Friday 3 July 2020

★नाथद्वारा मन्दिर मे 'धन व सम्पत्तियों की लूट' क्यों ?★ ★क्योंकि हम बृजवासी व हिंदू "सहिष्णु व कायर" है ?★ ●●●●●●●●●>>>>>>>>>>>>>>>>●●●●●●●●● ◆सन् 1001 से महमूद गजनवी ने हिन्दू मन्दिरों को लूटना शुरू किया व सन् 1925 मे सोमनाथ मन्दिर को लूटा ! 【【 महमूद गजनवी हिन्दू मन्दिरों को लूटने मे सफल इसलिए सफल हुआ, क्योंकि हमने भौतिक/आध्यात्मिक शक्ति तो मन्दिरों मे एकत्र कर दी किन्तु हमनें मन्दिर के रक्षकों की धर्म समर्पित व धर्म कट्टर सेना नहीं बनाई इसलिए उसने आसानी से मन्दिर के धन को लूटा ! 】】 ◆फिर मुगलों ने इस्लाम के प्रचार व ताकत के बल पर व बाद मे अंग्रेजों ने कानून बनाकर नियन्त्रण व लूट की व हिन्दू धर्म को दबाकर, ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार किया ! 【【 मुगलों / अंग्रेजों को सफलता इसलिए मिली, क्योंकि हमारे राजाओं मे हिन्दू धर्म के नाम पर एकता की कमी, आपसी फूट, गद्दारों की कमी नहीं, क्षमादान व धर्म / देश के प्रति कट्टरता की कमी व निजी स्वार्थ के लिए समाज / देश के हितों की अनदेखी ! 】】 ◆सन् 1951 मे तमिलनाडु सरकार ने कानून बनाकर मन्दिरों पर नियंत्रण व दान राशि एकत्र कर केवल 18% ही मन्दिरो को खर्च हेतु दी व शेष 82% का खर्च अन्य धर्मों हेतु उपयोग ! 【【 तमिलनाडु सरकार ने हिन्दू व हिन्दू मन्दिरों के विरुद्ध कानून बनाया, क्योंकि जब हमने 950 वर्षों (सन् 1951 से सन् 1001 तक) से हम हिन्दुओं ने अपने धर्म व मन्दिरों के लिए संगठित व एकजुटता से विरोध नहीं किया तो कांग्रेस सरकार ने सोचा की अब भी विरोध नहीं करेंगे अतः हिन्दू धर्म विरोधी कानून 1951 मे बनाया ! ●किन्तु 2019 मे बीजेपी ने ऐसे हिन्दू विरोधी कानून हटाने की पहल की !● 】】 ◆सन् 1959 मे नाथद्वारा मन्दिर मण्डल बना कर श्रीनाथजी मन्दिर के धन व सम्पत्तियों का दुरुपयोग शुरू किया ! 【【 बृजवासीयो ने अपने 611 वर्षों के अधिकारो को विश्वास कर महाराजश्री को दिये व महाराजश्री उन अधिकारो को बचा नहीं पाये, जिसका फायदा सरकार व स्वघोषित वैष्णवों ने उठाया व मन्दिर के धन व सम्पत्तियों का दुरुपयोग कर रहे है तथा बृजवासीयो को निर्णय अधिकार से दूर कर दिया ! ●किन्तु अब बृजवासी जाग उठा है व बीजेपी व कानून हमारे साथ है !● 】】 ●●●●●●●●●>>>>>>>>>>>>>>>>●●●●●●●●● ★हिन्दू व हिन्दू मन्दिर लूटे - सहिष्णुता, आपसी फूट, क्षमादान व कायरता के कारण !★ ★बृजवासी व नाथद्वारा मन्दिर की लूट - अधिकारत्याग, आपसी फूट, क्षमादान व चुप्पी के कारण !★ 【【 हम बृजवासीयो / हिन्दुओं को सर्वप्रथम श्रीकृष्ण के सन्देश को आत्मसात करना होगा ! 】】 ●●●●●●●●●>>>>>>>>>>>>>>>>●●●●●●●●● ★★ जयश्रीकृष्ण ★■★ श्रीकृष्णार्पण ★★ ●●●●●●●●●>>>>>>>>>>>>>>>>●●●●●●●●● दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी - 03/07/20 #dineshapna www.dineshapna.blogspot.com


























1 comment:

  1. - श्रीनाथजी प्राकृट्य का गूढ़ रहस्य -

    "श्रीनाथजी प्राकृट्य व प्रथम दर्शन"- श्रीसद्दू पाण्डे द्वारा !
    "श्रीनाथजी से प्रथम मिलन" - श्रीवल्लभाचार्य जी द्वारा !

