Thursday 21 July 2022

■■सच्चा गुरु किसे बनाये !■■ 【जिसमें गुण ही गुण हो, अवगुण न हो ! जो हमे सांसरिक व आध्यात्मिक दोनों ज्ञान दे व रास्ता बताये ही नहीं, साथ भी चले !】 【सच्चा गुरु / जगद्गुरु है - श्रीकृष्ण】 ◆◆◆◆◆◆◆◆◆【1】◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ★श्रीकृष्ण वन्दे जगद्गुरुम्★ 【भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम उपदेश - प्रेम】 【अपना गुरु भगवान को बनाये व 365 दिन "गुरु पूर्णिमा" मनाने के लिए सद्गुणों को आत्मसात करे !】 (प्रेम के बिना जीवन एक कदम भी आगे नहीं चल सकता ! जीवन प्रेम से ही प्रकट हुआ है, प्रेम से ही चलता है और प्रेम में ही विलीन हो जाता है !) १★अपनो से प्रेम करें !★ (भगवान श्रीकृष्ण ने अपने माता पिता, अपने भाई बहन, अपने मित्र सुदामा/अर्जुन व अपने सखा बृजवासियों की सहायता व रक्षा करके प्रेम का अनुपम सन्देश दिया !) २★प्रकृति से प्रेम करे !★ (भगवान श्रीकृष्ण प्रकृति के सबसे बड़े रक्षक है, गोवर्धन पर्वत की पूजा करके पर्वत, नदी, पेड़ पौधे व दुर्लभ वनस्पतियों का रक्षा करके उनके संरक्षण व संवर्धन का सन्देश दिया !) ३★जीव मात्र से प्रेम करें !★ (भगवान श्रीकृष्ण ने गायों की रक्षा के लिए हमेशा हर संभव प्रयास किया ! कभी उन्हें राक्षसों से बचाया, कभी ब्रह्माजी से छुड़ाकर लाए, गायों के लिए ही कालियह्रद को शुद्ध करके, गौ रक्षा का सन्देश दिया !) ४★अपने धर्म से प्रेम करें !★ (भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म व सत्य की रक्षा के लिए महायुद्ध का उद्घोष किया व बताया कि धर्म व सत्य की रक्षा के लिए यदि अपने गुरु/पितामह/बड़ों/भाईयों व मित्रों से भी युद्ध करना पड़े, तो धर्म - युद्ध करें !) ◆◆◆◆◆◆◆◆◆【2】◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ★कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्★ 【भगवान श्रीकृष्ण जगद्गुरु है ! भगवान को सच्चा गुरु कहा जाता है, शेष सब आचार्य, शिक्षक और मार्गदर्शक हैं ! 】 【गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना, दुजे हरि भक्ति मन कर्म बानि, तीजे समदृष्टि करि जानी, चौथे वेद विधि सब कर्मा, ये चार गुरू गुण जानों मर्मा !】 १★गुरु कौन है !★ (गुरु गुणों की खान है ! एक गुरु जो व्यक्ति को सांसारिकता के अंधेरे से निकाल कर आध्यात्मिकता के प्रकाश (ईश्वर/मोक्ष) की ओर ले जाये ! दूसरा गुरु व्यक्ति अज्ञान के अन्धेरे निकाल कर ज्ञान के प्रकाश (सांसारिक ज्ञान अच्छे जीवन जीने के लिए) की ओर ले जाये ! भगवान श्रीकृष्ण जो स्वयं ईश्वर है, वह दोनो तरह का ज्ञान देने के साथ स्वयं उस स्थिति मे जीवन जी कर बताया व कर्म का ज्ञान दिया !) २★गुरु के गुण क्या है !