Friday 24 December 2021

■■नाथद्वारा मे विकास के आठ दर्शन■■ ■विकास से किसको कितना हुआ अर्जन■ ★विकास ऐसा हो, जिससे व्यवधान पैदा न हो ! ★★विकास ऐसा हो, जिसमें धन/जमीन बबार्द न हो ! ★★★विकास ऐसा हो, जिससे आमजन को फायदा हो ! नाथद्वारा मे कुछ विकास कार्य हुए है उसके लिए विकासकर्ता को धन्यवाद ! किन्तु उक्त विकास कार्यों के "ऊपर का तथ्य" व "अन्दर का सत्य" के बीच विरोधाभास क्यों है ? अतः आमजन को यह अधिकार है कि वह विकास कार्यों के "अन्दर का सत्य" जाने ! 【(१)】आईकोनिक गेट :- ◆गेट मे आप जिस तरफ से IN करते है उसके सामने OUT का रास्ता है और जिस तरफ से OUT करते है उसके सामने IN का रास्ता है ! ◆गेट का निर्माण सडक नियम के विरुद्ध हुआ है क्योंकि इसके बनने के बाद दुकानों के सामने 30 फीट की रोड घटकर, 10 फीट की रह गई ! ◆गेट के पास गाडँन तो बनाया किन्तु उसकी दिवार 10 फीट ऊंची है तो यह गाडँन आमजन के लिए कोई उपयोगी नहीं रहा क्योंकि जनता को गाडँन देखने के लिए ब्रिज के ऊपर पर जाना पडेगा व गाडँन के अन्दर जाने के लिए सीढी की जरूरत पडेगी ! ◆इस "आईकोनिक / अनावश्यक" गेट का निर्माण नगरपालिका ने मन्दिर से जमीन लूट करके, उसे बेचकर किया ! 【(२)】 माँडल बस स्टैण्ड :- ◆बड़े व निर्मित बस स्टैण्ड, लालबाग को बेचकर छोटा व बिना उचित पार्किंग के नया बस स्टैण्ड बनाना, कहाँ तक उचित है ! ◆पहले प्राईवेट बसों व सरकारी बसों का बस स्टैण्ड अलग अलग थे, उसको बढाने के बजाय दोनो बस स्टैण्ड एक ही जगह बनाना, कहाँ तक उचित है ? ◆लालबाग बस स्टैण्ड निर्माण के लिए ऋण का पूरा चुकारा करने से पहले बस स्टैण्ड की आधी जमीन बेचना व निर्मित बिल्डिंग को अनुपयोगी करना, कहाँ तक उचित है ? ◆नगरपालिका द्वारा लालबाग बस स्टैण्ड की जमीन मन्दिर से किराये पर ली, तो नगरपालिका उस जमीन को किसी अन्य व्यक्ति को कैसे बेच सकती है ? 【(३)】 ऐलिवेटेड़ पुल व फोरलेन :- ◆फोरलेन पर पुल छ: लेन का होना चाहिए व उस पर 90 डिग्री का मोड़ नहीं होना चाहिए, किन्तु नाथद्वारा मे ऐलिवेटेड़ पुल चार लेन का व उस पर 90 डिग्री मोड़ है, जो मौत को दावत देना है ! ◆फोरलेन सुविधा व सुरक्षा के लिए बनाई जाती हैं, किन्तु नाथूवास चौराहा व लालबाग पर पुल नहीं बनाना गलत है, जिससे जनता को अनावश्यक परेशानी व मौत का सामना करना पड़ रहा है ! ◆फोरलेन शहर के बाहर से निकालना सुविधाजनक होता है व अगर फोरलेन शहर के अंदर बनाई जाती है तो वहाँ सर्विस रोड़ होनी चाहिए, किन्तु अविवेकपूर्ण निर्णय के कारण फोरलेन जगह नहीं होने के बावजूद शहर के बीच से निकाली गई तथा सिंहाड़/नाथूवास तालाब दोनों बबार्द हुए व सर्विस रोड़ भी नहीं बनाई गई, जिससे यह "मौत की