Monday 21 September 2020

★◆★पूछता है बृजवासी !★◆★ ◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆ "नए स्वाद" के साथ व्यापार की बधाई ! "नए स्वाद" के साथ सेवा कार्य कब से ! ◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆ ●व्यापार को व्यापार की तरह करते है, तो सेवा को सेवा की तरह कब करेंगे ? ●सेवा मे व्यापार को मिलाने से, न सेवा होती है व न व्यापार होता है, तो क्या केवल जनता के साथ धोखा होता है ? ●सेवा का दिखावा करके, व्यापार करना व धन / सम्पत्ति अर्जित करना, कहाँ तक नीति संगत है ? ●सेवा मे व्यापार सम्मिलित करने से सेवा कार्य ही दुषित हो जाते है, अतः ऐसा सेवा कार्य करना कैसे श्रेष्ठ है ? ◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆ संकटमोचन हनुमान - ऐपिसोड 20/09/2020 at 7.21 P.M. विनय न मानत जलधि जड़, गए तीनि दिन बीति । बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति ।। ◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆ दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी - 20/09/2020 CBI , Nathdwara C lean B rijwasi I nvestigation





 

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