Monday 27 January 2020

★महाराजश्री व बृजवासी "परम्पराओं" व "बोडँ नियमो" को मानते है, किन्तु जिम्मेदार मेम्बर्स व अधिकारी नियमों का पालन करते क्यों नहीं ?★ ★हम संविधान दिवस मनाते है, किन्तु संविधान को अपनाते क्यों नहीं ?★ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● (१)श्रीनाथजी मन्दिर "परम्पराओं" से व उनकी सम्पत्ति व कार्यकलापो का संचालन "बोडँ नियमों" से होता है ! (२)बृजवासी श्रीनाथजी के "सखा" है तो वल्लभाचार्य जी पुष्टि मार्ग के "प्रणेता" व श्रीनाथजी के "सेवक" है ! (३)बृजवासीयो ने सन् 1409 से श्रीनाथजी की "सेवा व सुरक्षा" कर रहे है, यह "अधिकार परम्पराओं से" प्राप्त है ! (४)मन्दिर मण्डल के बोडँ मेम्बर्स ट्रस्टी है जो "मन्दिर व श्रीनाथजी के प्रति जवाबदेह" है ! (५)बृजवासी श्रीनाथजी के "सखा" है तो श्रीनाथजी की सम्पत्तियों के सदुपयोग व सुरक्षा के बारे मे "जानकारी पाने का अधिकार" है ! (६)बोडँ मेम्बर्स व अधिकारी बृजवासीयो व वैष्णवों के सभी "प्रश्नों के उत्तर" देने व "मन्दिर हित मे कार्य" करने का कर्तव्य है ! (७)क्या बोडँ मेम्बर्स व अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन "पूर्ण ईमानदारी" से कर रहे है ? यदि हाँ, तो "सामाजिक अंकेक्षण" से मुंह क्यों मोड़ रहे है ? CA.Dinesh Sanadhya - 27/01/2020 www.dineshapna.blogspot.com





























































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