Sunday 13 August 2023

जागो बृजवासी व रुको मठाधीश ! मन्दिर को सम्भाल नहीं सकते हो, तो उसे बेचो तो मत ! सरकार/अधिकारी लूट रहे है, मठाधीश लूटा रहे है और बृजवासी चुप है ! आपकी चुप्पी श्रीनाथजी के प्रति अपराध है, जो माफी योग्य भी नहीं है ! श्रीनाथजी मन्दिर पर सरकारी नियंत्रण मे होने का कारण व उसके दुश्परिणाम ! अतः एक बृजवासी आगाज करता है कि हिन्दू मन्दिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो ! ★★★★★★★★【1】★★★★★★★ राजसमन्द मन्दिर मण्डल के सदस्य जिला कलेक्टर ने बृजवासी को श्रीनाथजी के 350/- के नुकसान से बचाकर, पुलिस मे प्रकरण दर्ज कराया ! इससे मन्दिर मण्डल को फायदा कराने के लिए धन्यवाद ! किन्तु एक बृजवासी के पाँच सवाल :- (१) पुलिस मे दर्ज प्रकरण के अनुसार दर्शनार्थियों को होटल दिलवाने व मन्दिर मे दर्शन करवाने के लिए परेशान करने का प्रकरण दर्ज कराया ! तो बताये कौन दर्शनार्थी परेशान हुआ ? (२) बृजवासी के द्वारा दर्शन कराने के लिए 50/- लेने की बात की और मन्दिर को 350/- रुपये के नुकसान से बचाया ! तो क्या सरकारी अधिकारियों / कर्मचारीयो के द्वारा VIP दर्शन कराये जाते है और प्रसाद भी दिलवाते है ! जिस कारण मन्दिर को प्रतिदिन कितने 350/- रुपयों का नुकसान कराया जा रहा है ? इसके लिए प्रकरण दर्ज क्यों नहीं कराया गया ? (३) जिलाधिकारी को मन्दिर के 350/- नुकसान की चिंता है ! तो मन्दिर की लालबाग बस स्टैण्ड की करोड़ों रुपये की जमीन का नुकसान हुआ है ! जिसका प्रकरण कौन दर्ज करायेगा ? (४) जिलाधिकारी को मन्दिर के 350/- नुकसान की चिंता है ! तो क्या यह 350/- रुपये लेकर दर्शन कराना, पुष्टि मार्ग की कौनसी परम्परा है ? (५) जिलाधिकारी को मन्दिर के 350/- नुकसान की चिंता है ! तो लावटी पेट्रोल पम्प, बड़े मगरे की जमीन, सिंहाड़ मे श्रीनाथजी के प्रथम बार रथ रुकने वाली जमीन पर अतिक्रमण हुआ है ! जिसका प्रकरण कौन दर्ज करायेगा ? ★★★★★★★★【2】★★★★★★★ ★बृजवासी "सखा से लपके" V/S सरकारी अधिकारी "नौकर से मालिक" ★समस्या है - 350/- मे VIP दर्शन व्यवस्था, सभी के लिए समान रूप से लागू हो ! ★समस्या की मूल जड़ - मठाधीश "सेवक से मालिक" V/S संविधान विरुद्ध "सरकारी नियंत्रण" एक बृजवासी के पाँच सवाल :- (१) श्रीवल्लभाचार्य जी के बाद उनके वंशजों ने भगवान को सात स्वरुपों मे बाँटा ! उसके बाद 1876 मे तिलकायत गिरधारीलाल जी ने श्रीनाथजी को अपने "निजी भगवान" बनाने व उनकी सम्पत्तियों को अपनी "निजी सम्पत्ति" बनाने का कुप्रयास किया ! जिसके कारण उदयपुर के राणा ने 08/05/1876 को अपदस्थ कर निर्वासित किया ! (२) जबकि बृजवासियों ने 1409 से 1478 (69 वर्ष) तक श्रीनाथजी की उर्धभुजा का व 1478 से 1506 (28 वर्ष) तक पूर्ण स्वरूप की सेवा व पूजा की ! इस प्रकार कुल 97 वर्षों तक श्रीसद्दू पाण्डे व बृजवासियों ने ही सेवा की व उनके साथ खेले ! अतः बृजवासी श्रीनाथजी के सखा है ! तो श्रीनाथजी व उनकी सम्पत्तियों पर पहला अधिकार बृजवासियों का ही है ! (३) तिलकायत गिरधारीलाल जी के बाद भी उनके वंशजों ने भी श्रीनाथजी व उनकी सम्पत्तियों पर अधिकार बनाकर, उसका दुरुपयोग किया ! जिसके कारण मन्दिर मण्डल का गठन हुआ ! आज मन्दिर मण्डल भी श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की रक्षा करने मे असफल हो रहा है ! अतः बृजवासियों को अब अपने सखा (श्रीनाथजी) की सम्पत्तियों की रक्षा करने के लिए आगे आना होगा ! (४) वर्तमान मे सरकारी नियंत्रण होने के कारण VIP दर्शन के लिए 350/- रुपये लेना शुरू किया है ! तो यह बताये कि क्या सरकारी अधिकारी / नेता / उनके मित्र व रिश्तेदार VIP है या नहीं ? यदि है तो इनसे 350/- क्यों नहीं लिये जाते है ? CEO / Collector इस