Sunday 6 August 2023

★सरकार हिन्दू मन्दिरो को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करे ! "कांग्रेस" कानून बनाती है और "बीजेपी" चुप रहती है !★ नाथद्वारा मन्दिर बोर्ड ने ◆बोर्ड मे सुधार व मन्दिर मे निहित ◆भूमि व सम्पत्तियों मे बेहतर प्रबंधन हेतु मन्दिर मण्डल के कानून की सात (7) धाराओं मे परिवर्तन करके 2023 मे सरकार यह बिल लाई है ! इससे बताया गया कि इससे काल्पनिक फायदा हो सकता है किन्तु वास्तविक फायदा कम है, और वास्तविक नुकसान ज्यादा है ! क्योंकि इसके पीछे की सच्चाई कुछ और है ! (१) Amendment of sec. 2 :- इसमे नाथद्वारा मन्दिर बोर्ड के नियन्त्रण मे नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी के मन्दिर के अतिरिक्त जतीपुरा (UP) मे स्थित मुखारविन्द का स्थान व देश भर (All India) मे स्थित 84 बैठकों को शामिल किया गया है ! हकीकत यह है कि (i) नाथद्वारा मन्दिर बोर्ड 1959 से 2022 तक हजारों बीघा जमीन को बचाने मे असमर्थ रहा है तो आप ही सोचे कि इस Amendment 2023 के बाद शेष मन्दिर की जमीनों का क्या हाल होगा ? (ii) श्रीनाथजी के "सखा" बृजवासी है और महाराज श्री मुख्य पुजारी "सेवक" है जो बोर्ड के अध्यक्ष (मालिक) बन बैठे है जबकि बृजवासी को सखा से बंधुआ मजदूर बना दिया है ! अब इस Amendment 2023 के बाद मुखारविंद की सेवा का अधिकार बृजवासियों से छीना जा सकता है, जो गलत होकर बृजवासियों के साथ अन्याय है ! (२) Amendment of sec. 5 :- इसमें गोस्वामी के ज्येष्ठ पुत्र को पदेन सदस्य के रुप मे जोड़ा है जो 11 बोर्ड मैम्बर्स से अतिरिक्त होगा ! हकीकत यह है कि (i) जब गोस्वामी जी स्वयं अध्यक्ष है, बोर्ड के 11 सदस्यों के नाम अध्यक्ष के द्वारा ही भेजे जाते है, उपाध्यक्ष का चयन भी अध्यक्ष की सहमति से किया जाता है तो गोस्वामी के ज्येष्ठ पुत्र को पदेन सदस्य के रुप मे जोड़ना अनावश्यक है ! (ii) इसके स्थान पर बृजवासियों की सात जातियों मे से एक एक सदस्य लेना ज्यादा जरूरी है ! इसके साथ ही श्रीसद्दू पाण्डे जी के वंशजों मे से ज्येष्ठ पुत्र को पदेन सदस्य लेना चाहिए क्योंकि श्रीवल्लभाचार्य जी के गोवर्धन पधारने से पूर्व 97 वर्षो तक श्रीसद्दू पाण्डे जी व बृजवासियों ने ही श्रीनाथजी की सखा भाव से सेवा की थी ! (३) Amendment of sec. 9 :- इसमें अध्यक्ष के आकस्मिक रिक्ति की पूर्ति अध्यक्ष के ज्येष्ठ पुत्र से की जायेगी ! हकीकत यह है कि (i) जब तिलकायत अध्यक्ष है, और उसके बाद उनका ज्येष्ठ पुत्र तिलकायत बनेगा ! तो उस समय बोर्ड की स्थिति अद्भुत होगी ! अर्थात् Amendment sec. 5 के अनुसार गोस्वामी का ज्येष्ठ पुत्र पूर्व मे ही ex-officio मेम्बर्स है, तब तिलकायत के बाद ज्येष्ठ पुत्र तिलकायत बनेगा तो ex-officio मेम्बर्स का पद खाली रहेगा ! इस ex-officio मेम्बर्स का पद को कैसे भरा जायेगा ? या एक व्यक्ति दो पदों पर कार्य कैसे करेगा ? यह सोचने का विषय है ! (ii)इस बोर्ड मे श्रीवल्लभाचार्य जी (श्रीनाथजी के सेवक) को दो पद व इनके परिवार के पत्नी / भाई / ज्येष्ठ पुत्र / ज्येष्ठ पुत्री व परिवार का कोई भी सदस्य बोर्ड मैम्बर्स बन सकता है ! किन्तु श्री सद्दू पाण्डे (बृजवासी) जिन्होंने 97 वषों तक सेवा की व श्रीवल्लभाचार्य जी को श्रीनाथजी से प्रथम बार मिलाया ! उनका बोर्ड मैम्बर्स मे कोई स्थान नहीं है ! यह कैसा कानून / नियम / संविधान / न्याय है ? (४) Amendment of sec. 10(3) :- इसमें बोर्ड को भंग करने की स्थिति मे सरकार के द्वारा पुनः व्यक्ति की नियुक्ति तिलकायत के परिवार के सदस्यों मे से की जायेगी ! हकीकत यह है कि (i) अगर तिलकायत के गलत आचरण के कारण बोर्ड को भंग किया जाता है तो प्रदेश सरकार को पुनः तिलकायत परिवार से ही व्यक्ति का चयन करना पडेगा ! ऐसी स्थिति मे प्रदेश सरकार