Sunday 16 February 2020

श्रीजी भक्तों का कास्य काल (1959 से 2020 & ....) ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆ 61 वर्ष (1959 से 2020 & .... श्रीवल्लभाचार्य जी ने अपने वंशजों को "श्रीजी" की पूजा की जिम्मेदारी दी, किन्तु उनके वंशज केवल "श्री" की अति पूजा करने लगे ! तथा बृजवासीयो को श्रीजी से दूर कर दिया ! ◆ ऐसी स्थिति मे सरकार ने हस्तक्षेप कर "मन्दिर मण्डल"का गठन कर श्रीजी की सम्पत्तियों को बचाने का असफल प्रयास किया ! क्योंकि आज भी श्रीजी की सम्पत्तियां पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है ? ◆ सरकार ने बिना इतिहास को जाने, श्रीजी के सखाओ के 611 वर्षों के त्याग व बलिदान को जाने बिना, बृजवासीयो को पुनः श्रीजी से दूर किया, व बोडँ मेम्बर भी नहीं बनाया ! ◆ 61 वर्षों मे व अभी के 20 वर्षों मे सभी बोडँ मेम्बरों ने जो निर्णय लिए उनसे श्रीजी की सम्पत्तियों की रक्षा होने के स्थान पर नुकसान ही हुआ है ? यदि ऐसा नहीं हुआ है, तो उनका सामाजिक अंकेक्षण कराकर स्थिति स्पष्ट की जा सकती है ! ◆ 97 वर्ष शुरू के एक मात्र व 514 वर्ष वल्लभ कुल के साथ (कुल 611 वर्ष) जिन बृजवासीयो ने निस्वार्थ सेवा, त्याग व बलिदान दिया है, इसलिए उन्हें सामाजिक अंकेक्षण का भी 'पूर्ण कानूनी अधिकार" है ! ◆ जो "श्रीजी के सखा" है, उनका श्रीजी पर व उनकी सम्पत्ति की रक्षा का "परम्पराओं के अनुसार" भी "पूर्ण अधिकार" है ! अतः उन्हें "सामाजिक अंकेक्षण" करना चाहिए ! CA.Dinesh Sanadhya - 16/02/2020 www.dineshapna.blogspot.com

























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