Monday 17 February 2020

★श्रीनाथजी के प्राकृट्य से आज तक के समय ( 611 वर्ष ) को "तीन काल" खण्डों ( 122 + 428 + 61 ) मे विभक्त किया !★ ★सत्य व मूल को कैसे गौण किया गया ! बृजवासीयो को कैसे गौण कर "श्रीजी" के स्थान पर केवल "श्री" की पूजा की जा रही है ! ★ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ 【1】 स्वर्ण काल :- (1409 से 1531) ◆◆◆◆◆◆122 वर्ष तक◆◆◆◆◆◆ १-महाप्रिय श्री सद्दू पाण्डे जी , २-श्रीनाथजी के सखा बृजवासी, ३-महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी ★(किसी को गौण नहीं किया, सभी साथ - साथ) ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● 【2】 रजत काल :- (1531 से 1959) ◆◆◆◆◆◆428 वर्ष तक◆◆◆◆◆◆ १-महाप्रिय श्री सद्दू पाण्डे जी के वंशज, २-श्रीनाथजी के सखा बृजवासी, ३-महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी के वंशज, ४-मेवाड़ के महाराणा जी ५- कोठारिया रावला ★( ●१- को गौण कर दिया) ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● 【3】 कास्य काल :- (1531 से 2020 व निरन्तर) ◆◆◆◆◆◆◆61 वर्ष व निरन्तर◆◆◆◆◆◆◆◆ १-महाप्रिय श्री सद्दू पाण्डे जी के वंशज, , २-श्रीनाथजी के सखा बृजवासी, ३-महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी के वंशज, ४-मेवाड़ के महाराणा जी ५-कोठारिया रावला ६-नाथद्वारा मन्दिर मण्डल के सदस्य ७-सरकार ★(●१- ●२- ●४- ●५- को गौण कर दिया) ★★【गौण किसने किया ? गौण क्यों किया ?】★★ ●●●●●●???????●●●●●●●????????●●●●●● 【1】~~~~~~~~~~~~~~ ★श्रीजी भक्तों का स्वर्ण काल (1409 से 1531)★ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆ 97 वर्षों तक श्रीनाथजी की सेवा व सुरक्षा का कार्य "महाप्रिय श्री सद्दू पाण्डे व बृजवासीयो" के द्वारा की गयी ! किन्तु आज उन्हें 40 फीट दूर कर दिया ! ◆ सन् 1506 मे बृजवासीयो ने श्रीनाथजी की सेवा व पूजा का कार्य श्री वल्लभाचार्य जी को सौंप दिया ! ◆ 25 वर्षों तक महाप्रभु जी व उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति सेवा कर रहे थे ! उस समय सभी का देने का भाव था, आज की तरह लेने का नहीं ! श्रीनाथजी सभी के थे व उनकी सम्पत्ति पर अधिकार करने की नियत किसी की भी नहीं थी ! ◆ सभी मे प्रेम, सेवा व समर्पण का भाव होने से आपस मे भेदभाव नहीं था ! ◆ महाप्रभु जी ने प्रथम 13 वर्षों मन्दिर निर्माण व सेवा पद्वति मे लगाये व शेष 12 वर्ष पुष्टि मार्ग के साहित्य सृजन मे सन् 1531 तक लगाये ! उस समय बृजवासीयो का सेवा व सुरक्षा मे महत्त्वपूर्णस्थान था ! किन्तु उनके वंशजों ने बृजवासीयो को "सखा से नौकर" बना दिया ! जबकि बृजवासीयो ने उनको "पुजारी से गुरु" बना दिया ! ●●●●●???????●●●●●●????????●●●●●●● 【2】~~~~~~~~~~~~~~ श्रीजी के भक्तों का रजत काल (1531 से 1959) ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆ 141 वर्ष (1531 से 1672) श्रीनाथजी बृज से नाथद्वारा पधारे, इस "संकट काल" मे बृजवासीयो ने त्याग व बलिदान (सम्पत्ति व जीवन का) देकर श्रीजी व वल्लभ कुल की रक्षा की ! ◆ 150 वर्ष (1672 से 1822) नाथद्वारा पधारने के बाद,चार बार आक्रमण हुए, उस समय महाराणाजी, कोठरिया रावला व बृजवासीयो ने श्रीजी व वल्लभ कुल की रक्षा की व जमीन व धन से सहयोग किया ! ◆ 291 वर्ष (141 + 150) "संकट काल" होने से वल्लभ कुल, बृजवासीयो व महाराणा जी के बीच "स्वतः आपसी प्रेम" बना व रहा ! ◆ 137 वर्ष (1822 से 1959) "शान्ति काल" होने से वल्लभ कुल धिरे धिरे बृजवासीयो, महाराणा जी व कोठारिया रावला को भूलने लगे ! क्योंकि वल्लभ कुल का ध्यान श्रीनाथजी से हटकर उनकी सम्पत्तियों की ओर ज्यादा जाने लगा ! इस कारण से बृजवासीयो को श्रीजी से दूर कर दिया ! ●●●●●????????●●●●●●????????●●●●●●● 【3】~~~~~~~~~~~~~~ श्रीजी भक्तों का कास्य काल (1959 से 2020 & ....) ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆ 61 वर्ष (1959 से 2020 & .... श्रीवल्लभाचार्य जी ने अपने वंशजों को "श्रीजी" की पूजा की जिम्मेदारी दी, किन्तु उनके वंशज केवल "श्री" की अति पूजा करने लगे ! तथा बृजवासीयो को श्रीजी से दूर कर दिया ! ◆ ऐसी स्थिति मे सरकार ने हस्तक्षेप कर "मन्दिर मण्डल"का गठन कर श्रीजी की सम्पत्तियों को बचाने का असफल प्रयास किया ! क्योंकि आज भी श्रीजी की सम्पत्तियां पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है ? ◆ सरकार ने बिना इतिहास को जाने, श्रीजी के सखाओ के 611 वर्षों के त्याग व बलिदान को जाने बिना, बृजवासीयो को पुनः श्रीजी से दूर किया, व बोडँ मेम्बर भी नहीं बनाया ! ◆ 61 वर्षों मे व अभी के 20 वर्षों मे सभी बोडँ मेम्बरों ने जो निर्णय लिए उनसे श्रीजी की सम्पत्तियों की रक्षा होने के स्थान पर नुकसान ही हुआ है ? यदि ऐसा नहीं हुआ है, तो उनका सामाजिक अंकेक्षण कराकर स्थिति स्पष्ट की जा सकती है ! ◆ 97 वर्ष शुरू के एक मात्र व 514 वर्ष वल्लभ कुल के साथ (कुल 611 वर्ष) जिन बृजवासीयो ने निस्वार्थ सेवा, त्याग व बलिदान दिया है, इसलिए उन्हें सामाजिक अंकेक्षण का भी 'पूर्ण कानूनी अधिकार" है ! ◆ जो "श्रीजी के सखा" है, उनका श्रीजी पर व उनकी सम्पत्ति की रक्षा का "परम्पराओं के अनुसार" भी "पूर्ण अधिकार" है ! अतः उन्हें "सामाजिक अंकेक्षण" करना चाहिए ! CA.Dinesh Sanadhya - 17/02/2020 www.dineshapna.blogspot.com






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