Wednesday 23 August 2023

श्रीनाथजी मन्दिर पर सरकारी नियंत्रण के दुश्परिणाम ? बृजवासियों को श्रीनाथजी की निजसेवा से दूर क्यों ? (१) श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस तीन बार क्यों ? ◆(प्रथम) - सन् 1409 - श्रावण शुक्ल पंचमी, वि.सं. १४६६ - नागपंचमी के दिन श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस ! ◆(द्वितीय) - सन् 1478 - वैशाख कृष्ण एकादशी, वि.सं. १५३५ - श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस व श्रीवल्लभाचार्य जी का जन्मदिन ! ◆(तृतीय) सन् 1506 - वि.सं. १५६३ - श्रीवल्लभाचार्य जी श्रीसद्दू पाण्डे जी के घर पधारे व उन्होंने श्रीनाथजी से प्रथम मिलन कराया, वह दिन श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस ! (२) श्रीनाथजी का रथ सिंहाड़ मे जिस जगह जमीन मे धंसा था, उस अति महत्त्वपूर्ण स्थान के प्रति लापरवाही क्यों ? ◆सरकारी मन्दिर बोर्ड की लापरवाही से वह महत्त्वपूर्ण स्थान आमजन की पहुँच से अनभिज्ञ है ! ◆सरकारी मन्दिर बोर्ड के इस कृत्य से बृजवासियों की भावनाओं व श्रीनाथजी के इतिहास के प्रति घोर लापरवाही है ! (३)श्रीनाथजी जिस रथ पर विराजमान होकर यहाँ पधारे, उस महत्त्वपूर्ण रथ की उपेक्षा क्यों ? ◆सरकारी मन्दिर बोर्ड की लापरवाही से वह रथ आमजन व वैष्णवों के सहज दर्शन से दूर है ! ◆सरकारी मन्दिर बोर्ड के इस कृत्य से बृजवासियों की भावनाओं व श्रीनाथजी के एतिहासिक रथ के प्रति घोर लापरवाही है ! (४)बृजवासियों को श्रीनाथजी की निजसेवा से दूर क्यों ? ◆यदि श्रीनाथजी के "प्राकृट्य का सही दिन", "सिंहाड़ का स्थान" व "श्रीनाथजी का रथ" ! इन सभी को सत्य इतिहास के साथ बताया जायेगा तो बृजवासियों के निस्वार्थ प्रेम व त्याग का सभी को पता लगेगा, जिससे मठाधीश / सरकारी बोर्ड के महत्त्व को कम होने का डर है ! ◆यदि उक्त तीनों तथ्य सत्यता के साथ आमजन को पता चलेगा तो "बृजवासियों को श्रीनाथजी की निजसेवा का अधिकार" देना पड़ेगा, जो मठाधीश / सरकारी बोर्ड को पसंद नहीं होगा ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(71) #23/08/23 #dineshapna



























 

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