Tuesday 4 October 2022

★★रामकथा 03/10/2022★★ ★★कलयुग की महिमा (५) ★★ श्रीरामचरितमानस में कलि महिमा का वर्णन :- (१३) कलिकाल बिहाल किए मनुजा। नहिं मानत क्वौ अनुजा तनुजा॥ नहिं तोष बिचार न सीतलता। सब जाति कुजाति भए मगता॥3॥ भावार्थ:-कलिकाल ने मनुष्य को बेहाल (अस्त-व्यस्त) कर डाला। कोई बहिन-बेटी का भी विचार नहीं करता। (लोगों में) न संतोष है, न विवेक है और न शीतलता है। जाति, कुजाति सभी लोग भीख माँगने वाले हो गए॥3॥ (१४) इरिषा परुषाच्छर लोलुपता। भरि पूरि रही समता बिगता॥ सब लोग बियोग बिसोक हए। बरनाश्रम धर्म अचार गए॥4॥ भावार्थ:-ईर्षा (डाह), कड़वे वचन और लालच भरपूर हो रहे हैं, समता चली गई। सब लोग वियोग और विशेष शोक से मरे पड़े हैं। वर्णाश्रम धर्म के आचरण नष्ट हो गए॥4॥ (१५) दम दान दया नहिं जानपनी। जड़ता परबंचनताति घनी॥ तनु पोषक नारि नरा सगरे। परनिंदक जे जग मो बगरे॥5॥ भावार्थ:-इंद्रियों का दमन, दान, दया और समझदारी किसी में नहीं रही। मूर्खता और दूसरों को ठगना, यह बहुत अधिक बढ़ गया। स्त्री-पुरुष सभी शरीर के ही पालन-पोषण में लगे रहते हैं। जो पराई निंदा करने वाले हैं, जगत्‌ में वे ही फैले हैं॥5॥ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(203) #03/10/22 #dineshapna






 

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