सखा गोविन्द दोऊ खडे़, काको करुँ सम्मान ! बलिहारी सखा आपने, गोविन्द दियो मिलाय !! कोई श्रीजी की सेवा करें, कोई खाये मलाई ! कोई समझे सेवा के नाम पर, लूटने मे भलाई !! श्रीजी के दरबार मे, रोज हाये अन्नकूट ! सेवक लूटे अन्न कूँ, अमीर लूटे धन्नकूट !! बृजवासी सखा थे रक्षक, बना दिया मूक दर्शक ! अन्य भक्षक अब बने, बिना लगाम का अधिक्षक !! CA. Dinesh Sanadhya - 04/02/2020 www.dineshapna.blogspot.com
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