Saturday 4 July 2020

★1959 मे बना श्रीकृष्ण मन्दिर हेतु बोर्ड सदस्य★ (नाथद्वारा मन्दिर एक्ट 1959) ★2020 मे बना श्रीराम मन्दिर हेतु ट्रस्ट सदस्य★ (श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट) ◆◆◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆◆◆ ★दोनो मन्दिरों के ट्रस्ट सदस्यों मे अन्तर क्यों ? 【【मन्दिर ट्रस्ट मे उन्हीं व्यक्तियों को सदस्य बनाया जाना चाहिए जिन्होंने सर्वप्रथम कार्य किया हो, निस्वार्थ सेवा की हो, हिन्दू धर्म के ज्ञानी/महन्त हो, वर्तमान मे समर्पित हो, पारर्दशिता से कार्य सुनिश्चित हो, हिन्दुओं व सेवा करनेवालो के हित सुरक्षित हो, धर्म व न्याय की रक्षा हो !】】 ★उक्त कानून मे अन्तर का जिम्मेदार सरकार की नियत ? 【【1959 मे कांग्रेस सरकार व 2020 मे बीजेपी सरकार, दोनों की नियत मे जमीन आसमान का अन्तर है !】】 ★कौनसा कानून मन्दिर / जनहित मे है ? व कैसे ? 【【नाथद्वारा मन्दिर एक्ट मे बोर्ड सदस्यों के चयन की प्रक्रिया सही नहीं है, जबकि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के सदस्यों का चयन सही है !】】 ◆◆◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆◆◆ ■■■■ नाथद्वारा मन्दिर मण्डल के सदस्यों के चयन का आदर्श तरीका यह है ! ■■■■ ◆◆◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆◆◆ नाथद्वारा मन्दिर मण्डल के निम्न सदस्य होने चाहिए :- कुल 15 सदस्य हो, जिसमें 3 स्थाई सदस्य व 12 नाँमिनेटेड सदस्य हो ! (1)श्रीनाथजी की सर्वप्रथम व लम्बे समय तक निस्वार्थ प्रेम व सेवा करने वाला सद्दू पाण्डे का परिवार मे से व्यक्ति (१) (2)श्रीनाथजी से निस्वार्थ सेवा व सबसे ज्यादा समय 611 वर्षों से त्याग व सेवा करने वाले सातों बृजवासी समाज से व्यक्ति (७) (3)श्रीवल्लभाचार्य जी के कुल के सदस्य (१) (4)मेवाड़ राजघराने के महाराणा श्री (१) (5)श्रीवल्लभाचार्य जी/वल्लभकुल से कण्ठीबंध वैष्णवों मे से व्यक्ति (३) (6)नाथद्वारावासीयो मे से हिन्दू धर्म मानने वाला वैष्णव व्यक्ति (१) (7)राजसमन्द जिला कलेक्टर, हिन्दू धर्म को मानने वाला व्यक्ति (१) ◆◆◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆◆◆ ■■■■ एक पारदर्शिता व न्यायपूर्ण तरीक़े से ट्रस्ट सदस्यों का चयन इस प्रकार है ! ■■■■ ◆◆◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆◆◆ श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य हैं, जिनमें 9 स्थायी और 6 नॉमिनेटेड सदस्य हैं। केंद्र सरकार ने अभी 12 सदस्यों के नामों की घोषणा की है।आइए जानिए कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य :- स्थायी सदस्य । 1.के परासरन: रामलला विराजमान की ओर से अयोध्या मामले में लंबे समय तक पैरवी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के. परासरन ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। 2.डॉ. अनिल कुमार मिश्र : पेशे से होम्योपैथी डॉक्टर अनिल राम मंदिर आंदोलन के दौरान विनय कटियार के साथ जुड़े थे। 3.विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र : अयोध्या राज परिवार के वंशज व समाजसेवी। 4.कामेश्वर चौपाल : 1989 के राम मंदिर आंदोलन के समय हुए शिलान्यास में राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले अनुसूचित जाति के कामेश्वर चौपाल। 5.महंत दिनेंद्र दास : राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में पक्षकार और निर्मोही अखाड़ा की अयोध्या बैठक के प्रमुख। 6.जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज : इनके शंकराचार्य बनाए जाने पर विवाद भी हुआ। 7.जगतगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज : कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर। 8.युगपुरुष परमानंद जी महाराज : अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख। 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को भी संबोधित किया था। 9.स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज: आध्यात्मिक गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं। ये भी होंगे ट्रस्ट में :- 1. बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा नामित दो सदस्य, दोनों हिंदू धर्म से होंगे। केंद्र सरकार द्वारा नामित एक हिंदू धर्म का प्रतिनिधि जो केंद्र के अंतर्गत आईएएस अधिकारी होगा। 2. राज्य सरकार द्वारा नामित एक हिंदू धर्म का प्रतिनिधि जो यूपी सरकार के अंतर्गत आईएएस अधिकारी होगा। 3. अयोध्या के जिलाधिकारी ट्रस्टी होंगे। वह हिंदू धर्म को मानने वाले होंगे। अगर किसी कारण से मौजूदा कलेक्टर हिंदू धर्म के नहीं हैं, तो अयोध्या के एडिशनल कलेक्टर (हिंदू धर्म) सदस्य होंगे। ◆◆◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆◆◆ ★★ जयश्रीकृष्ण ★★●●★★ श्रीकृष्णार्पण ★★ ◆◆◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆◆◆ दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी - 04/07/2020 #dineshapna www.dineshapna.blogspot.com












