Saturday 12 August 2023

नाथद्वारा मन्दिर मे श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा व पुष्टिमार्ग के विपरीत कार्य हो रहे है :- ★परम्पराओं को तोड़ाना ! ★सम्पत्तियों को लूटना ! ★ अनावश्यक सरकारी नियंत्रण करना ! (समस्या "अनेक" किन्तु समाधान "एक") (१) मठाधीशों के द्वारा सन् 1409 से 1506 के बीच का 97 वर्ष का इतिहास, व्यक्तियों व प्रसंगों को भुलाने का कार्य किया गया !【जैसे :- ●श्रीनाथजी प्राकृट्य का सत्य, ●श्रीसद्दू पाण्डे जी के द्वारा श्रीवल्लभाचार्य जी को श्रीनाथजी से मिलन कराना, ●बृजवासियों के द्वारा 97 वर्षों तक की गई निज सेवा कार्य, ●सखा भाव से सेवा कार्य, ●बृजवासियों का त्याग, समर्पण व निस्वार्थ सेवा आदि ! 】जिसके दुश्परिणाम सन् 1876 (147 वर्ष पूर्व) से आने लग गये ! (२) श्रीवल्लभाचार्य जी के बाद उनके वंशजों के द्वारा "सेवा भाव" के स्थान पर "अधिकार भाव" से कार्य, श्रीनाथजी की सम्पत्तियों को निजी सम्पत्ति बनाने का कुप्रयास व श्रीनाथजी के प्रति समर्पण भाव की कमी आदि के कारण सरकार ने हस्तक्षेप किया व सन् 1959 मे मन्दिर मण्डल का गठन हुआ ! (३) श्रीनाथजी की श्रीवल्लभाचार्य जी को "स्वप्न आज्ञा" का ध्यान है किन्तु श्रीसद्दू पाण्डे जी बृजवासियों को की गई "साक्षात् आज्ञा" को भुला दिया गया ! तथा उनके वंशजों मे "सेवा भाव" के स्थान पर "स्वार्थ भाव" अति जागृत होने से समस्याएँ उत्पन्न हुई है ! (४) सरकार ने मठाधीशों के द्वारा मन्दिर के धन व जमीन की लूट को रोकने के स्थान पर उन्हें ही बोर्ड का अध्यक्ष बनाना व संविधान विरुद्ध कानून बनाकर अपने नियंत्रण मे लेना, गलत है ! जबकि सरकार को चाहिए कि श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञानुसार मन्दिर का नियंत्रण बृजवासियों व मठाधीश को संयुक्त रूप से देकर न्याय करना चाहिए था ! (५) अतः बृजवासियों को चाहिए कि श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञानुसार मन्दिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराकर, मन्दिर का नियंत्रण बृजवासियों, मठाधीश, महाराणा जी व वैष्णवों को संयुक्त रुप से अपने हाथों मे लेना होगा ! इसका सम्पूर्ण रोड़ मेप "एक बृजवासी" के पास है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(62) #12/08/23 #dineshapna








 

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