Saturday 24 July 2021

मानस विचारों का वैक्सीन, डोज रोज लेना जरूरी ! रामायण प्रेमयज्ञ माने, प्रेम जरूर समान रुप से बाँटे ! (१)क्या प्रेम केवल स्वयं से ही करना चाहिए ? उस "अति स्वप्रेम से दूसरों को नुकसान" होता है तो वह प्रेम ज़हर से भी ज्यादा नुकसान देय है ! (२)क्या धीमा जहर बेचकर, उस आय मे से कुछ राशि से भोजन बाँटना "समाज सेवा" है ? (३)क्या सरकार से "जमीन लेकर" उसका प्रतिफल देने के बजाय उस राशि से निर्माण कार्य करने को "समाज सेवा" कहते है ? (४)क्या अप्रत्यक्ष रुप से "श्रीनाथजी की जमीन" लेकर, उसके प्रतिफल को निर्माण कार्य मे लगाना "समाज सेवा" है ? (५)क्या रामायण से प्रेम का ही सन्देश मिलता है ? रामायण प्रथम तो "मर्यादा व त्याग का सन्देश" व बाद मे प्रेम का सन्देश देती है ! (६)प्रेम किससे करना चाहिए ? प्रेम भी "पहले दूसरों से" व बाद मे स्वयं से तथा मूलतः ईश्वर से करना चाहिए ! (७)विचारों की वैक्सीन कौन लगायेगा ? 【गुरु/ज्ञानी/त्यागी/शिष्य】 (८)विचारों की वैक्सीन का असर नहीं होता है तो दोषी कौन ? 【वैक्सीन/गुरु/शिष्य】 (९)विचारों की वैक्सीन असरदार कैसे बनाये ? 【सत्य से/स्पष्टता से/वैक्सीन बदल कर/लेने वाले को बदल कर】 ★प्रथम नव वैक्सीन (रामायण से)★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #17/07/2021 #dineshapna




 

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