★ (ज्ञानवान, विनम्र, स्नेहवान, संयमी, समभावी, आत्मविश्वासी व ईश्वरीय शक्ति के दर्शन कराने या उनसे मिलाने वाला ! गुरु मे उक्त 7 गुण कम या ज्यादा होते है किन्तु उनमें कम से कम इन गुणों के विपरीत ऐसे अवगुण तो नहीं हो ! भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उक्त गुणों के साथ जीवन को जी कर बताया !) ३★गुरु शिष्य के लिए क्या करें !★ (गुरु पथप्रदर्शक का कार्य करता है, वह शिष्य को अच्छा, खुशी व शान्ति के साथ जीवन जीने की राह बताता है व ईश्वर प्राप्ति की राह बताता है ! किन्तु भगवान श्रीकृष्ण स्वयं पथ व लक्ष्य भी है जिन्होंने जीवन जी कर ज्ञान (सांसारिक व आध्यात्मिक) दिया !) ४★गुरु कैसा हो !★ (गुरु को चाहिए कि ज्ञान / विद्या सभी दे किन्तु जो वह उपदेश दे, उसके अनुसार स्वयं भी जीये ! इसके अतिरिक्त, यदि उपदेश के अनुसार स्वयं जी नहीं सके, तो कम से कम उपदेश के विपरीत आचरण तो नहीं करे अर्थात् गुरु के दिये गये उपदेश मे स्वयं की कथनी व करनी मे फर्क नहीं हो ! भगवान श्रीकृष्ण जैसा कहते थे, वैसा करते भी थे, इसलिए उन्हें हम जगद्गुरु कहते हैं !) ◆◆◆◆◆◆◆◆◆【3】◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ★कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्★ 【भगवान श्रीकृष्ण जगद्गुरु है ! बाकी सभी ●सच्चे सद्गुरु या दिखावटी सद्गुरु ◆सच्चे आचार्य/शिक्षक या दिखावटी आचार्य/शिक्षक है !】 【दिखावटी सद्गुरु वह है जो उपदेश देता है कि मोह माया को छोड़कर ईश्वर की भक्ति करो और स्वयं आपकी माया का हरण करके स्वयं मोह माया मे डूबा रहता है ! दिखावटी आचार्य/शिक्षक वह है जो शिक्षा देने के बदले दक्षिणा लेने के स्थान पर शिष्यों से फीस के नाम पर लूटते है, ऐसे आचार्य/शिक्षक गुरु नहीं, व्यापारी/लूटेरे है !】 १★सद्गुरु को पहचाने !★ (ईश्वर की अनुभूति करवाने वाला ही पूर्ण सतगुरु होता है ! सतगुरु की पहचान उसके शरीर से नहीं बल्कि उसके द्वारा दिए जाने वाले ब्रह्माज्ञान से होती है ! सतगुरु अपनी शरण में आने वाले इंसान को कही कोई रास्ता नहीं बताता बल्कि एक छिन्न में निराकार ईश्वर को अंगसंग जना देता है ! जबकि आजकल कलयुग मे कुछ गुरु स्वयं सांसारिक मोह माया मे फँसे रहते है और जनता को ईश्वर की अनुभूति कराने का झूठा नाटक करके जनता से धन/वोट/समय लूटते रहते है !) (हम शिष्यों को सावधान रहकर सद्गुरु को पहचाने व दिखावटी धर्मगुरुओ से सावधान रहे !) २★गुरु - उत्तम, मध्यम व कनिष्ठ होते है !