द्वारा बोर्ड को भंग करने का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है ! (ii) प्रदेश सरकार द्वारा उक्त मन्दिर मण्डल का 1959 मे गठन के पीछे का मुख्य कारण तत्कालीन तिलकायत के श्रीनाथजी के हितों के विपरित आचरण ही था और इस Amendment मे बोर्ड भंग करने की स्थिति मे पुनः तिलकायत के परिवार से व्यक्ति की नियुक्ति करना गलत होकर प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है ! (५) Amendment of sec. 17(2) :- इसमें बोर्ड सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए जमीन लीज पर दे सकते है ! इसके पूर्व बोर्ड केवल पांच वर्ष के लिए ही लीज पर दे सकते थे ! हकीकत यह है कि (i) इस Amendment के बाद मन्दिर मण्डल सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए जमीन लीज पर दे सकने के कारण जमीन की लूट का रास्ता खुल रहा है ! जिससे खास आदमी व नेता (सरकार) को मन्दिर से जमीन लेने का रास्ता खुल रहा है ! जैसे नाथद्वारा मे शिवमूर्ति के नाम पर 30 वर्ष के लिए लीज ली, किन्तु इस लीज को 99 वर्ष के लिए बढ़ा दी ! इस प्रकार भगवान (शिवमूर्ति) के नाम पर जमीन नगरपालिका से लूटी, उसी प्रकार से सोलर पावर के नाम पर मन्दिर की जमीन लूटी जायेगी ! (ii) श्रीनाथजी मन्दिर के पास सैकड़ों बिघा जमीन है, करोड़ों रुपये है व हजारों जनशक्ति (बृजवासी) है, तो क्यों नहीं मन्दिर मण्डल स्वयं ही सोलर पावर प्लांट लगाये ! जिससे मन्दिर मण्डल की आय मे वृद्धि होने के साथ हजारों बृजवासियों को रोजगार भी मिलेगा ! (६) Amendment of sec. 18A :- इसमें कार्यकारिणी समिति का गठन सरकार द्वारा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व एक बोर्ड मैम्बर से दिन प्रतिदिन के कार्यों के लिए होगा ! अन्य समितियो का निर्माण बोर्ड स्वयं प्रस्ताव के द्वारा कर सकेगे ! इसके अतिरिक्त बोर्ड के द्वारा अधिकृत होकर अध्यक्ष स्वयं भी अकेले ही अन्य समितियाँ बना सकते है तथा इन अन्य समितियो मे दो मैम्बर बोर्ड व एक अन्य व्यक्ति को शामिल किया जायेगा ! हकीकत यह है कि (i) कार्यकारिणी समिति की क्या आवश्यकता है ? जबकि दिन प्रतिदिन के कार्य करने के लिए मुख्य निष्पादन अधिकारी है ! इसके अलावा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष व्यस्त होने के साथ मुम्बई रहते है, तो दिन प्रतिदिन के कार्य कैसे देखेंगे ? (ii) अन्य समितियो का गठन अध्यक्ष द्वारा ही किया जायेगा, तो मनमानी होने की सम्भावना रहेगी ! इसके अतिरिक्त इसमें बोर्ड सदस्यों के अलावा अन्य व्यक्ति को भी शामिल करने से दिन प्रतिदिन के कार्यो मे हस्तक्षेप बढ़ जायेगा ! (७) Amendment of sec. 19 :- इसमें मुख्य निष्पादन अधिकारी का कार्यकाल तीन वर्ष है, जिसे राज्य सरकार बोर्ड अध्यक्ष के विचार विमर्श से बढ़ा सकती है ! हकीकत यह है कि (i) मुख्य निष्पादन अधिकारी की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है , जबकि उसका वेतन मन्दिर बोर्ड द्वारा दिया जाता है तो इनकी नियुक्ति / चयन का अधिकार भी मन्दिर बोर्ड को ही होना चाहिए ! यदि ऐसा नहीं है तो इसका स्पष्ट मतलब यह है कि सरकार का मन्दिर मे सीधा हस्तक्षेप है, जो संंविधान की धर्मनिरपेक्षता की मूल भावना के विपरीत है ! (ii) मुख्य निष्पादन अधिकारी का कार्यकाल तीन वर्ष से अधिक होने पर उसकी मनमानी करने की सम्भावना बढ़ जाती है जो मन्दिर हित मे नहीं है ! इसके साथ राज्य सरकार बोर्ड अध्यक्ष के विचार विमर्श से बढ़ाने के नियम के स्थान पर मन्दिर बोर्ड की सर्वसम्मति से ही बढ़ाने का नियम होना चाहिए ! ★★जयश्रीकृष्ण★★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(57) #06/08/23 #dineshapna







































 

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