Monday 28 August 2023

■नाथद्वारा मन्दिर सरकारी नियंत्रण मुक्त क्यों हो ?■ ★श्रीनाथजी मन्दिर को नुकसान धन/सम्पत्तियों का क्यों ?★ ★नुकसान वही करा रहे है जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी है !★ (१) श्रीनाथजी मन्दिर की धन / सम्पत्तियों की सुरक्षा व बेहतर प्रबंधन की जिम्मेदारी सरकार ने 1959 मे नाथद्वारा मन्दिर मण्डल कानून बनाकर ली ! (२) सरकार ने मन्दिर की आय बढ़ाने के लिए VIP दर्शन के लिए 350/- रु. लेना शुरू किया, जो मन्दिर के हित मे है ! अतः सभी VIP से 350/- रु. लेने चाहिए ! (३) 9 वे सीपीए सम्मेलन मे नेता, अधिकारी व अन्य सभी VIP श्रीनाथजी मन्दिर दर्शन करने आयेंगे, जो अच्छी बात है ! (४) अतः CEO व बोर्ड सदस्य Collector की जिम्मेदारी है कि उनको VIP दर्शन कराये तथा सभी से 350/- रु. ले ! इस प्रकार मन्दिर को करीब 1,75,000/- रु. की आय होगी ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆{2}◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ★लोकतंत्र के सशक्तिकरण पर मंथन हो !★ ★मन्दिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करके लोकतंत्र को पहले बचाये !★ (१)लोकतंत्र संविधान से चलता है व संविधान के अनुरुप ही कानून बने, तब ही लोकतंत्र सशक्त होगा ! (२) संंविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, तो सरकार का धर्म मे हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए ! साथ मे कानून सभी के लिए समान होने चाहिए ! (३) किन्तु भारत मे 30 हिन्दू विरोधी काले कानून बनाए गये, जिससे हिन्दू मन्दिरों पर सरकारी नियंत्रण है और उनकी सम्पत्तियों / धन का नेता / सरकार मनमाना उपयोग करते है, जो संंविधान विरुद्ध है ! (४) संविधान व कानून सभी के लिए समान होने के स्थान पर हिन्दू विरोधी है, जो गलत है ! जैसे :- हिन्दू मन्दिरो पर सरकारी नियंत्रण है किन्तु मस्जिद व चर्च पर कोई सरकारी नियंत्रण क्यों नहीं ? (५) मेवाड़ की धरा पर मंथन करने पधारे, तो नाथद्वारा मन्दिर मण्डल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने पर भी निर्णय ले ! सरकारी हस्तक्षेप से नाथद्वारा मन्दिर मण्डल को धन/जमीन/सम्पत्तियों को नुकसान हो रहा है, जिसे तुरन्त रोका जाये ! ★लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि आम आदमी की राय पर भी विचार हो !★ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆{3}◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ★नाथद्वारा मन्दिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करें !★ ★इसके साथ बृजवासियों से उनका हक नहीं छिने !★ (१) श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस श्रावण शुक्ल पंचमी को है किन्तु इस दिन को केवल नागपंचमी के रुप मे ही मनाया जाता है ! इस श्रीनाथजी के प्राकृट्य दिवस को श्रीवल्लभाचार्य जी के प्राकृट्य दिवस जैसे भी नहीं मनाया जाता है ! (२) क्योंकि आज श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस मनाते है तो बृजवासीयो को भी याद करना व सम्मान देना पड़ेगा ! ऐसा श्रीवल्लभाचार्यजी के वंशज नहीं चाहते है ! (३) श्रीवल्लभाचार्यजी के वंशजो ने सन् 1409 से 1506 तक (97 वर्षों) का इतिहास छुपाने का असफल प्रयास किया है ! क्योंकि इन वर्षों मे श्रीसद्दू पाण्डे व बृजवासियों ने ही श्रीनाथजी की निजसेवा, त्याग, समर्पण किया था ! (४) श्रीनाथजी का प्राकृट्य का गूढ़ सत्य यह है कि श्रीवल्लभाचार्य जी का श्रीनाथजी से मिलन श्रीसद्दू पाण्डे जी व बृजवासियों ने 97 वर्षों के बाद कराया ! (५) अतः श्रीवल्लभाचार्य जी के वंशजो का कर्तव्य है कि बृजवासियों को श्रीनाथजी की निजसेवा व मन्दिर से सम्बन्धित सभी निर्णय लेने का अधिकार दे तथा मन्दिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराये ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆{4}◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ श्रीनाथजी मन्दिर पर सरकारी नियंत्रण के दुश्परिणाम ? बृजवासियों को श्रीनाथजी की निजसेवा से दूर क्यों ? (१) श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस तीन बार क्यों ? ◆(प्रथम) - सन् 1409 - श्रावण शुक्ल पंचमी, वि.सं. १४६६ - नागपंचमी के दिन श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस ! ◆(द्वितीय) - सन् 1478 - वैशाख कृष्ण एकादशी, वि.सं. १५३५ - श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस व श्रीवल्लभाचार्य जी का जन्मदिन ! ◆(तृतीय) सन् 1506 - वि.सं. १५६३ - श्रीवल्लभाचार्य जी श्रीसद्दू पाण्डे जी के घर पधारे व उन्होंने श्रीनाथजी से प्रथम मिलन कराया, वह दिन श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस ! (२) श्रीनाथजी का रथ सिंहाड़ मे जिस जगह जमीन मे धंसा था, उस अति महत्त्वपूर्ण स्थान के प्रति लापरवाही क्यों ? ◆सरकारी मन्दिर बोर्ड की लापरवाही से वह महत्त्वपूर्ण स्थान आमजन की पहुँच से अनभिज्ञ है ! ◆सरकारी मन्दिर बोर्ड के इस कृत्य से बृजवासियों की भावनाओं व श्रीनाथजी के इतिहास के प्रति घोर लापरवाही है ! (३)श्रीनाथजी जिस रथ पर विराजमान होकर यहाँ पधारे, उस महत्त्वपूर्ण रथ की उपेक्षा क्यों ? ◆सरकारी मन्दिर बोर्ड की लापरवाही से वह रथ आमजन व वैष्णवों के सहज दर्शन से दूर है ! ◆सरकारी मन्दिर बोर्ड के इस कृत्य से बृजवासियों की भावनाओं व श्रीनाथजी के एतिहासिक रथ के प्रति घोर लापरवाही है ! (४)बृजवासियों को श्रीनाथजी की निजसेवा से दूर क्यों ? ◆यदि श्रीनाथजी के "प्राकृट्य का सही दिन", "सिंहाड़ का स्थान" व "श्रीनाथजी का रथ" ! इन सभी को सत्य इतिहास के साथ बताया जायेगा तो बृजवासियों के निस्वार्थ प्रेम व त्याग का सभी को पता लगेगा, जिससे मठाधीश / सरकारी बोर्ड के महत्त्व को कम होने का डर है ! ◆यदि उक्त तीनों तथ्य सत्यता के साथ आमजन को पता चलेगा तो "बृजवासियों को श्रीनाथजी की निजसेवा का अधिकार" देना पड़ेगा, जो मठाधीश / सरकारी बोर्ड को पसंद नहीं होगा ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(68) (69) (70) (71) #23/08/23 #dineshapna चन्द्र यान - 3 की चन्द्रमा पर सफल लेन्डिग !















 

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