Saturday 21 March 2020

★जीवन मे सफलता के लिए या जीवन को सफल बनाने के लिए - 10 मिनट व दिन मे तीन बार {सूर्योदय , दोपहर , संध्या} "ईश्वर नाम स्मरण" करें ! ★ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★आप ईश्वर को मानते हो या नहीं ! तो भी ........ आपको सोचना होगा कि दुनिया को व आपको चलाने वाली "एक शक्ति" जरूर है ! इसलिए प्रतिदिन उसका धन्यवाद करने व अपने जीवन को जीने की शक्ति प्राप्त करने हेतु कोई ईश्वर/शक्ति है जरूर ! अतः हमें उसका "नाम स्मरण" जरूर करना चाहिए ! ■"नाम स्मरण" से फायदा :- (१)आपको प्रतिदिन स्व शक्ति व स्व स्पूर्ती मिलेगी ! (२)आपकी एकता बढेगी, जिससे आपको शक्ति मिलेगी ! (३)आपका आत्मविश्वास बढेगा, जिससे सफलता मिलेगी ! ■"नाम स्मरण" क्या कब करें :- (१)केवल 10 मिनट ईश्वर "नाम" स्मरण करें ! (२)सूर्योदय समय (10 मिनट पूर्व व 10 मिनट बाद के बीच), दोपहर समय (10 मिनट पूर्व व 10 मिनट बाद के बीच), सूर्यास्त समय (10 मिनट पूर्व व 10 मिनट बाद के बीच) ! (३)प्रतिदिन 10 × 3 = 30 मिनट कुल समय ! ■"नाम स्मरण" कैसे करें :- (१)"हाथ मुँह धोकर" स्वच्छ जगह "सुखासन" मे बैठे ! (२)अपने "ईश्वर/ईष्ट देव" का धन्यवाद करते हुए नाम स्मरण करे ! (३)केवल 10 मिनट तक अपने 'ईश्वर का नाम/कोई भी मन्त्र का निरन्तर "नाम स्मरण" करे ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ 【◆】आप 10 मिनट "नाम स्मरण" (30 मिनट) करें ! 【◆】इससे ज्यादा समय हो तो 20 मिनट नाम स्मरण के साथ "प्राणायाम"(60 मिनट) करें ! 【◆】इससे ज्यादा समय हो तो नाम स्मरण व प्राणायाम के साथ 40 मिनट मन्त्रोच्चार के साथ "संध्या" (120 मिनट) करें ! 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 यह मैं नहीं कह रहा हूँ , ~~~~~~~~~~~~~~~ हमारा "सनातन धर्म" कहता है ! +++++++++++++ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ● भगवान राम संध्या करते थे, भगवान श्री कृष्ण संध्या करते थे, भगवान राम के गुरूदेव वशिष्ठ भी संध्या करते थे । मुसलमान लोग नमाज़ पढने में इतना विश्वास रखते हैं कि चालू आफिस से भी समय निकालकर नमाज पढने चले जाते हैं जबकि हम लोग आज पश्चिम की मैली संस्कृति तथा नश्वर संसार की नश्वर वस्तुओं को प्राप्त करने की होड़–दौड़ में संध्या करना बंद कर चुके हैं या भूल चुके हैं । शायद ही एक-दो प्रतिशत लोग कभी नियमित रूप से संध्या करते होगे । ●आजकल लोग संध्या करना भूल गये हैं इसलिए जीवन में तमस बढ़ गया है । प्राणायाम से जीवनशक्ति, बौद्धिक शक्ति और स्मरणशक्ति का विकास होता है । संध्या के समय हमारी सब नाड़ियों का मूल आधार जो सुषुम्ना नाड़ी है, उसका द्वार खुला हुआ होता है । इससे जीवनशक्ति, कुंडलिनी शक्ति के जागरण में सहयोग मिलता है । वैसे तो ध्यान-भजन कभी भी करो, पुण्यदायी होता है किन्तु संध्या के समय उसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है । त्रिकाल संध्या करने से विद्यार्थी भी बड़े तेजस्वी होते हैं । अतएव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए मनुष्यमात्र को त्रिकाल संध्या का सहारा लेकर अपना नैतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक उत्थान करना चाहिए । रात्रि