प्रश्न का जवाब बृजवासियों को दे ! क्योंकि बृजवासी श्रीनाथजी के सखा है और सखा होने के कारण श्रीनाथजी की सम्पत्ति / आय के बारे मे मन्दिर मण्डल से जानकारी लेने का अधिकार है ! (५) इस प्रकार महाराज श्री ने बृजवासी को "सखा से बंधुआ मजदूर" बना दिया व सरकारी अधिकारी ने "बंधुआ मजदूर से लपका" बना रहे है ! मठाधीश "सेवक से मालिक" बन गये व अपनी निजी फायदे के लिए सरकारी अधिकारीयो को भी "नौकर से मालिक" बना दिया है ! निष्कर्ष मे मठाधीश के "निजी स्वार्थ" व श्रीनाथजी व उनकी "सम्पत्तियों को हड़पने" के चक्कर मे बृजवासियों के साथ अन्याय कर रहे है और इस कार्य मे सरकारी अधिकारी उनका साथ दे रहे है ! ★★★★★★★★【3】★★★★★★★ प्रभु का गौशाला मे पधार कर गायो के साथ हो रहे उत्सव की बधाई ! इस उत्सव मे प्रभु के बाद "दो" की उपस्थिति परम आवश्यक है (१) श्रीनन्दरायजी के कुल की गाय (२) श्रीसद्दू पाण्डे के साथ बृजवासी क्योंकि स्वयं श्रीनाथजी ने साक्षात् आज्ञा किये - "श्रीसद्दू पाण्डे की खिरक मे श्रीनन्दरायजी के कुल की गाय का दूध आरोगाये" श्रीवल्लभाचार्य जी के वंशजों को भी श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा का पालन करते हुए श्रीसद्दू पाण्डे व श्रीनन्दरायजी के कुल की गाय को उचित सम्मान देना चाहिए ! ★★★★★★★★【4】★★★★★★★ नाथद्वारा मन्दिर मे श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा व पुष्टिमार्ग के विपरीत कार्य हो रहे है :- ★परम्पराओं को तोड़ाना ! ★सम्पत्तियों को लूटना ! ★ अनावश्यक सरकारी नियंत्रण करना ! (समस्या "अनेक" किन्तु समाधान "एक") (१) मठाधीशों के द्वारा सन् 1409 से 1506 के बीच का 97 वर्ष का इतिहास, व्यक्तियों व प्रसंगों को भुलाने का कार्य किया गया !【जैसे :- ●श्रीनाथजी प्राकृट्य का सत्य, ●श्रीसद्दू पाण्डे जी के द्वारा श्रीवल्लभाचार्य जी को श्रीनाथजी से मिलन कराना, ●बृजवासियों के द्वारा 97 वर्षों तक की गई निज सेवा कार्य, ●सखा भाव से सेवा कार्य, ●बृजवासियों का त्याग, समर्पण व निस्वार्थ सेवा आदि ! 】जिसके दुश्परिणाम सन् 1876 (147 वर्ष पूर्व) से आने लग गये ! (२) श्रीवल्लभाचार्य जी के बाद उनके वंशजों के द्वारा "सेवा भाव" के स्थान पर "अधिकार भाव" से कार्य, श्रीनाथजी की सम्पत्तियों को निजी सम्पत्ति बनाने का कुप्रयास व श्रीनाथजी के प्रति समर्पण भाव की कमी आदि के कारण सरकार ने हस्तक्षेप किया व सन् 1959 मे मन्दिर मण्डल का गठन हुआ ! (३) श्रीनाथजी की श्रीवल्लभाचार्य जी को "स्वप्न आज्ञा" का ध्यान है किन्तु श्रीसद्दू पाण्डे जी बृजवासियों को की गई "साक्षात् आज्ञा" को भुला दिया गया ! तथा उनके वंशजों मे "सेवा भाव" के स्थान पर "स्वार्थ भाव" अति जागृत होने से समस्याएँ उत्पन्न हुई है ! (४) सरकार ने मठाधीशों के द्वारा मन्दिर के धन व जमीन की लूट को रोकने के स्थान पर उन्हें ही बोर्ड का अध्यक्ष बनाना व संविधान विरुद्ध कानून बनाकर अपने नियंत्रण मे लेना, गलत है ! जबकि सरकार को चाहिए कि श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञानुसार मन्दिर का नियंत्रण बृजवासियों व मठाधीश को संयुक्त रूप से देकर न्याय करना चाहिए था ! (५) अतः बृजवासियों को चाहिए कि श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञानुसार मन्दिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराकर, मन्दिर का नियंत्रण बृजवासियों, मठाधीश, महाराणा जी व वैष्णवों को संयुक्त रुप से अपने हाथों मे लेना होगा ! इसका सम्पूर्ण रोड़ मेप "एक बृजवासी" के पास है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(59,60,61,62) #13/08/23 #dineshapna













 

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