Sunday 1 August 2021

★शिव पुराण - सात दिन★ (आनंद ले ! आत्मसात करें !) (26/07/2021 से 01/08/2021) (१)सावन के प्रधान देवता शिव है ! स्वयं विष पीकर, विश्व की भलाई करें ! ★सावन महीने मे भगवान विष्णु योगनिद्रा मे चले जाते है इसलिए सृष्टि के संचालन का दायित्व शिव पर होता है ! अतः सावन के प्रधान देवता शिव बन जाते है ! ★सावन महीने मे समुद्र मंथन हुआ, जिसमे से हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ मे समाहित कर सृष्टि की रक्षा की ! ★सावन महीने मे भगवान शिव की "आराधना करें" ! शिव की तरह सभी की भलाई के लिए "आचरण करें" ! ★सावन महीने मे भगवान शिव का "पूजन करें" ! शिव की तरह विष का पान करके जनता की भलाई का "कार्य करें" ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ दूसरा दिन ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (२)जीवन मे पूरा आनंद ले ! किन्तु अन्याय का नाश भी करे ! ★भगवान शिव हमेशा "डमरू" के साथ "त्रिशूल" रखते है ! ★भगवान श्रीकृष्ण "बाँसुरी" के साथ "सुदर्शन चक्र" भी रखते है ! ★भगवान शिव सन्देश देते है कि जीवन मे आनंद ले, डमरू के साथ किन्तु यदि कोई आपके आनंद मे अनावश्यक व्यवधान डाले, अन्याय करें, तो त्रिशूल का प्रयोग कर शत्रु का संहार करें ! ★भगवान श्रीकृष्ण सन्देश देते है कि जीवन मे आनंद ले, बाँसुरी के साथ किन्तु यदि कोई आपके आनंद मे अनावश्यक व्यवधान डाले, अन्याय करें, तो सुर्दशन चक्र का प्रयोग कर शत्रु का संहार करें ! ■आजकल "त्रिशूल / सुर्दशन चक्र" के स्थान पर "कानून" का उपयोग करे !■ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ तीसरा दिन ◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (३)अपनो के रक्षार्थ किसी से भी युद्ध करने को तैयार रहे ! आराध्य से सम्मान के साथ संघर्ष करें ! ★भगवान शिव रामावतार मे श्रीराम के बाल स्वरूप के दर्शन करने स्वयं पधारे, तो श्रीराम ने रावण युद्ध से पूर्व अपने आराध्य देव शिव की स्थापना कर पूजा की ! किन्तु तो भी शिवजी ने राजा वीरमणि के कारण श्रीराम से युद्ध किया ! ★भगवान शिव कृष्णावतार मे श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप के दर्शन करने स्वयं पधारे, तो श्रीकृष्ण सर्वसम्पन्न होते हुए भी भगवान शिव का सम्मान करते थे ! किन्तु तो भी शिवजी ने राजा बाणासुर के कारण श्रीकृष्ण से युद्ध किया ! ★भगवान शिव सन्देश देते है कि अपने भक्त को दिये गये वचन के लिए भक्त की रक्षार्थ अपने आराध्य देय श्रीराम / श्रीकृष्ण से भी युद्व करे ! ■भक्त की रक्षार्थ किसी से भी युद्ध करने को तैयार रहे !■ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ चौथा दिन ◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (४)कभी बुराई या नाइंसाफी बर्दाश्‍त न करें ! भौतिक चीजों के पीछे न भागे ! ★कभी बुराई या नाइंसाफी बर्दाश्‍त न करें :- भगवान शिव को बुराई का नाश करने वाला माना जाता है । उन्‍होंने कभी भी अन्‍याय नहीं सहा और बुराई के प्रतीक राक्षसों का नाश किया । इसी तरह से आप भी अपनी जीवन में हर बुराई के खिलाफ लड़ें और हर होने वाले अन्‍याय के खिलाफ आवाज जरूर उठाएं । ★भौतिक चीजों के पीछे न भागे :- भगवान शिव हमेशा धन और संपदा से दूर रहे । उनके पास अगर कुछ था तो वह था एक त्रिशूल और एक डमरू । वह आपको सिखा सकते हैं कि अगर आप भौतिकवाद के पीछे भागेंगे तो फिर कभी खुशियों को हासिल नहीं कर पाएंगे । ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ पाँचवा दिन ◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (५)नकारात्‍मक माहौल को हावी मत होने दें ! शांतचित्‍त होकर आगे बढ़ें ! ★नकारात्‍मक माहौल को हावी मत होने दें :- भगवान शिव को विष का पान करने की वजह से नीलकंठ नाम मिला था । समुद्र मंथन से निकले विष को सिर्फ भगवान शिव ही अपने कंठ में रख सकते थे । इस घटना से भगवान शिव ने दुनिया को हमेशा सकारात्‍मक रहने का संदेश दिया । उन्‍होंने बताया कि नकरात्‍मक माहौल या कोई घटना हमें सिर्फ कमजोर कर सकती है । ★शांतचित्‍त होकर आगे बढ़ें :- भगवान शिव को 'महायोगी' भी कहते हैं क्‍योंकि वह घंटों तक इस ब्रह्मांड के सुखी रहने के लिए तप किया करते थे । भगवान शिव का यह गुण आपको सीखा सकता है कि अगर आपका दिमाग शांत है तो फिर आप कोई भी लड़ाई जीत सकते हैं । किसी भी समस्‍या से बाहर निकलने के लिए यह एक बेहतर रणनीति होती है । ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ छठा दिन ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (६)जुनून विनाश की ओर ले जाता है ! आत्‍मनियंत्रण सफलता की कुंजी ! ★जुनून विनाश की ओर ले जाता है :- भगवान शिव हमेशा हर तरह की इच्‍छाओं से दूर रहे । उन्‍होंने कभी किसी चीज को हासिल करने का जुनून नहीं रखा । उनसे एक सच आपको सीखने को मिल सकता है कि इच्‍छाएं हमेशा जुनून की ओर ले जाती हैं और जुनून कभी-कभी आपके विनाश की वजह बन सकता है । ★आत्‍मनियंत्रण सफलता की कुंजी :- एक अनियंत्रित मन और दिमाग आपको विनाश की ओर ले जा सकता है । जब तक आपका ध्‍यान भटकता रहेगा तो आप कभी कोई युद्ध या लड़ाई जीत नहीं सकेंगे । ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि आप अपने दिमाग और दिल को अपने लक्ष्‍य की ओर ही केंद्रित रखें और इसे कभी भटकनें न दें । ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ सातवां दिन ◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (७)अपने घमंड को काबू में रखें ! हर चीज सिर्फ कुछ क्षण के लिए ! ★अपने घमंड को काबू में रखें :- आपका घमंड कभी-कभी आपके लक्ष्‍यों को हासिल करने और आपके सपनों के चूर-चूर होने की वजह में तब्‍दील हो सकता है । कहते हैं कि भगवान शिव अगर हाथ में त्रिशूल लेकर चलते थे तो इसका मकसद था कि वह अपने घमंड को काबू में रख सकें । उन्‍होंने न तो कभी अपने घमंड को अपने ऊपर हावी होने दिया और न ही किसी के घमंड को बर्दाश्‍त किया । ★हर चीज सिर्फ कुछ क्षण के लिए :- भगवान शिव एक महायोगी है और महायोगी कभी भी मोहमाया में नहीं पड़ते हैं । वह इस बात को जानते हैं कि जिंदगी सिर्फ कुछ पल की ही है और आज जो कुछ भी है वह कल कभी नहीं मौजूद रहेगा । जिंदगी में बदलाव आते हैं और हमें भी उन बदलावों को स्‍वीकार करना होगा । ■ शिव की पूजा करें ! शिव बने ! ■ सावन की शुभकामनाएं ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #26-27-28-29-30-31/7 & 01/08/2021 #dineshapna

 






















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