फोरलेन" बन गई है ! ◆ऐलिवेटेड़ पुल इसलिए बनाया जाता है, जिससे स्थानीय यातायात सुविधाजनक रहे व पार्किंग की समस्या भी नहीं रहे ! किन्तु अधिकारियों द्वारा ऐलिवेटेड़ पुल के नीचे की जगह पर गाडँन बनाया जा रहा है जो सर्वथा गलत है ! क्योंकि जहाँ (वन विभाग की जमीन) पर पेड़ लगाने चाहिए, वहाँ मकान/पार्किंग बनाई जा रही है और जहाँ पार्किंग होनी चाहिए, वहाँ गाडँन बनाया जा रहा है, जो सर्वथा गलत है ! 【(४)】 शिवमूर्ति व पार्क :- ◆एक दानवीर द्वारा आम जनता के लिए शिवमूर्ति व पार्क जनहित मे CSR फण्ड़ से 250 करोड़ खर्च किये जाते है जिसके लिए 25 बीघा जमीन नगरपालिका द्वारा दी जाती है, किन्तु हकीकत मे उक्त जमीन पर दुकानों व पार्किंग के काम लेकर व्यापार किया जा रहा है ! ◆शिवमूर्ति व पार्क के लिए 250 करोड़ रु. दान देकर, 250 करोड़ रु. से ज्यादा की जमीन ले ली जाती है तथा बाद मे 150 दुकानों से व टिकीट से आय के रूप मे मुनाफा ! इसे कहते है "आम के आम, गुठलियों के दाम" ◆दान ऐसा देना चाहिए जो आमजन कई वर्षो तक याद रखे , किन्तु यह दान ऐसा जो वर्षों तक इन्कम (मुनाफा) दे ! ◆दान / समाज सेवा मे खर्च करने का सही तरीका है - "जमीन लेकर दान देना" ! जैसे- आईकोनिक गेट, माँडल बस स्टैण्ड, शिवमूर्ति व पार्क आदि ! 【(५)】 बनाओ, तोड़ो व पुनः बनाओ ! (यह है विकास) :- ◆नाथद्वारा मे सड़क बनाई जाती हैं व कुछ ही महिनों / वर्षों मे पुनः तोड़ी जाती है, कभी कभी तो दूसरे दिन ही तोड़ी जाती है, तथा बाद मे पुनः वहीं सड़क बनाई जाती है ! नेता/अधिकारी उसको "विकास" कहते है ! किन्तु हकीकत मे यह धन की बबार्दी व जनता के लिए यह परेशानी है ! ◆"बड़ा बाजार स्कूल" बनाई गई, अभी अच्छी हालत मे होने के बावजूद तोड़ी जाती है तथा पुनः वहीं नई स्कूल बनाई जाती है और 12 करोड़ रुपये बबार्द करके, कहा जाता है कि यही "विकास" है ! अब ऐसा ही विकास "हाई स्कूल, फौज मोहल्ला" का किया जा रहा है ! ◆पायेगा काँटेज की अच्छी स्थिति मे होने के बावजूद, उसे तोड़कर, पुनः उसी जगह "वल्लभ विलास" करोड़ों रुपये खर्च करके बनाया जाता है, उसे "विकास" कहा जाता है ! ◆गाँधी पार्क, अन्य चौराहे, अन्य गाडँन, रोड़ लाईट, हाई मास्क लाईट, लालबाग बस स्टैण्ड आदि को पहले तोड़ा जाता है, उसके बाद उसी जगह पुनः वहीं निर्माण किया जाता है ! इस प्रकार जनता को "विकास" बताया जाता है ! यह "विकास" करना नहीं, "मूर्ख" बनाना है ! 【क्या कोई नेता/अधिकारी अपने घर को तोड़कर, पुनः वहीं घर बनाकर, अपना "विकास" का उदाहरण दे सकता है ? ★ यदि ● "हाँ" ● तो उदाहरण बताये ! ★ ★यदि ● "नहीं" ● तो ऐसा "विकास" नहीं करें !★】 【(६)】 जमीन देकर अनावश्यक निर्माण कराओ तथा उसे विकास बताओ ! (यह है विकास) :- ◆न.