    सन् 1409 (वि.सं 1466 - श्रावण शुक्ल पंचमी - नागपंचमी)
    श्रीनाथजी का प्राकृट्य (उध्व भुजा) । (श्रीसद्दू पाण्डे - सनाढ्य द्वारा प्रथम दर्शन व बृजवासीयो द्वारा प्रथम सेवा कार्य)

    सन् 1478 (वि.सं 1535 - वैशाख कृष्ण एकादशी) श्रीनाथजी के मुखारविंद के दर्शन व श्रीवल्लभाचार्य जी का प्राकृट्य । (श्रीनाथजी के प्राकृट्य के 69 वर्ष बाद श्रीवल्लभाचार्य जी का प्राकृट्य)

    सन् 1506 (वि.सं 1563) श्रीवल्लभाचार्य जी का श्रीसद्दू पाण्डे के घर आन्यौर पदार्पण व श्रीनाथजी से प्रथम मिलन । (97 वर्षों तक श्रीसद्दू पाण्डे व बृजवासीयो के द्वारा श्रीनाथजी की सेवा व पूजा व श्रीवल्लभाचार्य जी 28 वर्ष की उम्र मे बृज मे पधारे)

    सन् 1519 (वि.सं 1576 - वैशाख शुक्ल तीज - अक्षय तृतीया) श्रीनाथजी का जतिपुरा मन्दिर मे पाटोत्सव । (13 वर्षों मे श्रीनाथजी का जतिपुरा मे नया मन्दिर)

    सन् 1530 (वि.सं 1587 - आषाढ़ शुक्ल तीज, रविवार)
    श्रीवल्लभाचार्य जी का देवलोक गमन । (52 वर्ष की उम्र मे श्रीवल्लभाचार्य जी का देवलोक गमन)

    सन् 1665 (वि.सं 1726 - आश्विन शुक्ल १५, शुक्रवार)
    श्रीनाथजी का बृज से प्रस्थान ।
    (श्रीनाथजी 256 वर्ष तक बृज मे विराजे)

    सन् 1672 - 20 फरवरी (वि.सं 1728 - फाल्गुन कृष्ण सप्तमी - शनिवार) श्रीनाथजी का नाथद्वारा मन्दिर मे पाटोत्सव । (श्रीनाथजी को बृज से मेवाड़ पधारने मे 32 माह का समय लगा)

    सन् 1959 - 28 मार्च (वि.सं 2016) नाथद्वारा मन्दिर मण्डल का गठन । (61 वर्ष पूर्व नाथद्वारा मन्दिर मण्डल का गठन, जिसमें बृजवासीयो को कोई स्थान नहीं !)

    सन् 2019 - 2 अक्टूबर (वि.सं. 2076) श्रीनाथजी की प्रेरणा से सत्य, न्याय व सेवाधिकार के लिए आवाज - एक बृजवासी के द्वारा श्रीनाथजी की आज्ञा से !

    सन् 2020 (वि.सं.2077) "श्रीनाथजी के प्राकृट्य" व श्रीसद्दू पाण्डे (सनाढ्य) व बृजवासीयो को प्रथम दर्शन व सेवा करते 611 वर्ष हुए। श्रीवल्लभाचार्य जी के "श्रीनाथजी से मिलन" को 514 वर्ष हुए । श्रीनाथजी को नाथद्वारा पधारे 348 वर्ष हुए । नाथद्वारा मन्दिर मण्डल बने 61 वर्ष हुए ।

    सन् 1409 (वि.सं 1466 - श्रावण शुक्ल पंचमी - नागपंचमी) - 【611 वर्ष】"श्रीनाथजी प्राकृट्य व प्रथम दर्शन"- श्रीसद्दू पाण्डे द्वारा !
    सन् 1506 (वि.सं 1563) - 【514 वर्ष】"श्रीनाथजी से प्रथम मिलन" - श्रीवल्लभाचार्य जी द्वारा !

    जयश्रीकृष्ण - श्रीकृष्णार्पण

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