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Friday 1 July 2022
★रथयात्रा की बधाई व शुभकामनाएं !★ रथयात्रा मे रथ को खीचे व सुरक्षा करें बृजवासी ! रथ के साथ चलने वाले चाटें मलाई व करें मनमानी ! (१)श्रीनाथजी की "प्रथम रथयात्रा" सन् 1665 (आश्विन शुक्ल १५, वि.सं. १७२२, शुक्रवार) को बृज से शुरू हुई किन्तु उस समय यह रथयात्रा असुरक्षा के माहौल मे, अनिश्चित स्थान की ओर, अनिश्चित समय के लिए केवल "बृजवासियों की हिम्मत व हौसले के साथ" आगे बढ़ी ! (२)यह रथयात्रा अपने लक्ष्य पर 32 माह मे सिंहाड़, नाथद्वारा पहुंची ! इस 32 माह मे कई मुष्किलो व हमलों का सामना किया ! कई बृजवासियों ने बलिदान भी दिया, तब ही यह रथयात्रा यहाँ तक सुरक्षित पहुँची ! (३)सन् 1665 की प्रथम रथयात्रा का "दिन शुक्रवार" था व आज सन् 2022 की रथयात्रा का "दिन भी शुक्रवार" है ! "प्रथम रथयात्रा" मे श्रीनाथजी, बृजवासी व वल्लभ कुल के वंशज शामिल थे ! (४)सन् 1672 मे श्रीनाथजी के नाथद्वारा मे पाटोत्सव के बाद भी कई आपत्तियाँ आई व आक्रमण हुए किन्तु उनका सामना महाराणा, राजपूतों व बृजवासियों ने किया ! जिसमें कई राजपूत व बृजवासी बलिदान हुए ! (५)सन् 1934 मे उदयपुर महाराणा के द्वारा एक आदेश जारी किया गया ! ,जिसमें यह घोषित किया गया था कि श्रीनाथजी को समर्पित सभी सम्पत्ति मन्दिर की सम्पत्ति है ! तिलकायत महाराज उक्त सम्पत्ति के केवल संरक्षक, प्रबन्धक व ट्रस्टी है और मन्दिर को समर्पित 562 सम्पत्तियों का उपयोग धर्मस्थल के वैध उद्धेश्यों के लिए किया जाये ! (६)आजकल बलिदान करने वाले बृजवासियों, राजपूतों व सम्पत्ति समर्पित करने वाले उदयपुर महाराणा की अनदेखी की जा रही है ! (७)मन्दिर की सम्पत्ति के केवल संरक्षक, प्रबन्धक व ट्रस्टी कैसे मालिक / मठाधीश बन गये ? सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(130) #01/07/22 #dineshapna
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