Thursday 6 February 2020

★★श्रीनाथजी के सखा ब्रजवासियों को श्रीनाथजी से दूर करने की 348 वर्षों से साजिश ? कौन जिम्मेदार ?★★ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (1) 611 वर्षो से ( 1409 से 2020 तक ) बृजवासी श्रीनाथ जी की सेवा व सुरक्षा कर रहे है, किंतु आज उन्हें सेवा व सुरक्षा के निर्णय लेने के अधिकार से दूर क्यों रखा जा रहा है ? (2) 97 वर्षो तक ( 1409 से 1506 तक ) केवल बृजवासीयो ने ही श्रीनाथजी की सेवा व सुरक्षा कर रहे थे ! इसके बाद सन् 1506 में श्री वल्लभाचार्य जी पधारे,( 27 वर्ष की आयु मे ) तब से उन्होंने श्रीनाथ जी की पूजा शुरू की, जो आज तक उनके वंशजों द्वारा पूजा व अन्य जारी है ! (3) 514 वर्षो से ( 1506 से 2020 तक ) श्री वल्लभाचार्य जी ने श्रीनाथजी की पूजा सर्वप्रथम चौहान व बाद में बंगाली ब्राह्मणों तथा अन्य लोगों को करने का अधिकार दिया तथा सेवा व सुरक्षा का जिम्मा बृज वासियों को दिया ! (4) 13 वर्षों में ( 1506 से 1519 ) श्री वल्लभाचार्य जी के पधारने ब्रज मे पधारने व वहाँ श्रीनाथजी के नए मंदिर में पाटोत्सव करने व सेवा का क्रम निश्चित करने के बाद, आप मधुबन पधार गए ! (40 वर्ष की आयु में) (5) 12 वर्षो तक ( 1519 से 1531 तक ) श्री वल्लभाचार्य जी ने अपना समय पुष्टिमार्ग के लिए साहित्य सर्जन में लगा दिया ! ( 52 वर्ष की आयु तक ) (6) 489 वर्ष तक ( 1531 से 2020 तक ) श्री वल्लभाचार्य जी के बाद उनके वंशजों व पुजारियों को उनके द्वारा स्थापित सेवाक्रम व परंपरा के अनुसार ही कार्य करना था तथा ब्रजवासियों को सेवा व सुरक्षा तथा उस सम्बन्धित निर्णय का अधिकार था ! इसके लिए बृजवासीयो ने अपना जीवन व संपत्ति के भी त्याग करने मे पिछे नहीं रहे, तो भी उनसे निर्णय लेने का अधिकार छिन लिया ! (7) 348 वर्ष से ( 1672 से 2020 तक ) नाथद्वारा पधारने के बाद कालान्तर मे धीरे धीरे पूजा करने वाले श्रीनाथजी के नाम पर उनकी संपत्ति पर भी अपना अधिकार जमाने लग गये, जबकि वल्लभाचार्य जी ने (संसार की प्रवृत्ति) माया से दूर रहने के लिए सन् 1531 मे अपने अन्तिम उपदेश मे कहा था ! वर्तमान मे सम्मानीय ने सच्चे , सेवाभावी व सखा ब्रजवासियों को धीरे-धीरे श्रीनाथजी से दूर कर दिया गया ! (8) 61 वर्ष पूर्व ( 1959 से ) श्रीनाथजी की पूजा करने वालों ने हद ही पार कर दी, जिस कारण सरकार को मजबूरी मे टेम्पल बोर्ड का गठन करना पड़ा, किन्तु यहाँ भी श्रीनाथजी के सखा बृजवासीयो को बोडँ सदस्य बनने से दूर रखा गया ! तथा गलत करने वालों व जिनका नाथद्वारा से कोई लेना-देना नहीं है, उनको बोर्ड सदस्य बनाया गया ! इसके बाद जिन बोडँ सदस्यों को सुरक्षा की जिम्मेदारी दी, वह लोग श्रीनाथजी की संपत्ति की रक्षा करना तो दूर श्रीजी प्रसाद की शुद्धता मे कमी लाकर अन्याय कर रहे हैं ! ऐसे व्यक्तियों को निर्णय का अधिकार देना कहाँ तक उचित है ? (9) 04 माह से ( 3.10.2019 में ) कुछ बृजवासीयो ने श्रीनाथजी की संपत्ति के सदुपयोग व सुरक्षा के लिए बोर्ड द्वारा जो निर्णय लिए गए, उसका स्पष्टीकरण व सामाजिक अंकेक्षण करने के लिए कहा, तो बोडँ मेम्बर्स सामाजिक अंकेक्षण के नाम पर चुप क्यों ? क्या बोर्ड सदस्यों का मन्दिर के प्रति कोई कर्तव्य नहीं है ? CA. Dinesh Sanadhya - 06/02/2020 www.dineshapna.blogspot.com


















































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