Tuesday 24 August 2021

हिन्दू अपने धर्म को जाने, समझे व आत्मसात करें ! ★★★★★★ धर्मो रक्षति रक्षितः ★★★★★★ (तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा !) अर्थात् "धर्म की रक्षा करो, तुम स्वतः रक्षित हो जाओगे" "धर्म" ही इस चराचर जगत एवं सम्पूर्ण जीवों के जीवन का मूल है | धर्म के बिना न इस सृष्टि की कल्पना की जा सकती है और न ही मानव जीवन की | धर्म के बिना ये विश्व श्रीहीन हो जायेगा | जिसमें न किसी प्राणशक्ति का वास होगा न किन्हीं पुण्यविचारों का | ★धर्म क्या है ?★ "हिन्दू धर्म" के अनुसार - (१) परोपकार पुण्य है दूसरों को कष्ट देना पाप है ! (२) स्त्री आदरणीय है ! (३) पर्यावरण की रक्षा हमारी उच्च प्राथमिकता है ! (४) हिन्दू दृष्टि समतावादी एवं समन्वयवादी है ! (५) जीवमात्र की सेवा ही परमात्मा की सेवा है ! धर्म एक आधार है जिस पर मनुष्य के नैतिक एवं मानवीय गुण यथा दया, क्षमा, तप, त्याग, मनोबल, सत्यनिष्ठा, सुबुद्धि, शील, पराक्रम, नम्रता, कर्तव्यनिष्ठा, मर्यादा, सेवा, नैतिकता, विवेक, धैर्य इत्यादि पनपते हैं | धर्म की छत्रछाया में इन गुणों का सर्वांगीण विकास होता है | मनुष्य सिर्फ अपनी मानवाकृति के कारण मनुष्य नहीं कहलाता बल्कि अपने उपरोक्त गुणों से वास्तविक मनुष्य बनता है | मनुष्यों और पशुओं में अंतर शारीरिक नहीं है बल्कि पशुओं में ऊपर बताये गए मौलिक मानवीय गुणों में से कुछ का अभाव होता है| "हाँ" यहाँ ये भी कह देना आवश्यक है कि पशुओं में कुछ वो गुण जरूर होते हैं जो आजकल के मनुष्यों में नहीं होते | मौलिक मानवीय गुणों का सिर्फ होना ही आवश्यक नहीं है बल्कि उनकी निरंतर रक्षा भी होनी चाहिए | उपरोक्त वाक्यांश का पूरा श्लोक इस प्रकार है :- धर्म एव हतो हन्ति "धर्मो रक्षति रक्षितः" । तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् । अर्थात् ‘‘जो पुरूष धर्म का नाश करता है, उसी का नाश धर्म कर देता है, और जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म भी रक्षा करता है । इसलिए मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले, इस भय से धर्म का हनन अर्थात् त्याग कभी न करना चाहिए ।’’ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #24/08/2021 #dineshapna





 

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