पा. नाथद्वारा द्वारा ऋण लेकर बनाये लालबाग, बस स्टैण्ड की जमीन को देकर, एक नया व छोटा "माँडल बस स्टैण्ड" बनाया जाता है, जो गलत/अनुपयोगी है ! इस लालबाग, बस स्टैण्ड की जमीन बेचने के कारण लालबाग बस स्टैण्ड की अच्छी खासी बिल्डिंग को बैकार कर दिया जाता है ! इससे भी अति तब हो जाती है जबकि उस लालबाग बस स्टैण्ड बनाने के लिए लिये गये ऋण का भुगतान भी बकाया हो और जो जमीन बेची गई, वह जमीन भी श्रीनाथजी मन्दिर से किराए पर ली हो ! ◆न.पा. नाथद्वारा द्वारा जमीन देकर, दानवीर से "आईकोनिक/ अनुपयोगी गेट" बनाया जाता है जिसका IN / OUT गलत दिशा मे होने के कारण आमजन को परेशानी हो रही है ! इसे दानवीर अपना दान बताये व न.पा. नाथद्वारा उसे विकास बताये ! ◆न.पा. नाथद्वारा द्वारा 25 बीघा जमीन देकर आमजन के लिए शिव मूर्ति व गाडँन बनाया जाता है किन्तु बाद मे दानवीर द्वारा उस जमीन को हथिया कर, उसका व्यावसायिक उपयोग करता है, जो गलत व धोखा है ! ◆अब ऐलिवेटेड़ पुल के नीचे आमजन के लिए गाडँन एक दानवीर के द्वारा बनाया जा रहा है, तो यह बताये कि उस दानवीर को कौनसी जमीन दी जायेगी ? जमीन देकर, गाडँन बनाने का कार्य कोई दूसरा दानवीर भी कर सकता है ! न.पा. नाथद्वारा केवल यह बताये कि उक्त गाडँन बनाने के लिए कौनसी व कितनी जमीन दी जा रही है ? ऐसा गाडँन बनाने के लिए दूसरे कई दानवीर तैयार है ! इसे "विकास/दान" नहीं "व्यापार/धोखाधड़ी" कहते है ! 【यदि न. पा. नाथद्वारा को "जमीन देकर" ही "विकास" कराना है तो ऐसा "विकास" आमजन को नहीं चाहिए !】 【(७)】 अतिक्रमण करके या अतिक्रमण करवाके या चुप रहके, हुआ निर्माण विकास है ! (यह है विकास) :- ◆न.पा. नाथद्वारा देश की एकमात्र न.पा. है जो स्वयं अतिक्रमण करने के साथ धोखाधड़ी करके जमीन हड़पती है ! लालबाग बस स्टैण्ड की जमीन श्रीनाथजी मन्दिर से किराये पर लेकर, उस जमीन को धोखे से अपने नाम करके उसे बेच देती है ! इसके अलावा न.पा. द्वारा लावटी पेट्रोल पम्प, बड़े मगरे की श्रीनाथजी मन्दिर की जमीनों पर अतिक्रमण करके, उसके पट्टे दे दिये है ! इससे जो नवनिर्माण होता है उसे विकास कहते हुए ! ◆न.पा. नाथद्वारा की सुखाडिया नगर व अन्य जमीनों पर यदि कोई सक्षम व्यक्ति अतिक्रमण करता है तो चुप रहती है व गरीब व्यक्ति अतिक्रमण करता है तो उस अतिक्रमण को तुरन्त हटा देती है ! इसको विकास कहते है ! ◆न.