Sunday 10 July 2022

१★एक लक्ष्य :: दो उपाय !★ (मन्दिर सरकारी नियंत्रण मुक्त हो :: कानून से या धर्म से) २★नाथद्वारा मन्दिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो !★ (मन्दिर मूल आस्थावान के नियंत्रण मे ही हो) ३★नाथद्वारा मन्दिर के लिए आवाज - प्रयास व प्रगति !★ (03/08/2016 से 09/07/2022) ४★लक्ष्य का प्रयास - एक से अब अनेक तक !★ (नाथद्वारा मन्दिर से 4 लाख मन्दिरों तक) ५★हिन्दू मन्दिरो व नाथद्वारा मन्दिर मे अनियमितता का मुख्य कारण !★ (◆धन की आशक्ति, ◆सक्षम का प्रभुत्व व अहंम, ◆आमजन के अधिकारो का हनन, ◆सरकारी हस्तक्षेप) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(135) #10/07/22 #dineshapna ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ ★★★ धर्मो रक्षति रक्षितः ★★★ धर्म को हानि पहुँचाने वाले से खतरनाक, धर्म की हानि होते हुए देखने वाला होता है ! परन्तु जो हिन्दू होकर धर्म की हानि करता है, वह अक्षम्य अपराध है ! यह साड़ी पर श्रीनाथजी की छवि को प्रिंट करने वाला "धर्म का अपराधी" है तो उस साड़ी को बेचने वाला उससे भी बड़ा "धर्म का अपराधी" है ! यह साड़ी प्रिंट करने वाला व उक्त साड़ी बेचने वाला, दोनों पुष्टि मार्ग के दीपक है ! इसके अलावा हिन्दू, नाथद्वारा वासी, बृजवासी व वैष्णव जो देख रहे है, वह सभी भी दोषी है ! इससे भी ज्यादा मठाधीश दोषी है क्योंकि पहले भी ऐसी घटना मठाधीश के सामने हुई और मठाधीश चुप रहे ! अब हम सभी को इसका विरोध करना होगा, ★ सामाजिक बहिष्कार करना होगा, ★ कानूनी कार्यवाही करनी होगी ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(131) #03/04/22 #dineshapna ★★★★★★★★★★★★★★★★ 56 भोग श्रीनाथजी के लिए समर्पण भाव से या स्वआत्म सन्तुष्टि व आत्म अहमं सुखाय: ! श्रीनाथजी के लिए बृजवासियों ने अपनी सम्पत्ति व जीवन का त्याग 350 वर्ष पूर्व सन् 1665 से किया ! उनकी श्रीनाथजी के प्रति "आस्था व त्याग" है ! इसलिए श्रीनाथजी बृजवासियों को "अपना सखा" मानते है ! उक्त "आस्था व त्याग" आजतक भी है ! बृजवासी श्रीनाथजी की "निस्वार्थ सेवा" करते है व प्रतिफल मे श्रीनाथजी केवल जीने की व्यवस्था व "अनन्त सखा का प्रेम" देते है ! ऐसा ही श्रीनाथजी से निस्वार्थ भक्ति व त्याग मेवाड़ के महाराणा व राजपूतों ने किया ! वर्तमान मे कुछ लोग श्रीनाथजी की भक्ति का दिखावा करके, श्रीनाथजी के प्रति अक्षम्य अपराध अपनी आत्म अहमं सुखाय: करते हुए कुछ कृत्य कर रहे है और जिम्मेदार मठाधीश देखते हुए भी चुप है ! श्रीनाथजी की छवि को ब्लाऊज व साड़ी पर प्रिंट कराकर पहन रहे है ! जो हमारी श्रीनाथजी के प्रति "आस्था व त्याग" का अपमान है ! श्रीनाथजी के धन / सम्पत्तियों का नाश करने तक हम चुप थे किन्तु अब श्रीनाथजी व हमारी आस्था / त्याग का अपमान असहनीय है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(132) #05/07/22 #dineshapna ★★★★★★★★★★★★★★★★ श्रीनाथजी मे लूट की छूट, अब नहीं होने देगा बृजवासी ! पहले धन को व सम्पत्तियों को लूटा, अब सम्मान को नहीं ! (१)श्रीनाथजी के लिए व उनके कहने से बृजवासियों ने ●अपनी सम्पत्ति, ●अपने परिजन व ●जीवन तक का त्याग/बलिदान दिया ! (२)यह बृजवासियों का श्रीनाथजी के प्रति ●सखाभाव, ●निस्वार्थ प्रेम व ●समर्पण है ! (३)बृजवासियों की श्रीनाथजी के प्रति आस्था, प्रेम व त्याग मे बाधक बन रहे है ●मठाधीश का अहंम, ●सरकार का नियंत्रण व ●अधिकारियों/नेताओं की कानून/परम्परा विरुद्ध कार्यवाही ! (४)इन सभी ने श्रीनाथजी के ●धन, ●सम्पत्ति (बहुमूल्य वस्तुएं) व ●जमीन को लूटा/लूटाया व अभी भी लूट जारी है ! (५)उक्त सभी लूट का मुख्य "कारण" - ●बृजवासियों का श्रीनाथजी के प्रति अटूट प्रेम/त्याग के साथ मठाधीश को श्रीवल्लभाचार्यजी मानना है, ●मठाधीश