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Monday 31 October 2022
★"अध्यात्म रामायण" - चौथा दिन★ सर्वप्रथम भगवान श्री शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा "अध्यात्म रामायण" है ! राम कथा का दर्शन "अध्यात्म, और विज्ञान" !!!!!! "अयोध्या" रामकथा का प्रारम्भ और समापन स्थल है ! (1)रावण कौन है ? : - जिसका अपनी इन्द्रियों पर अधिकार न हो ! जिसकी दसों इन्द्रियां, उन्मुक्त हों ! वह है - 'रावण' ! अपनी खोई हुई शक्ति और रावण पर विजय प्राप्ति का एक मात्र उपाय है - "ईश्वराधना और पूजा" ! (2)राम कौन है ? : - जो एक योगी (धर्म साधक) है, जो साधना करें व स्वयं को समाज और राष्ट्र के लिए धर्म, आचार - व्यवस्था, विधि - व्यवस्था, मानवता की स्थापना का कार्य करे ! (3)अध्यात्म रामायण में, सीता के अपहरण की अवधि के दौरान "मिथ्या सीता" का परिचय दिया गया है ! स्वर्ण मृग प्रकरण से ठीक पहले "वास्तविक सीता" अग्नि में विलीन हो जाती है ! (4)अध्यात्म रामायण में, युद्ध के अंत में सीता अग्नि से निकलती है, जब "मिथ्या सीता" उसमें प्रवेश करती है ! (5)अध्यात्म रामायण में, हनुमान जी, रावण से आमने-सामने मिलते हैं और तत्व ज्ञान के बारे में विस्तार से बताते हैं और उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने और भक्ति के साथ मुक्ति प्राप्त करने के लिए उपदेश देते हैं ! (6)अध्यात्म रामायण में, भगवान राम 100 बार रावण के 10 सिर काटते हैं लेकिन फिर भी वे फिर से प्रकट होते हैं ! तब विभीषण ने रावण को समझाया कि रावण के नाभि क्षेत्र में अमृत है और उसे मारने के लिए उसे तोड़ना होगा ! तब भगवान राम ने उसे नष्ट कर दिया और फिर रावण के हाथ और सिर काट दिए ! तब उन्होंने रावण का ब्रम्हास्त्र से वध किया ! (7)वाल्मीकि रामायण समाज में मनुष्य की भौतिक और आध्यात्मिक उत्थान को दर्शाती है और अध्यात्म रामायण भगवान को पूर्ण और बिना शर्त समर्पण के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति को दर्शाती है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक आध्यात्मिक विचारक #(225) #01/11/22 #dineshapna
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