पा. नाथद्वारा यदि सक्षम व्यक्ति नियम विरुद्ध निर्माण या बिना पार्किंग के निर्माण करते है तो चुप रहते है या करने देते है और कोई गरीब नियम विरुद्ध करता है तो पुरा प्रशासन उसे रोकने पहुंच जाते है ! इसके अलावा स्वयं नियम विरुद्ध निर्माण करती है जैसे कोई भी नवनिर्माण मे 30 फीट रोड़ छोडनी होती है किन्तु आईकोनिक गेट निर्माण मे केवल 10 - 15 फीट की ही रोड़ छोड़ना, इसका प्रमाण है ! ◆प्रशासन की जिम्मेदारी है कि सरकारी जमीन (वन विभाग, नाथूवास/सिंहाड़ तालाब, नदी, बरसाती नाले, सड़क आदि) की सुरक्षा व अतिक्रमण रोकने की है किन्तु नाथद्वारा मे प्रशासन सरकारी जमीन (वन विभाग, नाथूवास/सिंहाड़ तालाब, नदी, बरसाती नाले, सड़क आदि) पर हो रहे अतिक्रमण पर आँखें बन्द करके व कान मे रुई डालकर बैठा है ! इसका मतलब उक्त सभी अतिक्रमणो मे अधिकारियों की मिलीभगत है ! इस अतिक्रमण को ही विकास कहा जा रहा है ! 【यदि न. पा. नाथद्वारा अतिक्रमण को ही "विकास" कहती है तो ऐसा "विकास" आमजन को नहीं चाहिए !】 【(८)】 विकास कार्य "नेताओं की खैरात" व "अधिकारियों की मेहरबानी" पर निर्भर है ! (यह है विकास) :- ◆विकास नेताओं की खैरात :- कोई भी विकास कार्य आम आदमी की जरूरत के लिए नहीं, बल्कि अपने वोट बैंक, अपने खास आदमी के फायदे, अपने कमीशन व उनकी मर्जी के अनुसार होता है ! आम आदमी के हित का तो दिखावा मात्र होता है व इसमें आम आदमी को फायदा केवल 30 % ही होता है ! ◆विकास अधिकारियों की मेहरबानी :- जो विकास कार्य होता है उसका धन 100% आम जनता का होता है किन्तु विकास कार्यो के निर्णय नेताओं द्वारा लिए जाते है तथा उसके क्रियान्वयन मे अधिकारियों की मेहरबानी चलती है ! इसमें भी कमीशन मिलने के बाद ही विकास कार्य होते है ! ◆विकास कार्य के लिए पैसा 100% आम जनता का होता है, किन्तु फायदा केवल 30% ही आम जनता को मिलता है ! क्योंकि 70% भेट चढ़ जाता है - नेताओं का कमीशन, अनावश्यक निर्माण, ठेकेदारों का फायदा, घटीया निर्माण, अधिकारियों का कमीशन व खास आदमी को फायदा आदि ! ◆(#)हकीकत नेता "जनता के प्रतिनिधि" (जनता के वोट से जीतना) के रुप मे कार्य करना चाहिए किन्तु हकीकत मे नेता अपने हित के लिए या अपनी पार्टी के हित के लिए ही कार्य करता है, जो गलत व धोखा देना है ! (#)हकीकत अधिकारी "जनता के नौकर" (जनता के पैसों से वेतन) के रुप मे कार्य करना चाहिए किन्तु हकीकत मे अधिकारी अपने हित के लिए या अपने नेताओं के हित के लिए ही कार्य करता है, जो गलत व दगाबाजी है ! 【अतः यह विकास ●व्यवधान पैदा करने वाला है, ●धन/जमीन बबार्द करने वाला है व ●इससे आमजन को भी कोई फायदा भी नहीं है !】 【आम "जनता के हित का विकास" कार्य तभी होगा, जब आम जनता को प्रत्येक "विकास कार्यों के सामाजिक अंकेक्षण" का अधिकार मिले ! 】 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #24/12/2021 #dineshapna

 














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