का श्रीनाथजी के सेवक/पुजारी से मठाधीश बनना व ●मठाधीश की गलतियों से मन्दिर पर सरकारी नियंत्रण होना ! (६)इन सभी कृत्यों का मुख्य "परिणाम" - ●श्रीनाथजी के धन/सम्पत्ति/जमीन का दुरुपयोग/लूट, ●श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा व मन्दिर की परम्पराओं की अवमानना व ●श्रीनाथजी व पुष्टिमार्ग का अपमान ! (७)इन सभी का मुख्य "उपाय" - ●संविधान/हिन्दू विरोधी कानूनों से मन्दिर को नियंत्रण से मुक्त कराना, ●मठाधीश को श्रीवल्लभाचार्य जी के अन्तिम उद्देश्य के अनुरूप श्रीनाथजी के प्रति अन्तरमुखी बनाना व श्रीवल्लभाचार्य जी के अनुसार इनको महाराजश्री से श्रीनाथजी के केवल सेवक/पुजारी बनाना व ●श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञाओ को कानून/वल्लभ आज्ञा से ऊपर मानते हूए, उनकी अक्षरश: पालना सुनिश्चित कराना ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(133) #08/07/22 #dineshapna ★★★★★★★★★★★★★★★★ श्रीनाथजी के सेवक से मन्दिर के मठाधीश कैसे बने ? श्रीनाथजी के सखा को बन्धुआ मजदूर कैसे बनाया ? (१)बृजवासियों के लिए श्रीकृष्णजी ने दूसरी बार "निस्वार्थ प्रेम व आत्मसमर्पण" के कारण श्रीनाथजी के रुप मे "पाषाण मूर्ति" रुप मे अवतार लिया, किन्तु "निस्वार्थ प्रेम व आत्मसमर्पण की भक्ति से भगवत्व प्राप्ति" आमजन को बताने व पूजा पद्वति के लिए श्रीवल्लभाचार्य जी को श्रीनाथजी ने नियुक्त किया ! (२)श्रीवल्लभाचार्य जी ने "निस्वार्थ सेवा व आत्मसमर्पण" के साथ श्रीनाथजी की सेवा की बात कही थी, किन्तु उनके वंशज "सस्वार्थ सेवा व स्वहित" के साथ भी सेवा नहीं कर रहे है, जबकि बृजवासी "सखा भाव से बिना आर्थिक फायदे की आशा" मे सेवा कर रहे है ! (३)बृजवासी आज भी "सखा भाव" से सेवा कर रहे है, तब भी मठाधीश ने उन्हें "सेवा वाले सेवक" व मन्दिर मण्डल ने "बन्धुआ मजदूर" बना दिया है ! इसके विपरीत मठाधीश "सेवक / पुजारी" से "स्व घोषित महाराज" बन गये व वर्तमान मे तो श्रीनाथजी की सम्पत्तियां हथिया कर "मठाधीश" बन बैठे है ! हकीकत यहाँ से भी आगे की है कि श्रीनाथजी की सम्पत्तियों को दोनों हाथों से लूटा रहे या लूटते हुए देखकर भी चुप है ! (जबकि श्रीवल्लभाचार्य जी ने केवल सेवा भाव से श्रीनाथजी की सेवा करने को कहा था !) (४)बृजवासियों को आज भी सेवा के बदले केवल भोजन व जीने की सुविधा मिलती है जो आजकल की न्यूनतम मजदूरी से भी कम है, जबकि मठाधीश / सरकारी अधिकारियों को लाखों रुपये मिलते है ! मठाधीश तो इससे भी ज्यादा बिना काम के वेतन लेते है और सेवा कार्य मे चखने के नाम पर मिलने वाले प्रसाद को भी बेचकर पैसा कमा रहे है ! (५)मेवाड़ महाराणा जी ने 562 सम्पत्ति श्रीनाथजी (नाबालिग) को दी व वैष्णवों ने भी सम्पत्तियां व धन श्रीनाथजी को दी, तो उसको मठाधीश / मन्दिर मण्डल / सरकारी अधिकारी उसकी सुरक्षा क्यों नहीं कर पा रहा है ? हकीकत मे उक्त सम्पत्तियों/धन मे से कुछ को लूटा या लूटाया जा रहा है या इस लूट पर सभी जिम्मेदार चुप है ! (६)इसका उपाय यह है कि संविधान/हिन्दू विरोधी कानूनों को हटाकर, श्रीनाथजी मन्दिर सरकारी नियंत्रण मुक्त हो और मठाधीश को केवल श्रीनाथजी की सेवा का कार्य दिया जाये ! मन्दिर संचालन की जिम्मेदारी श्रीनाथजी के सखा बृजवासियों को दी जाये, जो समर्पित व समझदार हो ! (७)अन्त मे श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञानुसार बृजवासियों को सखा धर्म निभाते हुए, मन्दिर को अपने नियंत्रण मे लेना चाहिए ! क्योंकि श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा कानून/वल्लभ आज्ञा से ऊपर है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(134) #09/07/22 #dineshapna























































 

No comments:

Post a Comment