Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Monday 13 July 2020
★निजी स्कूल के सम्बन्धित चार यक्ष प्रश्न★ (१)जब तीन माह स्कूल मे पढाई नहीं, तो स्कूल फीस क्यों ? (२)जब स्कूल मे कानून/ईमानदारी का पाठ पढाया जाता है, तो पाठ्य सामग्री के MRP मूल्य व COST मूल्य मे इतना बडा अन्तर क्यों ? (३)जब फीस अभिभावक देते है, तो उस राशि के उपयोग हेतु जाँच, पारदर्शिता व आँडिट हेतु अधिकार अभिभावक समिति को क्यों नहीं ? (४)जब स्कूल का संचालन NGO के द्वारा ही है व NGO का मुख्य उद्देश्य बिना लाभ के लिए कार्य करना है, तो पारदर्शिता व सत्यता के लिए सामाजिक अंंकेक्षण का अधिकार क्यों नहीं ? ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★निजी शिक्षण संस्थाओं ने शिक्षा को बनाया व्यवसाय अभिभावकों का निजी स्कूलों से हुआ मोह भंग बढ़ने लगा सरकारी स्कूलों की ओर रुझान।★ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● नाथद्वारा वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा नगर में वर्तमान समय में विश्व स्तरीय कोरोना वाइरस संक्रमण को फैलाव को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा देश भर में कोरोना वायरस संक्रमण को फैलाव कोे रोकने के लिए जारी लोक डाउन की अपील के तहत सारी सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं को सरकार के द्वारा आमजन की जान की सुरक्षा को देखते हुए बंद का निर्देश दिया गया जिसके चलते विगत 3 / 4 माह से सारी शिक्षण संस्था है बंद है उसके उपरांत भी निजी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों के द्वारा आम बच्चों के अभिभावकों से स्कूल फीस के लिए तकाजा किया जा रहा है साथ ही वर्तमान समय में निजी शिक्षण संस्थाओं ने एक ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध करवाने की आड़ को लेकर प्रत्येक अभिभावकों को अवगत कराया जा रहा है कि आपके बच्चे की भविष्य के लिए उन्हें ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ जा रहा है जिसके तहत आप स्कूल में आकर ऑनलाइन से जुड़ने के लिए आप रजिस्ट्रेशन करवाएं एवं विगत मांह का बकाया स्कूल की फीस जमा कराने पर जोर दिया जा रहा है जिसको लेकर नगर के कई अभिभावकों से संवाददाता के द्वारा अपने लाल के भविष्य को लेकर एवं उनकी शिक्षा के बारे में जानकारी चाहने पर कई अभिभावक कृष्णकांत प्रमोद गुर्जर मुकेश गुर्जर कैलाश गुर्जर सुरेश सनाढ्य दिनेश पालीवाल हीरालाल मालवीय सोहन लाल सालवी कैलाश खटीक मांगीलाल बागरेचा सुभाष कोठारी सत्यनारायण छापरवाल हीरा लाल प्रजापत मांगीलाल डोली नाथू लाल कीर हीरालाल भाई मांगीलाल हीरालाल पोरवाल गोपाल सुखवाल नाथूलाल कृष्ण चंद्र सहित महिला अभिभावकों में मनोरमा गुर्जर पूर्णिमा सनाढ्य विद्या त्रिपाठी उर्मिला गोस्वामी शकुंतला राठी मनीबाई पामेचा रूपली बाई फैफ़ली बाई जागीड फैमिली बाई गमेती नानी बाई टेलर सहित कई जागरूक महिलाओं ने बड़े आक्रोश के साथ बताया कि कि वर्तमान समय में देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकरहा हा कार मचा है जिसके लिए आम आदमी अपनी जान की सुरक्षा के लिए संघर्ष रत्न है साथ ही देश भर में केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा आमजन की हिफाजत के लिए लॉक डाउन का आदेश दिया गया जिसके चलते आम लोगों ने अपने अपने व्यवसाय प्रतिष्ठान दुकाने एवं नौकरियों को छोड़कर लॉकडाउन के तहत अपने अपने घरों में निवास क्या जिसके चलते आमदनी शून्य के बराबर रही जिससे आम आदमी की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई जिससे जीवन यापन के लिए भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा साथ ही उसके ऊपर राज्य सरकार के द्वारा आम जन की राहत पहुंचाने के बजाय और आर्थिक बोझ के तहत बिजली राशन डीजल पेट्रोल सहित अन्य खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने से आम आदमियों की कमर तोड़ कर रख दी गई जिसके ऊपर निजी शिक्षण संस्थान के संचालकों के द्वारा अभिभावकों को बकाया फीस नहीं जमा कराने पर अपने अपने नौनिहालों को अपनी अपनी स्कूल से काटने का का दबाव बनाया जा रहा है जिस पर महिला अभिभावकों के द्वारा बड़े आक्रोश के साथ बताया कि कि हम अपना पेट काटकर अपने बच्चों को निजी शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा दिलवा रहे हैं जहां प्रतिवर्ष प्रतिमाह निजी संस्थाओं के द्वारा