Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Saturday 16 July 2022
★श्रीकृष्ण वन्दे जगद्गुरुम्★ 【भगवान श्रीकृष्ण जगद्गुरु है ! भगवान को सच्चा गुरु कहा जाता है, शेष सब आचार्य, शिक्षक और मार्गदर्शक हैं ! 】 【गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना, दुजे हरि भक्ति मन कर्म बानि, तीजे समदृष्टि करि जानी, चौथे वेद विधि सब कर्मा, ये चार गुरू गुण जानों मर्मा !】 १★गुरु कौन है !★ (गुरु गुणों की खान है ! एक गुरु जो व्यक्ति को सांसारिकता के अंधेरे से निकाल कर आध्यात्मिकता के प्रकाश (ईश्वर/मोक्ष) की ओर ले जाये ! दूसरा गुरु व्यक्ति अज्ञान के अन्धेरे निकाल कर ज्ञान के प्रकाश (सांसारिक ज्ञान अच्छे जीवन जीने के लिए) की ओर ले जाये ! भगवान श्रीकृष्ण जो स्वयं ईश्वर है, वह दोनो तरह का ज्ञान देने के साथ स्वयं उस स्थिति मे जीवन जी कर बताया व कर्म का ज्ञान दिया !) २★गुरु के गुण क्या है !★ (ज्ञानवान, विनम्र, स्नेहवान, संयमी, समभावी, आत्मविश्वासी व ईश्वरीय शक्ति के दर्शन कराने या उनसे मिलाने वाला ! गुरु मे उक्त 7 गुण कम या ज्यादा होते है किन्तु उनमें कम से कम इन गुणों के विपरीत ऐसे अवगुण तो नहीं हो ! भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उक्त गुणों के साथ जीवन को जी कर बताया !) ३★गुरु शिष्य के लिए क्या करें !★ (गुरु पथप्रदर्शक का कार्य करता है, वह शिष्य को अच्छा, खुशी व शान्ति के साथ जीवन जीने की राह बताता है व ईश्वर प्राप्ति की राह बताता है ! किन्तु भगवान श्रीकृष्ण स्वयं पथ व लक्ष्य भी है जिन्होंने जीवन जी कर ज्ञान (सांसारिक व आध्यात्मिक) दिया !) ४★गुरु कैसा हो !★ (गुरु को चाहिए कि ज्ञान / विद्या सभी दे किन्तु जो वह उपदेश दे, उसके अनुसार स्वयं भी जीये ! इसके अतिरिक्त, यदि उपदेश के अनुसार स्वयं जी नहीं सके, तो कम से कम उपदेश के विपरीत आचरण तो नहीं करे अर्थात् गुरु के दिये गये उपदेश मे स्वयं की कथनी व करनी मे फर्क नहीं हो ! भगवान श्रीकृष्ण जैसा कहते थे, वैसा करते भी थे, इसलिए उन्हें हम जगद्गुरु कहते हैं !) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(140) #16/07/22 #dineshapna★कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्★ 【भगवान श्रीकृष्ण जगद्गुरु है ! भगवान को सच्चा गुरु कहा जाता है, शेष सब आचार्य, शिक्षक और मार्गदर्शक हैं ! 】 【गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना, दुजे हरि भक्ति मन कर्म बानि, तीजे समदृष्टि करि जानी, चौथे वेद विधि सब कर्मा, ये चार गुरू गुण जानों मर्मा !】 १★गुरु कौन है !★ (गुरु गुणों की खान है ! एक गुरु जो व्यक्ति को सांसारिकता के अंधेरे से निकाल कर आध्यात्मिकता के प्रकाश (ईश्वर/मोक्ष) की ओर ले जाये ! दूसरा गुरु व्यक्ति अज्ञान के अन्धेरे निकाल कर ज्ञान के प्रकाश (सांसारिक ज्ञान अच्छे जीवन जीने के लिए) की ओर ले जाये ! भगवान श्रीकृष्ण जो स्वयं ईश्वर है, वह दोनो तरह का ज्ञान देने के साथ स्वयं उस स्थिति मे जीवन जी कर बताया व कर्म का ज्ञान दिया !) २★गुरु के गुण क्या है !