Saturday 14 August 2021

शिव पुराण (भाग 2) - सात दिन (★संकल्प करें ! ★कर्म करें !) सावन मे आनंद की अनुभूति करें ! !१! शिव की पूजा करें ! शिव से सीखें ! ★अपनी पत्‍नी का सम्‍मान करें :- भगवान शिव को अर्धनारीश्‍वर भी कहते हैं जिसमें उनका आधा हिस्‍सा उनकी पत्‍नी पार्वती का है ! उन्‍होंने हमेशा पार्वती को सम्‍मान के साथ रखा और उनका हमेशा ध्‍यान रखा ! पार्वती उनकी शक्ति थी और उन्‍होंने हमेशा उन्‍हें वह महत्‍व दिया जिसकी वह हकदार थीं ! आप भी अपनी जिंदगी में अपनी पत्‍नी को वहीं स्‍थान दे जो भगवान शिव ने पार्वती को दिया था ! ★शिव से सीख सकते हैं नृत्‍यकला भी :- भगवान शिव को नटराज या फिर नृत्‍य का राजा माना जाता है ! हालांकि उनके नृत्‍य तांडव को दुनिया के विनाश का कारण माना जाता है लेकिन यह भी एक कला है जो उन्‍होंने इस दुनिया को दी है ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆2◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ सावन मे आनंद की अनुभूति करें ! !२! शिव की पूजा करें ! शिव से सीखें ! ★मृत्यु के सत्य को हमेशा याद रखें :- भगवान शिव श्मशान की राख (भस्म) शरीर पर धारण करते है ! इसके द्वारा यह सन्देश देते है कि यह शाश्वत सत्य है कि एक दिन यह शरीर राख होने वाला है अतः शरीर से ज्यादा आत्मा की शुद्वि का हमेशा ध्यान रखें ! यह बात हमेशा व प्रत्येक पल याद रखे ! आप भी अपनी जिंदगी में अच्छे कर्म करे व मृत्यु को प्रति पल सामने रखते हुए कार्य करे ! ★प्रेम से दिया, सभी स्वीकार करें :- शिवजी गुलाब के साथ आक के फूल को व केवडे के साथ धतूरे को भी स्वीकार करते है अर्थात् भक्त जो भी प्रेम से अर्पित करता है उसे सहर्ष स्वीकार करते है ! आपको भी कोई भी प्रेम से कम या ज्यादा, छोटा या बड़ा, साधारण या कीमती भेट दे, तो उसे सहर्ष स्वीकार करें ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆3◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ सावन मे आनंद की अनुभूति करें ! !३! शिव की पूजा करें ! शिव से सीखें ! ★शिव देवता और असुर दोनों के प्रिय :- भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं । वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी । उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था । शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं । हम भी सभी की भलाई के लिए कार्य करें तो हम सभी के प्रिय होगे । ★शिव का विरोधाभासिक परिवार है, तो भी एकता :- शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है । स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं । इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है । पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है । इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है । हमें भी हमेशा एकता बनाये रखना है, चाहे विरोधाभास भी हो । ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆4◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ सावन मे आनंद की अनुभूति करें ! !४! शिव की पूजा करें ! शिव से सीखें ! ★मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना या सत्य का साथ देना और सबसे बड़ा अधर्म है असत्य बोलना या उसका साथ देना । इसलिए हर किसी को अपने मन, अपनी बातें और अपने कामों से हमेशा उन्हीं को शामिल करना चाहिए, जिनमें सच्चाई हो क्योंकि इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है । असत्य कहना या किसी भी तरह से झूठ का साथ देना मनुष्य की बर्बादी का कारण बन सकता है । ★मनुष्य को अपने हर काम का साक्षी यानी गवाह खुद ही बनना चाहिए, चाहे फिर वह अच्छा काम करे या बुरा । उसे कभी भी ये नहीं सोचना चाहिए कि उसके कर्मों को कोई नहीं देख रहा है । कई लोगों के मन में गलत काम करते समय यही भाव मन में होता है कि उन्हें कोई नहीं देख रहा और इसी वजह से वे बिना किसी भी डर के पाप कर्म करते जाते हैं. लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है । मनुष्य अपने सभी कर्मों का साक्षी खुद ही होता है. अगर मनुष्य हमेशा यह एक भाव मन में रखेगा तो वह कोई भी पाप कर्म करने से खुद ही खुद को रोक लेगा । ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆5◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ सावन मे आनंद की अनुभूति करें ! !५! शिव की पूजा करें ! शिव से सीखें ! ★सर्वमान्य और सर्वोचित निर्णय ठण्डे दिमाग से ही लिये जा सकते हैं । महाशिव के मस्तक पर चन्द्रमा और गंगा का होना इस बात का संकेत है कि मस्तिष्क को सदा शीतल रखो । चन्द्रमा और गंगाजल दोनों में असीम शीतलता है । ★शिव ने कुरीतियों का बहिष्कार करने, दीन हीनों, सेवक दासों को प्रेम और आदर प्रदान करने का भी एक अनूठा उदाहरण स्थापित किया । अपने विवाह में उन्होनें दहेज न लेकर पर्वतराज की कन्या का वरण किया । देवों और ऋषियों की भांति अपने गणों, भूत प्रेतों को भी सम्मान करते हुए, उन्हें बारात में साथ चलने का अवसर दिया । ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆6◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ सावन मे आनंद की अनुभूति करें ! !६! शिव की पूजा करें ! शिव से सीखें ! ★कभी न करें ये तीन काम करने की इच्छा आगे भगवान शिव कहते हैंं । किसी भी मनुष्य को मन, वाणी और कर्मों से पाप करने की इच्छा नहीं करनी चाहिए । क्योंकि मनुष्य जैसा काम करता है उसे वैसा फल भोगना ही पड़ता है । यानि मनुष्य को अपने मन में ऐसी कोई बात नहीं आने देना चाहिए जो धर्म-ग्रंथों के अनुसार पाप मानी जाए । ना अपने मुंह से कोई ऐसी बात निकालनी चाहिए और ना ही ऐसा कोई काम करना चाहिए जिससे दूसरों को कोई परेशानी या दुख पहुँचे । ★यह एक बात समझ लेंगे तो नहीं करना पड़ेगा दुखों का सामना । शिव मनुष्योंं को कहते हैं, मनुष्य की तृष्णा यानि इच्छाओं से बड़ा कोई दुःख नहीं होता और इन्हें छोड़ देने से बड़ा कोई सुख नहीं है । मनुष्य का अपने मन पर वश नहीं होता । हर किसी के मन में कई अनावश्यक इच्छाएं होती हैं और यही इच्छाएं मनुष्य के दुःखों का कारण बनती हैं । जरूरी है कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं में अंतर समझे और फिर अनावश्यक इच्छाओं का त्याग करके शांत मन से जीवन बिताएँ । ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆7◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ सावन मे आनंद की अनुभूति करें ! !७! शिव की पूजा करें ! शिव से सीखें ! ★श्रेष्ठ परिवार प्रमुख में सबसे पहला गुण यह होना चाहिये कि वह अपने सुख से अधिक अपने आश्रितों के सुख की चिन्ता करे और इसके निमित्त त्याग करे । मनुष्य के जीवन में तीन वस्तुएँ सर्वाधिक आवश्यक है – रोटी, कपड़ा और मकान । भगवान शिव ने इन तीनों ही चीजों की समस्त सुविधाएं अपने परिवार को देकर, स्वयं सात्विक जीवन अपनाया है । उन्होंने परिवार के लोगों के लिये नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों, बहुमूल्य वस्त्रों और भव्य भवनों की व्यवस्था की है । उनका अपना आहार बना आक, धतूरा, बिल्वपत्र, वस्त्र बना बाघम्बर और निवास स्थान बनी श्मशान भूमि । ★जिस परिवार में दिन रात कलह मची हो, ईर्ष्या, द्वेष, वैर, स्पर्धा का बोल बाला हो, वह परिवार नर्क बन जाता है । स्वर्ग वहाँ है जहाँ एकता, प्रेम और शांति हो । अब देखो न, शिव का वाहन बैल, उमा का वाहन सिंह, शिव का कण्ठहार सर्प, श्री गणेश का वाहन मूषक और कार्तिक का वाहन मयूर । सब आपस में एक दूसरे के पुश्तैनी जानी दुश्मन है । मगर वाह रे शिव का प्रताप ! सबको प्रेम और एकता के ऐसे धागे में बाँध रखा है कि वे आपस में हिलमिल कर रहते हैं । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #02-03-04-05-06-07-08/08/2021 and 09/08/2021 #dineshapna

















 

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