या नहीं ? इसका निर्णय लेने से पूर्व "निर्णय का सामाजिक अंकेक्षण" करना जरूरी है ! CA. Dinesh Sanadhya - 23/01/2020 www.dineshapna.blogspot.com
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