Wednesday 24 March 2021

जाने हिन्दुओं का सही इतिहास :: श्रीनाथजी का सत्य इतिहास ! मेवाड़ के महाराणा, राजपूत व बृजवासियों के बलिदान का सत्य ! क्या हमें मालूम है नवधा भक्ति ? श्रीनाथजी से सम्बंधित नौ प्रश्न ? नाथद्वारा मे एक बलिदान चौक हो, जहाँ बलिदानों का सम्मान हो ! औरंगज़ेब ने समस्त वैष्णव मन्दिरों को तोड़ने का आदेश दिया । मथुरा के श्रीनाथ जी मंदिर के बृजवासी व पुजारी श्री कृष्ण की मूर्ति लेकर राजस्थान की ओर निकल गए । जयपुर व जोधपुर के राजाओं ने औरंगज़ेब से बैर लेना उचित नहीं समझा । श्रीनाथजी के बृजवासी व पुजारी मेवाड़ की पुष्यभूमि पर महाराणा राजसिंह के पास गए । एक क्षण के विलम्ब के बिना राज सिंह ने यह कहा - “ जब तक मेरे एक लाख राजपूतों का सर नहीं कट जाए , आलमगीर भगवान की मूर्ति को हाथ नहीं लगा सकता । आपको मेवाड़ में जो स्थान जंचे चुन लीजिए , मैं स्वयं आकर मूर्ति स्थापित करूँगा । “ मेवाड़ के ग्राम सिहाड़ में श्रीनाथजी की प्रतिष्ठा धूमधाम से हुई , जिसमें स्वयं राज सिंह पधारे । आज जो प्रसिद्ध नाथद्वारा तीर्थस्थल है , वह सिहाड़ ग्राम ही है । औरंगज़ेब ने राज सिंह जी को पत्र लिखा कि श्रीनाथजी की मूर्ति को शरण दी तो युद्ध होगा । राज सिंह जी ने कोई उत्तर ना दिया । चुपचाप मारवाड़ के वीर दुर्गादास राठौड़ के नेतृत्व में राठौडों व मेवाड़ के हिन्दुओं की सामूहिक सेना का गठन करने लगे । 1679-80 ईसवीं । दो वर्षों तक मुग़ल मेवाड़ संघर्ष चला । दो बार राज सिंह जी ने औरंगज़ेब को गिरफ़्तार करके दया करके छोड़ दिया । 1680 में पूर्ण रूप से पराजित औरंगज़ेब अपना काला मुँह लेकर सर्वथा के लिए राजस्थान से चला गया । नाथद्वारा हम में से बहुत लोग गए हैं । तो क्या हमें निम्न नौ प्रश्नों का उत्तर मालूम है ? (१)हमें क्यूँ नहीं पता कि यह विग्रह मूल रूप से जतिपुरा, मथुरा के हैं ? (२)किसके कारण श्रीनाथजी के पुजारियों को पलायन करना पड़ा ? (३)किसने अपना सर्वस्व दाँव पर लगाकर श्रीनाथजी की रक्षा की ? (४)कितने बृजवासियों ने अपने प्राण देकर श्रीनाथजी व मन्दिर की सुरक्षा की ? (५)किसी ने राज सिंह जी का नाम भी सुना है ? (६)हमें क्यूँ नहीं पता कि पचास सहस्त्र (हज़ार) मेवाड़ व मारवाड़ के हिन्दुओं ने शीश का बलिदान देकर मुग़लों से श्रीनाथजी की रक्षा की थी ? (७)इस अभागे देश के इतिहासकार तो ठग हैं ही पर हम हिन्दुओं को क्या हुआ है कि हम अपने साथ हुए अन्याय को भूल गये ? (८)क्यों हम बृजवासियों के बलिदान व समर्पण को भूल गये है ? (९)भोगविलास में हम अपने देवताओं, अपने महिमाशाली पुरखों (जिन्होंने बलिदान दिया) के नाम तक हम क्यों विस्मृत कर चुके हैं ? अब हम नाथद्वारा जाएँ तो इन महान पूर्वजों की स्मृति में दो अश्रु बहाएँ व आकाश की ओर मुँह करके इन महान आत्माओं का धन्यवाद दें जिनके कारण हम आज हिन्दू व हिन्दू मन्दिर सुरक्षित हैं । नाथद्वारा मे एक बलिदान चौक होना चाहिए जहाँ जाकर जनता को पता चले कि इस मन्दिर को बचाने के लिए किन किन लोगो ने बलिदान दिया है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #25/03/2021 #dineshapna #SaveHinduTemples #FreeHinduTemples #SaveNathdwaraTemple #Shreenath , #Shreenathji , #shrinathji , #dineshapna #shreeji , #nathdwara , #एक_बृजवासी #एक_हिन्दुस्तानी , #mynathdwara , #nathdwara_live , #nathdwara_darshan , #shreeji_darshan , #haldighati , #udaipur , #shrinathji , #shrinathji_darshan_time , #shrinathji_darshan , #shriji , #dineshapna , #dinesh_sanadhya , #culture , #art , #नाथद्वारा , #नाथद्वारा_मन्दिर , #श्रीनाथजी #श्रीसद्दू_पाण्डे , #दिनेश_अपना , #दिनेश_सनाढ्य #vallabhacharyaji , #pusti , #pustimarg








 

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