★ (ज्ञानवान, विनम्र, स्नेहवान, संयमी, समभावी, आत्मविश्वासी व ईश्वरीय शक्ति के दर्शन कराने या उनसे मिलाने वाला ! गुरु मे उक्त 7 गुण कम या ज्यादा होते है किन्तु उनमें कम से कम इन गुणों के विपरीत ऐसे अवगुण तो नहीं हो ! भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उक्त गुणों के साथ जीवन को जी कर बताया !) ३★गुरु शिष्य के लिए क्या करें !★ (गुरु पथप्रदर्शक का कार्य करता है, वह शिष्य को अच्छा, खुशी व शान्ति के साथ जीवन जीने की राह बताता है व ईश्वर प्राप्ति की राह बताता है ! किन्तु भगवान श्रीकृष्ण स्वयं पथ व लक्ष्य भी है जिन्होंने जीवन जी कर ज्ञान (सांसारिक व आध्यात्मिक) दिया !) ४★गुरु कैसा हो !★ (गुरु को चाहिए कि ज्ञान / विद्या सभी दे किन्तु जो वह उपदेश दे, उसके अनुसार स्वयं भी जीये ! इसके अतिरिक्त, यदि उपदेश के अनुसार स्वयं जी नहीं सके, तो कम से कम उपदेश के विपरीत आचरण तो नहीं करे अर्थात् गुरु के दिये गये उपदेश मे स्वयं की कथनी व करनी मे फर्क नहीं हो ! भगवान श्रीकृष्ण जैसा कहते थे, वैसा करते भी थे, इसलिए उन्हें हम जगद्गुरु कहते हैं !) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(140) #16/07/22 #dineshapna★कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्★ 【भगवान श्रीकृष्ण जगद्गुरु है ! भगवान को सच्चा गुरु कहा जाता है, शेष सब आचार्य, शिक्षक और मार्गदर्शक हैं ! 】 【गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना, दुजे हरि भक्ति मन कर्म बानि, तीजे समदृष्टि करि जानी, चौथे वेद विधि सब कर्मा, ये चार गुरू गुण जानों मर्मा !】 १★गुरु कौन है !★ (गुरु गुणों की खान है ! एक गुरु जो व्यक्ति को सांसारिकता के अंधेरे से निकाल कर आध्यात्मिकता के प्रकाश (ईश्वर/मोक्ष) की ओर ले जाये ! दूसरा गुरु व्यक्ति अज्ञान के अन्धेरे निकाल कर ज्ञान के प्रकाश (सांसारिक ज्ञान अच्छे जीवन जीने के लिए) की ओर ले जाये ! भगवान श्रीकृष्ण जो स्वयं ईश्वर है, वह दोनो तरह का ज्ञान देने के साथ स्वयं उस स्थिति मे जीवन जी कर बताया व कर्म का ज्ञान दिया !) २★गुरु के गुण क्या है !★ (ज्ञानवान, विनम्र, स्नेहवान, संयमी, समभावी, आत्मविश्वासी व ईश्वरीय शक्ति के दर्शन कराने या उनसे मिलाने वाला ! गुरु मे उक्त 7 गुण कम या ज्यादा होते है किन्तु उनमें कम से कम इन गुणों के विपरीत ऐसे अवगुण तो नहीं हो ! भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उक्त गुणों के साथ जीवन को जी कर बताया !) ३★गुरु शिष्य के लिए क्या करें !★ (गुरु पथप्रदर्शक का कार्य करता है, वह शिष्य को अच्छा, खुशी व शान्ति के साथ जीवन जीने की राह बताता है व ईश्वर प्राप्ति की राह बताता है ! किन्तु भगवान श्रीकृष्ण स्वयं पथ व लक्ष्य भी है जिन्होंने जीवन जी कर ज्ञान (सांसारिक व आध्यात्मिक) दिया !) ४★गुरु कैसा हो !★ (गुरु को चाहिए कि ज्ञान / विद्या सभी दे किन्तु जो वह उपदेश दे, उसके अनुसार स्वयं भी जीये ! इसके अतिरिक्त, यदि उपदेश के अनुसार स्वयं जी नहीं सके, तो कम से कम उपदेश के विपरीत आचरण तो नहीं करे अर्थात् गुरु के दिये गये उपदेश मे स्वयं की कथनी व करनी मे फर्क नहीं हो ! भगवान श्रीकृष्ण जैसा कहते थे, वैसा करते भी थे, इसलिए उन्हें हम जगद्गुरु कहते हैं !) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(140) #16/07/22 #dineshapna
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