Friday 10 June 2022

जन प्रेस वार्ता - 3 (आम आदमी पार्टी द्वारा) मन्दिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो ! (समरसता हेतु) संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है अर्थात् सरकार का किसी धर्म मे हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए किन्तु हिन्दू मन्दिरों को नियंत्रित करने के लिए 30 काले कानून बनाये गये है, जो "गलत व संविधान विरोधी" है ! कुछ हिन्दू विरोधी कानूनो को हटाकर हिन्दू मन्दिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के तथ्य इस प्रकार है :- (१)30 हिन्दू विरोधी काले कानून संविधान विरोधी है, जो गलत व अन्याय पूर्ण है ! (२)सरकार 4 लाख मन्दिरों के दान मे प्राप्त धन व जमीन का उपयोग अन्य हिन्दू विरोधी धर्मों के लिए कर रही है, जो गलत व अन्याय पूर्ण है ! (३)सरकार हिन्दू मन्दिरों के धन को हड़पने के कारण हिन्दू मन्दिर के संचालन के लिए धन की कमी है, जिससे जनता को आवश्यक सुविधाएं नहीं मिल पा रही है और हिन्दू धर्म का प्रचार प्रसार नहीं हो पा रहा है ! (४)श्रीनाथजी मन्दिर, नाथद्वारा सन् 1959 से सरकारी नियंत्रण मे है ! सरकारी अधिकारियों व सरकारी बोर्ड मैम्बर्स के कारण ◆कई करोड़ों की जमीन मन्दिर के हाथ से निकल गई ! ◆करोड़ों रुपये वेतन के नाम पर बबार्द हो गये ! ◆कई मन्दिर की परम्पराएँ तोड़ी गई ! ◆कई अच्छी स्कूल बिल्डिंग / अन्य बिल्डिंग को तोड़कर पुनः बनाने मे धन बबार्द किया ! ◆कई बृजवासियों को बेरोजगार किया ! ◆करोड़ों का प्रसाद वी. आई. पी. के नाम से बाँटा गया ! ◆मन्दिर प्रसाद की गुणवत्ता मे कमी की गई ! (५)मन्दिर को सरकारी नियन्त्रण मे लेने का दोषी कौन है :- ◆1959 के समय की हिन्दू विरोधी सरकार व नेता ◆तत्कालीन महाराज श्री ◆उदासीन हिन्दू ◆बृजवासी जो महाराजश्री को सेवक की जगह मालिक मानते है ! (६)केवल बृजवासी जागे व श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा का अक्षरशः पालन करें ! ★आप (आम जनता व प्रेस प्रतिनिधि) का कोई प्रश्न हो तो पूछ सकते हो ! {यह अनोखी व अनवरत "जन प्रेस वार्ता" है !} सीए. दिनेश सनाढ्य - एक आम आदमी से पहले एक बृजवासी #(111)#10/06/22 #dineshapna ★★★★★★★विस्तृत विवरण★★★★★★★★ कांंग्रेस व बीजेपी दोनों चाहते है - हिन्दू - मुस्लिम दोनों लड़ते रहे ! संविधान विरुद्ध दो कानून - कांंग्रेस ने बनाया - बीजेपी चुप क्यों ! ■कांंग्रेस का सच :- कांंग्रेस ने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कार्य किया किन्तु धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध कानून बनाये - (१)हिन्दू धर्म दान एक्ट 1951 (२)पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 इससे हिन्दू - मुस्लिम के बीच खाई बढ़ी ! ■बीजेपी का सच :- हिन्दुओं की रक्षा की बातें करते है किन्तु धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध कानून पर चुप्पी - (१)हिन्दू धर्म दान एक्ट 1951 (२)पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 इससे हिन्दू - मुस्लिम के बीच खाई बढ़ी ! (१)क्या है 1951 हिन्दू धर्म दान एक्ट ? :- 1951 में कांग्रेस सरकार ने "हिंदू धर्म दान एक्ट" पास किया था। इस एक्ट के जरिए कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया