Thursday 26 August 2021

★हिन्दू अपने धर्म/ज्ञान को पूरा जाने व समझे, अधुरे ज्ञान का बहिष्कार करे !★ “अहिंसा परमो धर्मः , धर्म हिंसा तथैव च: ” (पूरा श्लोक महाभारत के अनुसार) (अर्थात् अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है !) ◆◆◆◆◆◆◆अधुरा ज्ञान◆◆◆◆◆◆◆◆ “अहिंसा परमो धर्म ” ............................ (अधुरा श्लोक व सन्देश महात्मा गांधी ने दिया) (अर्थात् अहिंसा मनुष्य का परम धर्म हैं !) अंग्रेजो ने 'फूट डालो राज करो ' नीति अपनाई । दो राजाओ या सामंतो को आपस मे लड़ा देते उनमे जो जीतता उसको वे स्वयं खत्म कर देते या दूसरे शक्तिशाली राजा से लड़ा देते । धीरे-धीरे उन्होंने लोगों को गुलाम बनाना शुरू किया । कुछ जागरूक लोगों ने उनका विरोध करना शुरू किया तो उन्हें महात्मा गांधी ने ये कह कर रोक दिया कि 'अहिंसा परमो धर्म:' अर्थात् अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है । हमे हिंसा नही करना चाहिए तथा ये भी समझाया कि 'अतिथि देवो भव ' अर्थात् अतिथि देव के समान होता है । परंतु एक बात समझ में नही आती कि महात्मा गांधी ने यह श्लोक अधूरा ही क्यों कहा ? उन्होंने आगे यह क्यूँ नही कहा कि "धर्म हिंसा तथैव च" अर्थात धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना भी धर्म है । ★ गांधी जी ने ये अधूरा श्लोक किस भाव से कहा ? ★ क्या वो अंग्रेजो की मदद करके इस देश को गुलाम बनाना चाहते थे ? यदि गुलाम बनाना चाहते थे तो उनके साथ कई महापुरुषों के नाम कुत्सित हो सकते है जिनमे पहला नाम रविन्द्र नाथ ठाकुर का होगा, क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले गांधी जी को महात्मा कहा । महात्मा अर्थात महान +आत्मा । महान है जो आत्मा । एक महात्मा पूरे विश्व के कल्याण की कामना करता है, परन्तु इन्होंने अपने ही देश के कल्याण के बारे में नही सोचा ! महात्मा का अर्थ जाने बिना किसी को महात्मा कह देना सर्वथा अनुचित है । यदि देश बचाना चाहते थे तो उन्हें पूरा श्लोक कह कर , लोगो को अधर्म के खिलाफ खड़े होकर लड़ने की सलाह देनी चाहिए थी क्योंकि अंग्रेज लोगो पर अन्याय और अत्याचार कर रहे थे । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #25/08/2021 #dineshapna




 

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