1 comment:

  1. - श्रीनाथजी प्राकृट्य का गूढ़ रहस्य -

    "श्रीनाथजी प्राकृट्य व प्रथम दर्शन"- श्रीसद्दू पाण्डे द्वारा !
    "श्रीनाथजी से प्रथम मिलन" - श्रीवल्लभाचार्य जी द्वारा !

    सन् 1409 (वि.सं 1466 - श्रावण शुक्ल पंचमी - नागपंचमी)
    श्रीनाथजी का प्राकृट्य (उध्व भुजा) । (श्रीसद्दू पाण्डे - सनाढ्य द्वारा प्रथम दर्शन व बृजवासीयो द्वारा प्रथम सेवा कार्य)

    सन् 1478 (वि.सं 1535 - वैशाख कृष्ण एकादशी) श्रीनाथजी के मुखारविंद के दर्शन व श्रीवल्लभाचार्य जी का प्राकृट्य । (श्रीनाथजी के प्राकृट्य के 69 वर्ष बाद श्रीवल्लभाचार्य जी का प्राकृट्य)

    सन् 1506 (वि.सं 1563) श्रीवल्लभाचार्य जी का श्रीसद्दू पाण्डे के घर आन्यौर पदार्पण व श्रीनाथजी से प्रथम मिलन । (97 वर्षों तक श्रीसद्दू पाण्डे व बृजवासीयो के द्वारा श्रीनाथजी की सेवा व पूजा व श्रीवल्लभाचार्य जी 28 वर्ष की उम्र मे बृज मे पधारे)

    सन् 1519 (वि.सं 1576 - वैशाख शुक्ल तीज - अक्षय तृतीया) श्रीनाथजी का जतिपुरा मन्दिर मे पाटोत्सव । (13 वर्षों मे श्रीनाथजी का जतिपुरा मे नया मन्दिर)

    सन् 1530 (वि.सं 1587 - आषाढ़ शुक्ल तीज, रविवार)
    श्रीवल्लभाचार्य जी का देवलोक गमन । (52 वर्ष की उम्र मे श्रीवल्लभाचार्य जी का देवलोक गमन)

    सन् 1665 (वि.सं 1726 - आश्विन शुक्ल १५, शुक्रवार)
    श्रीनाथजी का बृज से प्रस्थान ।
    (श्रीनाथजी 256 वर्ष तक बृज मे विराजे)

    सन् 1672 - 20 फरवरी (वि.सं 1728 - फाल्गुन कृष्ण सप्तमी - शनिवार) श्रीनाथजी का नाथद्वारा मन्दिर मे पाटोत्सव । (श्रीनाथजी को बृज से मेवाड़ पधारने मे 32 माह का समय लगा)

    सन् 1959 - 28 मार्च (वि.सं 2016) नाथद्वारा मन्दिर मण्डल का गठन । (61 वर्ष पूर्व नाथद्वारा मन्दिर मण्डल का गठन, जिसमें बृजवासीयो को कोई स्थान नहीं !)

    सन् 2019 - 2 अक्टूबर (वि.सं. 2076) श्रीनाथजी की प्रेरणा से सत्य, न्याय व सेवाधिकार के लिए आवाज - एक बृजवासी के द्वारा श्रीनाथजी की आज्ञा से !

    सन् 2020 (वि.सं.2077) "श्रीनाथजी के प्राकृट्य" व श्रीसद्दू पाण्डे (सनाढ्य) व बृजवासीयो को प्रथम दर्शन व सेवा करते 611 वर्ष हुए। श्रीवल्लभाचार्य जी के "श्रीनाथजी से मिलन" को 514 वर्ष हुए । श्रीनाथजी को नाथद्वारा पधारे 348 वर्ष हुए । नाथद्वारा मन्दिर मण्डल बने 61 वर्ष हुए ।

    सन् 1409 (वि.सं 1466 - श्रावण शुक्ल पंचमी - नागपंचमी) - 【611 वर्ष】"श्रीनाथजी प्राकृट्य व प्रथम दर्शन"- श्रीसद्दू पाण्डे द्वारा !
    सन् 1506 (वि.सं 1563) - 【514 वर्ष】"श्रीनाथजी से प्रथम मिलन" - श्रीवल्लभाचार्य जी द्वारा !

    जयश्रीकृष्ण - श्रीकृष्णार्पण

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