कि वो किसी भी मंदिर को सरकार के अधीन कर सकते हैं। इस एक्ट के बनने के बाद से आंध्र प्रदेश सरकार नें लगभग 34,000 मंदिर को अपने अधीन ले लिया था। कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु ने भी मंदिरों को अपने अधीन कर दिया था ! इसके बाद शुरू हुआ मंदिरों के चढ़ावे में भ्रष्टाचार का खेल। उदाहरण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग 3500 करोड़ रूपए है। मंदिर में रोज बैंक से दो गाड़ियां आती हैं और मंदिर को मिले चढ़ावे की रकम को ले जाती हैं। इतना फंड मिलने के बाद भी तिरुपति मंदिर को सिर्फ 7 % फंड वापस मिलता है, रखरखाव के लिए। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री YSR रेड्डी ने तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से 5 को सरकार को देने का आदेश दिया था। इन पहाड़ियों पर चर्च का निर्माण किया जाना था। मंदिर को मिलने वाली चढ़ावे की रकम में से 80 % "गैर हिंदू" कामों के लिए किया जाता है। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक हर राज्य़ में यही हो रहा है। मंदिर से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल मस्जिदों और चर्चों के निर्माण में किया जा रहा है ! मंदिरों के फंड में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि कर्नाटक के 2 लाख मंदिरों में लगभग 50,000 मंदिर रखरखाव के अभाव के कारण बंद हो गए हैं। दुनिया के किसी भी लोकतंत्रिक देश में धार्मिक संस्थानों को सरकारों द्वारा कंट्रोल नहीं किया जाता है, ताकि लोगों की धार्मिक आजादी का हनन न होने पाए। लेकिन भारत में ऐसा हो रहा है। कांग्रेस सरकार ने मंदिरों को अपने कब्जे में इसलिए किया क्योंकि उन्हे पता है कि मंदिरों के चढ़ावे से सरकार को काफी फायदा हो सकता है। लेकिन, सिर्फ मंदिरों को ही कब्जे में लिया जा रहा है। मस्जिदों और चर्च पर सरकार का कंट्रोल नहीं है ! आवाज उठाओ... ●सरकार मंदिरों से अपना कब्जा हटाये... ●हमारा पैसा देश के कल्याण में लगे... न कि ईसाइयों के धर्म-परिवर्तन में और न जिहाद में ! (२)क्या है 1991 पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम ? :- इस अधिनियम का उद्देश्य स्पष्ट रूप से कहता है कि यह किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण को प्रतिबंधित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उसका धार्मिक रूप वैसा ही रहे, जैसा कि वह 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था. अधिनियम में धारा 3 और धारा 4 इसी आधार पर तैयार की गई हैं. अधिनियम की धारा 3 किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी धार्मिक संप्रदाय या वर्ग के पूजा स्थल के धर्मांतरण पर रोक लगाती है. वहीं अधिनियम की धारा 4 में यह स्पष्ट रूप से घोषित किया गया है कि किसी भी पूजा स्थल का रूप वही रहेगा जो स्वतंत्रता प्राप्ति के समय 15 अगस्त 1947 को था । साथ ही इस धारा में ये भी लिखा है कि 15 अगस्त 1947 को किसी स्थान के धर्म परिवर्तन से संबंधित किसी भी मौजूदा मुकदमे को अधिनियम शुरू होने के बाद समाप्त माना जाएगा और किसी भी अदालत में उसी मुद्दे पर आगे कोई मुकदमा या कानूनी कार्यवाही नहीं होगी. अधिनियम में ये