Monday 10 February 2020

★श्रीकृष्ण का सन्देश, अपने "सखा"अर्जुन को ! ★श्रीकृष्ण का सन्देश, अपने "सखा" बृजवासीयो को ! ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● (1) श्रीकृष्ण ने 5000 वर्ष पूर्व अपने सखा अर्जुन को तथा 600 वर्ष पूर्व वहीं सन्देश अपने सखा बृजवासीयो को दिया ! (आज हमें उस सन्देश को अर्जुन की तरह आत्मसात करना होगा !) (2) श्रीकृष्ण ने कहा कि ◆"धर्म की रक्षार्थ" अपने प्रियजनों से भी "युद्ध" करना पडे तो युद्ध करना चाहिए ! ◆"निश्काम कर्म" करना चाहिए ! ◆"आत्मा अजर अमर" है, शरीर नश्वर है ! ◆"परिवर्तन" संसार का नियम है ! जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है ! ◆"ईश्वर सदैव तुम्हारे साथ" है ! जिसका कोई नहीं होता, उसका भगवान होता है ! ◆"स्वार्थी न बनें" ! इंसान का स्वार्थ उसे अन्य लोगों से दूर ले जाकर नकारात्मक हालातों की ओर धकेलता है। ◆जीवन में किसी भी प्रकार की "अति से बचें" ! किसी भी प्रकार की अधिकता इंसान के लिए घातक सिद्ध होती है ! (3) श्रीकृष्ण के उपदेश को हम सभी बृजवासीयो को भी आत्मसात करना होगा कि ◆धर्म की रक्षार्थ हमे भी मनमानी करने वालों से युद्ध करना चाहिए ! ◆हम भी निष्काम कर्म तो कर रहे तथा फल के लिए श्रीनाथजी के भरोसे 611 वर्षो से छोड़ रखा है, किन्तु हमें बोडँ सदस्यों के भरोसे नहीं रहना होगा ! ◆परिवर्तन संसार का नियम है, यह बात बोडँ सदस्यों को समझाने की जरुरत है ! ◆हम तो यह मानते है कि ईश्वर हमारे साथ है, उस भरोसे हमने 611 वर्ष बिता दिये ! आगे भी श्रीनाथजी हमारे साथ है ! ◆हम स्वार्थी नहीं है, तो बोडँ सदस्यों को भी स्वार्थी बनने से बचाने की जरूरत है ! ◆हम तो अति से बचे हुए है, किन्तु बोडँ सदस्यों को अति से बचाने की जरूरत है ! (4) हम बृजवासीयो को श्रीकृष्ण (श्रीनाथजी) की सपथ हैं कि हमे उनकी आज्ञा से अर्जुन बनना होगा ! (5) श्रीकृष्ण का उपदेश ●धर्म की रक्षार्थ युद्ध ! ●निश्काम कर्म ! ●परिवर्तन संसार का नियम ! ●ईश्वर के भरोसे रहे ! ●स्वार्थी न बने ! ●अति से बचे ! (6) हम श्रीकृष्ण (श्रीनाथजी) के सखा है, तो उनके उपदेश को मान व आत्मसात कर, हमें दोस्ती निभानी है ! (7) कुछ बोडँ सदस्य श्रीनाथजी के भक्त है, किन्तु धन , अहम् व राजकीय सेवा करने मे ज्यादा ही व्यस्त होने के कारण श्रीनाथजी की सेवा बृजवासीयो की तरह नहीं कर पा रहे है ! इसलिए श्रीनाथजी उन्हें भक्ति की शक्ति दे ! (8) सर्वप्रथम श्रीनाथजी व बृजवासी थे (97 वर्ष तक), बाद मे श्रीनाथजी व बृजवासीयो के बीच महप्रभुजी व पुष्टि मार्ग आया (25 वर्ष तक), अब श्रीनाथजी व बृजवासीयो के बीच महाप्रभुजी के वंशज व बोडँ सदस्य आ गये है (428 वर्ष + 61 वर्ष) ! इस प्रकार श्रीनाथजी व बृजवासीयो के बीच दूरी बढा दी गई, जो सही नहीं है ! श्रीनाथजी व बृजवासीयो के बीच मे आने के बजाय साथ मे आना चाहिए, जैसे वल्लभाचार्य जी साथ - साथ आये थे ! (9) अभी भी समय है कि दो दोस्तों (श्रीनाथजी व बृजवासीयो) के बीच मे से हटकर, हम सभी साथ - साथ आ जाये ! श्रीनाथजी सभी का कल्याण करें ! जयश्रीकृष्ण ! CA. Dinesh Sanadhya - 10/02/2020 www.dineshapna.blogspot.con




















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