Saturday 15 February 2020

श्रीजी के भक्तों का रजत काल (1531 से 1959) ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆ 141 वर्ष (1531 से 1672) श्रीनाथजी बृज से नाथद्वारा पधारे, इस "संकट काल" मे बृजवासीयो ने त्याग व बलिदान (सम्पत्ति व जीवन का) देकर श्रीजी व वल्लभ कुल की रक्षा की ! ◆ 150 वर्ष (1672 से 1822) नाथद्वारा पधारने के बाद,चार बार आक्रमण हुए, उस समय महाराणाजी, कोठरिया रावला व बृजवासीयो ने श्रीजी व वल्लभ कुल की रक्षा की व जमीन व धन से सहयोग किया ! ◆ 291 वर्ष (141 + 150) "संकट काल" होने से वल्लभ कुल, बृजवासीयो व महाराणा जी के बीच "स्वतः आपसी प्रेम" बना व रहा ! ◆ 137 वर्ष (1822 से 1959) "शान्ति काल" होने से वल्लभ कुल धिरे धिरे बृजवासीयो, महाराणा जी व कोठारिया रावला को भूलने लगे ! क्योंकि वल्लभ कुल का ध्यान श्रीनाथजी से हटकर उनकी सम्पत्तियों की ओर ज्यादा जाने लगा ! इस कारण से बृजवासीयो को श्रीजी से दूर कर दिया ! CA. Dinesh Sanadhya - 15/02/2020 www.dineshapna.blogspot.com





















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