भी निर्धारित किया गया है कि किसी भी कानूनी कार्यवाही के तहत अदालत पूजा स्थल के उसी धार्मिक चरित्र को बनाए रखने की कोशिश करेगी जिसमें वह 15 अगस्त 1947 को मौजूद था. हालांकि यदि कोई वाद, अपील या कोई अन्य कानूनी कार्यवाही इस आधार पर स्थापित या दायर की जाती है कि 15 अगस्त 1947 के बाद ऐसे किसी स्थान के धार्मिक स्वरूप में धर्मांतरण हुआ है, तो उसका निपटारा 1991 के अधिनियम की धारा 4 (1) के अनुसार किया जाएगा. वहीं अगर कोई धारा 3 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या उकसाने का प्रयास या कृत्य करता है तो दोषी को धारा 6 के तहत तीन साल की कैद और जुर्माने की सजा देने का प्रावधान रखा गया है. आवाज उठाओ... ●सरकार ने मंदिरों पर मुगलों व आततायियों के अतिक्रमण को सही ठहराया ..... ●सरकार ने हिन्दू - मुस्लिम को आपस मे लड़ने की स्थाई वजह दी .... सीए. दिनेश सनाढ्य - एक आम आदमी #(102) #24/05/22 #dineshapna ★★★★★★★विस्तृत विवरण★★★★★★★★ ★श्रीकृष्ण की सुनो ! श्रीनाथजी की मानो !★ ■बृजवासियों कुछ सोचो ! समझो ! उठो ! धर्म युद्ध करो ! श्रीनाथजी की आज्ञा की पालना करो ! सखा धर्म निभाओ !■ ■आओ ! नाथद्वारा मन्दिर को बचाओ ! घर मे थोडा विरोध करे, ताकि बड़े नुकसान से बचे !■ (१)श्रीनाथजी ने सन् 1478 को श्रीसद्दू पाण्डे जी (सनाढ्य) को "साक्षात् आज्ञा" व सन् 1492 को श्रीवल्लभाचार्य जी को "स्वप्न आज्ञा" दी ! उसके बाद बृजवासियों को "साक्षात् आज्ञा" दी ! इसलिए हमें उनकी उक्त सभी "साक्षात् आज्ञाओ" के अनुसार ही कार्य करना चाहिए तथा वह ही "हमारे लिए सर्वोपरि" है ! (२)बाद मे श्रीवल्लभाचार्य जी के वंशजों ने अपनी आज्ञा जोड़कर "सेवा पद्धति व पुष्टि मार्ग" को चलाया, जो सही था ! किन्तु तदुपरांत कुछ वल्लभ बालकों ने "अपने स्वार्थ व अपने को सर्वश्रेष्ठ बनाने" के चक्कर मे ऐसी - ऐसी "स्व आज्ञा" दे दी, जो "श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा" के विपरीत है ! यही गलत है, इसका ही विरोध है, इसी के लिए यह "धर्म युद्ध" है ! (३)वल्लभ कुल की "स्व आज्ञा" यह है कि "बृजवासियों के अधिकारो मे कमी", अपने आपको सर्वश्रेष्ठ मानना, श्रीनाथजी की "सम्पत्तियों को अपनी सम्पत्ति बनाना", मन्दिर को व्यापार की तरह चलाना, मन्दिर मे खास नियुक्ति अपने स्वार्थ के अनुरूप करना, बोर्ड मैम्बर्स का अपने अनुरूप चुनना व मन्दिर मे अनाचार, अव्यवस्था, परम्पराओं के टूटने पर चुप रहना ! इसकी सूची बहुत लम्बी है, यहाँ कुछ ही है ! (४)अभी भी समय है कि नाथद्वारा मठाधीश श्रीनाथजी के चरणों मे "अपने अहम् व स्वार्थ" को समर्पित करके श्रीनाथजी की "साक्षात् आज्ञानुसार कार्य" करे ! बृजवासियों को श्रीनाथजी के द्वारा दिये "सेवा अधिकार" मूल स्वरूप मे पुनः दे व "स्वयं श्रीवल्लभाचार्य जी बने" ! (५)यदि "वल्लभ कुल ऐसा नहीं करता" है तो श्रीनाथजी सर्वशक्तिमान है, वह अपनी आज्ञा की पालना कराने मे सक्षम है ! ध्यान रहे ! श्रीकृष्ण "धर्म की रक्षा" स्वयं भी करते है और "अन्य के माध्यम से भी" करते है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी (केवल श्रीनाथजी के लिए समर्पित सेवक) #10/06/2021 #dineshapna










 

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