Monday 15 March 2021

★धर्म (श्रीनाथजी मन्दिर / पुष्टि मार्ग) का संचालन - 【●पहले ●बाद मे ●आजकल】★ (१)पहले धर्म (श्रीनाथजी मन्दिर / पुष्टि मार्ग) का संचालन होता था - ●धर्म (श्रीनाथजी मन्दिर / पुष्टि मार्ग) सिद्धांत व ●धर्म (श्रीनाथजी मन्दिर / पुष्टि मार्ग) परम्पराओं से !【√】 (२)बाद मे धर्म (श्रीनाथजी मन्दिर / पुष्टि मार्ग) का संचालन हो रहा था - ●धन सिद्धांत व ●मनमानी परम्पराओं से !【×】 (३)आजकल धर्म (श्रीनाथजी मन्दिर / पुष्टि मार्ग) का संचालन हो रहा है ●राजनीतिक कानून व ●व्यापारिक परम्पराओं से !【×】 (१)सर्वप्रथम श्रीनाथजी के दर्शन, सेवा व सुरक्षा बृजवासियों /सद्दू पाण्डे जी द्वारा 97 वर्षों तक की, उसके बाद वल्लभाचार्य जी ने नई सेवा प्रणाली व पुष्टि मार्ग की स्थापना की ! तब ●निस्वार्थ प्रेम, समर्पण सेवा व पुष्टि मार्ग के सिद्धांत व ●उसी अनुसार परम्परा थी ! (२)बाद मे श्रीनाथजी के नाथद्वारा पधारने व शान्ति स्थापित होने के बाद वल्लभ कुल द्वारा ●धन सिद्धांत व ●मनमानी परम्परा बनाकर बृजवासियों को उनके अधिकारों से वंचित करना शुरू कर दिया ! वल्लभ कुल जबकि सेवक थे, उन्होंने अपने आप को राजा घोषित कर बृजवासीयो श्रीनाथजी के सखा से सेवक बना दिया ! (३)आजकल वल्लभ कुल की गलती के कारण टेम्पल बोर्ड सन् 1959 मे बनाया गया ! इसमे मन्दिर का संचालन ●राजनीतिक कानून व ●व्यापारिक परम्पराओं से किया जाने लगा जो आज भी जारी है ! इस प्रकार पुष्टि मार्ग के सिद्धांत गौण हो गये, बृजवासियों के प्रथम सेवा व सुरक्षा के अधिकारो को भी गौण करते हुए केवल उन्हें नौकर बना दिया व स्वयं महाराजश्री भी हस्ताक्षर मशीन व मूक दर्शक बनकर मन्दिर की सम्पत्तियों को लूटते हुए व परम्पराओं को टूटते हुए देख रहे है तथा बृजवासियों को भी चुप रहने को मजबूर कर रहे है ! अब पुनः हमें श्रीनाथजी का मन्दिर / पुष्टि मार्ग का संचालन ●श्रीवल्लभाचार्य जी के सिद्धांतों के अनुसार ही करना है ! ●बृजवासियों को सर्वप्रथम श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा नुसार सेवा व सुरक्षा का कार्य करना है ! ●महाराजश्री को श्रीवल्लभाचार्य जी के अनुसार ही केवल सादा जीवन जीते हुए सेवा व पुष्टि ज्ञान का प्रचार प्रसार करना है ! ●सन् 1409 से 1534 की श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा व परम्पराओं के अनुसार ही कार्य करना है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #15/03/2021 #dineshapna






 

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