जो भी फीस निर्धारित की जाती है उसका नियमित भुगतान कर अपने बच्चों के भविष्य बनानेे के लिए जमा कराई जाती है परंतु वर्तमान समय में चारों ओर से आय के स्रोत बंद होने के उपरांत आम मध्यमवर्गीय परिवार एवं गरीब लोगों को अपने बच्चों की स्कूल फीस जमा करने पर भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इसके उपरांत भी निजी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों के द्वारा अभिभावकों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है जबकि महिलाओं ने बताया गया कि हम अपने बच्चे के भविष्य को देखते हुए निजी शिक्षण संस्थाओं के द्वारा स्कूल यूनिफार्म पुस्तकें काफिया बेल्ट सॉक्स शूज तक स्कूल के द्वारा दिया जाता है जिसका नगद भुगतान किया जाता है जबकि जानकार अभिभावकों ने बताया कि स्कूल प्रबंधन के द्वारा जो भी बच्चों को यूनिफॉर्म शॉप सीट बेल्ट बुक्स मैं भारी कमीशन खोरी का धंधा किया जाता है जो चीज जो यूनिफार्म बाजार में ₹200 मिलती है वहीं विद्यालय के द्वारा 500 से ₹700 के बीच में उपलब्ध करवाई जा रही है जिसको लेकर कई बार अभिभावकों एवं स्कूल संचालक के वार्ता होने के उपरांत भी लोगों को निज शिक्षण संस्था द्वारा कोई भी राहत प्रदान नही दी जा रही है। और वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण के फैलाव के चलते आम लोगों की आमदनी एवं रोजगार अस्त-व्यस्त होने से हर आदमी की आर्थिक व्यवस्था डगमगा रही है उसके ऊपर निजी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों के द्वारा अभिभावकों के ऊपर स्कूल फीस जमा कराने का दबाव बनाया जा रहा है जिसको लेकर नगर के कई प्रबुद्ध वर्ग बुद्धिजीवी समाजसेवी जागरूक लोगों सहित गणमान्य नागरिकों के द्वारा आमजन से अपील की जा रही की सरकारी विद्यालयों में अपने अपने बच्चों को विद्यार्जन करने के लिए प्रवेश दिलवाने का अपील की जा रही है जिसके चलते आम आदमी राहत पा सके वैसे भी निजी शिक्षण संस्थाओं के द्वारा उच्च शिक्षा के नाम पर केवल और केवल दिखावा एवं पैसे निकलाने का अभिभावकों से फार्मूला अपनाया जा रहा है कभी किसी कार्यक्रम के किसी प्रोग्राम के किसी आयोजन के माध्यम से आम बच्चों से निजी शिक्षण संस्थाओं के द्वारा पैसा मंगवाया जाता है । जबकि लोगों ने आक्रोश के साथ बताया कि हजारों रुपए मासिक खर्च करने के उपरांत भी निजी शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले बच्चों को ट्यूशन करना अनिवार्य है जबकि आज भी राजस्थान में सरकारी विद्यालयों के पढ़ने वाले छात्रों के द्वारा देश व प्रदेश स्तर पर अच्छे मार्क्स से पास हो रहे हैं एवं आज भी सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र ही बड़ी-बड़ी पोस्टों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं जबकि निजी शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्र एवं सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है वैसे भी सरकारी विद्यालयों में वर्तमान समय में बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जा रहा है प्रदेश में कई ऐसे सरकारी विद्यालय है जहां पर निजी शिक्षण संस्थाओं से भी उत्तम परीक्षा परिणाम सरकारी विद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा दिया जा रहा है जो कि एक बड़ी बात है ।एवं आम नागरिक से आगाह किया जा रहा है कि अपने अपने नौनिहालों बच्चों को ज्यादा से ज्यादा सरकारी विद्यालयों में प्रवेश दिलवाया जाए साथ ही आप अभिभावक भी सरकारी स्कूलों में जाकर वहां की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करवाने के लिए प्रयास करवाने चाहिए साथ ही जो पैसा आप निजी विद्यालयों में उपलब्ध करवाते हैं उसमे से उसका 10% पैसा आप सरकारी विद्यालयों में बच्चों के भविष्य के लिए साधन सुविधा व्यवस्थाओं के लिए उपलब्ध करवाएं जिससे आम मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे उच्च क्वालिटी की शिक्षा पाकर राष्ट्र राज्य शहर व परिवार का नाम रोशन कर सकें। साथ ही इन निजी शिक्षण संस्थाओं जो कि केवल शिक्षा के नाम पर केवल व्यवसाय कर रहे हैं उन पर अंकुश लगाए एवं अपने नौनिहालों को अच्छी शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिला कर अपने नौनिहालों का भविष्य बनावे एवं इन उच्च शिक्षा के नाम पर निजी संस्थानों के चुंगल में ना फंसे !
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