Wednesday 2 August 2023

★सरकार हिन्दू मन्दिरो को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करे ! "कांग्रेस" कानून बनाती है और "बीजेपी" चुप रहती है !★ नाथद्वारा मन्दिर बोर्ड ने ◆बोर्ड मे सुधार व मन्दिर मे निहित ◆भूमि व सम्पत्तियों मे बेहतर प्रबंधन हेतु मन्दिर मण्डल के कानून की सात (7) धाराओं मे परिवर्तन करके 2023 मे सरकार यह बिल लाई है ! इससे बताया गया कि इससे काल्पनिक फायदा हो सकता है किन्तु वास्तविक फायदा कम है, और वास्तविक नुकसान ज्यादा है ! क्योंकि इसके पीछे की सच्चाई कुछ और है ! (१) Amendment of sec. 2 :- इसमे नाथद्वारा मन्दिर बोर्ड के नियन्त्रण मे नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी के मन्दिर के अतिरिक्त जतीपुरा (UP) मे स्थित मुखारविन्द का स्थान व देश भर (All India) मे स्थित 84 बैठकों को शामिल किया गया है ! हकीकत यह है कि (i) नाथद्वारा मन्दिर बोर्ड 1959 से 2022 तक हजारों बीघा जमीन को बचाने मे असमर्थ रहा है तो आप ही सोचे कि इस Amendment 2023 के बाद शेष मन्दिर की जमीनों का क्या हाल होगा ? (ii) श्रीनाथजी के "सखा" बृजवासी है और महाराज श्री मुख्य पुजारी "सेवक" है जो बोर्ड के अध्यक्ष (मालिक) बन बैठे है जबकि बृजवासी को सखा से बंधुआ मजदूर बना दिया है ! अब इस Amendment 2023 के बाद मुखारविंद की सेवा का अधिकार बृजवासियों से छीना जा सकता है, जो गलत होकर बृजवासियों के साथ अन्याय है ! (२) Amendment of sec. 5 :- इसमें गोस्वामी के ज्येष्ठ पुत्र को पदेन सदस्य के रुप मे जोड़ा है जो 11 बोर्ड मैम्बर्स से अतिरिक्त होगा ! हकीकत यह है कि (i) जब गोस्वामी जी स्वयं अध्यक्ष है, बोर्ड के 11 सदस्यों के नाम अध्यक्ष के द्वारा ही भेजे जाते है, उपाध्यक्ष का चयन भी अध्यक्ष की सहमति से किया जाता है तो गोस्वामी के ज्येष्ठ पुत्र को पदेन सदस्य के रुप मे जोड़ना अनावश्यक है ! (ii) इसके स्थान पर बृजवासियों की सात जातियों मे से एक एक सदस्य लेना ज्यादा जरूरी है ! इसके साथ ही श्रीसद्दू पाण्डे जी के वंशजों मे से ज्येष्ठ पुत्र को पदेन सदस्य लेना चाहिए क्योंकि श्रीवल्लभाचार्य जी के गोवर्धन पधारने से पूर्व 97 वर्षो तक श्रीसद्दू पाण्डे जी व बृजवासियों ने ही श्रीनाथजी की सखा भाव से सेवा की थी ! (३) Amendment of sec. 9 :- इसमें अध्यक्ष के आकस्मिक रिक्ति की पूर्ति अध्यक्ष के ज्येष्ठ पुत्र से की जायेगी ! हकीकत यह है कि (i) जब तिलकायत अध्यक्ष है, और उसके बाद उनका ज्येष्ठ पुत्र तिलकायत बनेगा ! तो उस समय बोर्ड की स्थिति अद्भुत होगी ! अर्थात् Amendment sec. 5 के अनुसार गोस्वामी का ज्येष्ठ पुत्र पूर्व मे ही ex-officio मेम्बर्स है, तब तिलकायत के बाद ज्येष्ठ पुत्र तिलकायत बनेगा तो ex-officio मेम्बर्स का पद खाली रहेगा ! इस ex-officio मेम्बर्स का पद को कैसे भरा जायेगा ? या एक व्यक्ति दो पदों पर कार्य कैसे करेगा ? यह सोचने का विषय है ! (ii)इस बोर्ड मे श्रीवल्लभाचार्य जी (श्रीनाथजी के सेवक) को दो पद व इनके परिवार के पत्नी / भाई / ज्येष्ठ पुत्र / ज्येष्ठ पुत्री व परिवार का कोई भी सदस्य बोर्ड मैम्बर्स बन सकता है ! किन्तु श्री सद्दू पाण्डे (बृजवासी) जिन्होंने 97 वषों तक सेवा की व श्रीवल्लभाचार्य जी को श्रीनाथजी से प्रथम बार मिलाया ! उनका बोर्ड मैम्बर्स मे कोई स्थान नहीं है ! यह कैसा कानून / नियम / संविधान / न्याय है ? शेष आगे की पोस्ट मे .............. (४) Amendment of sec. 10(3) (५) Amendment of sec. 17(2) (६) Amendment of sec. 18A (७) Amendment of sec. 19 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(53) #02/08/23 #dineshapna












 

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