में अनजाने में हुए पाप सुबह की संध्या से दूर होते हैं । सुबह से दोपहर तक के दोष दोपहर की संध्या से और दोपहर के बाद अनजाने में हुए पाप शाम की संध्या करने से नष्ट हो जाते हैं तथा अंतःकरण पवित्र होने लगता है । ●कब करें ? ••••••••••••••••••••• (१) प्रातः सूर्योदय के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक, (२) दोपहर के 12 बजे से 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक एवं (३)शाम को सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक - यह समय संधि का होता है । ● प्राचीन ऋषि-मुनि त्रिकाल संध्या करते थे । भगवान श्रीरामजी और उनके गुरुदेव वसिष्ठजी भी त्रिकाल संध्या करते थे । भगवान राम संध्या करने के बाद ही भोजन करते थे । इड़ा और पिंगला नाड़ी के बीच में जो सुषुम्ना नाड़ी है, उसे अध्यात्म की नाड़ी भी कहा जाता है। उसका मुख संधिकाल में उर्ध्वगामी होने से इस समय प्राणायाम, जप, ध्यान करने से सहज में ज़्यादा लाभ होता है। ●कैसे करें ?••••••••••••••••••• संध्या के समय हाथ-पैर धोकर, तीन चुल्लू पानी पीकर फिर संध्या में बैठें और प्राणायाम करें, जप करें, ध्यान करें तो बहुत अच्छा । अगर कोई ऑफिस या कहीं और जगह हो तो वहीं मानसिक रूप से कर ले तो भी ठीक है । ●ऋषि-मुनियों की बतायी हुई दिव्य प्रणाली •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• त्रिकाल संध्या माने हृदयरूपी घर में तीन बार बुहारी । इससे बहुत फायदा होता है । जो तीनों समय की संध्या करता है, उसे रोजी-रोटी की चिन्ता नहीं करनी पडती, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती और उसके कुल में दुष्ट आत्माएँ, माता-पिता को सतानेवाली आत्माएँ नहीं आतीं । ●त्रिकाल संध्या करने से असाध्य रोग भी मिट जाते हैं। ओज़, तेज, बुद्धि एवं जीवनशक्ति का विकास होता है। ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆●●●●●●हमारे ऋषि-मुनि एवं ◆◆◆श्रीराम तथा ◆◆◆श्रीकृष्ण आदि भी त्रिकाल संध्या करते थे। इसलिए हमें भी त्रिकाल संध्या करने का नियम लेना चाहिए। ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ●जीवन को यदि तेजस्वी, सफल और उन्नत बनाना हो तो मनुष्य को त्रिकाल संध्या जरूर करनी चाहिए । ●अतः सुबह, दोपहर एवं सांय- इन तीनों समय संध्या करनी चाहिए। त्रिकाल संध्या करने वालों को अमिट पुण्यपुंज प्राप्त होता है। 【त्रिकाल संध्या में प्राणायाम, जप, ध्यान का समावेश होता है।】 इस समय महापुरूषों के सत्संग की कैसेट भी सुन सकते हैं। आध्यात्मिक उन्नति के लिए त्रिकाल संध्या का नियम बहुत उपयोगी है। ●जबसे भारतवासी ऋषि-मुनियों की बतायी हुई दिव्य प्रणालियाँ भूल गये, त्रिकाल संध्या करना भूल गये, अध्यात्मज्ञान को भूल गये तभी से भारत का पतन प्रारम्भ हो गया । ●अब भी समय है, यदि भारतवासी शास्त्रों में बतायी गयी, संतों-महापुरुषों द्वारा बतायी गयी युक्तियों का अनुसरण करें तो वह दिन दूर नहीं कि भारत अपनी खोयी हुई आध्यात्मिक गरिमा को पुनः प्राप्त करके विश्वगुरु पद पर आसीन हो जाय । CA. Dinesh Sanadhya - 21/03/2020 www.dineshapna.blogspot.com









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