★ (जो गुरु/आचार्य उपदेश देने के पश्‍चात् शिष्य की पूछताछ नहीं करते, वे गुरु/आचार्य "कनिष्ठ" होते हैं । शिष्य उपदेश ग्रहण कर सके, उसका कल्याण हो, इस हेतु जो पुनः-पुनः उसे समझाते हैं व उस पर प्रेम करते हैं, वे "मध्यम" गुरु/आचार्य होते है ! यदि शिष्य ध्यान नहीं देता अथवा अनुरूप आचरण नहीं करता है, यह देखने पर जो गुरु/आचार्य प्रसंग के अनुरूप आचरण करने पर विवश कर देते हैं, वही गुरु/आचार्य "उत्तम" होते हैं !) (किन्तु वर्तमान कलयुग मे चौथे प्रकार के गुरु/आचार्य होते है जिन्हें केवल शिष्यों के धन/माया चाहिए, उपदेश केवल भ्रमित करने के लिए दिये जाते है!) ३★आचार्य/शिक्षक को पहचाने !★ (आचार्य/शिक्षक जो सांसारिक ज्ञान/शिक्षा देते है जो यह चाहते है कि उनका शिष्य अपना जीवन सुखमय/आनन्दमय व्यतित करते हुए अच्छे समाज का निर्माण करे !) (आजकल शिष्य गुरु/आचार्य/शिक्षक को पहचाने क्योंकि कुछ आचार्य/शिक्षक ने ज्ञान/शिक्षा को व्यापार बना दिया है और उन्हें दक्षिणा के स्थान पर फीस/धन की लूट चाहिए !) ४★शिष्य गुरु/आचार्य/शिक्षक को पहचान कर चयन करें !★ (आजकल कलयुग है इसलिए सच्चे गुरु/सच्चे आचार्य/सच्चे शिक्षक मुश्किल से मिलते है ! ●"आध्यात्मिक" गुरु जो ईश्वर का ज्ञान कराये व ईश्वर से मिलाये ! ●आचार्य जो "सांसारिक" जीवन जीना बताये जिससे स्वयं व दूसरों (समाज/देश) का जीवन सुखमय हो ! ●शिक्षक जो "सांसारिक" जीवन मे शिक्षा व धन कमाने का तरीका बताते है जिससे शिष्य अपना जीवन सुखमय जी सके !) (अतः भगवान श्रीकृष्ण को गुरु बनाते है तो "आध्यात्मिक व सांसारिक" दोनों जीवन सुखमय व आनन्दमय हो जायेंगे तथा फीस के स्थान पर केवल दक्षिणा देनी होगी ! ) [दक्षिणा - केवल भक्ति] ◆◆◆◆◆◆◆◆◆【4】◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ★कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्★ 【भगवान श्रीकृष्ण जगद्गुरु है ! शेष संसार के गुरुओ मे से कुछ सच्चे गुरु व कुछ दिखावटी गुरु विद्धमान है !】 【आजकल कलयुग मे कुछ गुरु ●ईश्वर दर्शन/आध्यात्मिक ज्ञान, ●कथा/उपदेश व ●व्यावसायिक/शैक्षणिक ज्ञान देने को व्यापार बना दिया है, जिसमें मुख्य उद्देश्य शिष्यो/जनता को मुर्ख बनाकर धन कमाना व धर्म के नाम पर शंशय पैदा करके अपना स्वार्थ सिद्ध करना है !】 १★कुछ दिखावटी धर्मगुरु व मठाधीश के कर्म !★ (केवल ईश्वर के नाम पर धन/माया कमाते है ! इन गुरुओ को ईश्वर/धर्म का पूर्ण ज्ञान तो होता नहीं है, किन्तु ईश्वर/धर्म के नाम का दिखावा करते हुए धन/सम्पत्ति कमाते है व जनता को मुर्ख बनाते है !) (आम जनता सावधान रहे !) २★कुछ दिखावटी धर्मगुरु के कर्मों की हद !★ (यह है कि धर्म के नाम पर भय/अनिश्चितता/अशांति/नफरत पैदा करते है ! इसके लिए धर्म ग्रंथों के विपरीत उपदेश देते है और धर्म ग्रंथों के तथ्यों को तोड़़ मरोड़कर या बदलकर आम जनता के सामने रखते है ! इसके पीछे इनका छुपा हुआ, मानवता विरोधी उद्देश्य होता है !) (आम जनता सावधान रहे !) ३★कुछ आचार्य/शिक्षको के कर्म !★ (कुछ आचार्य/शिक्षको ने ज्ञान/शिक्षा को व्यापार बना दिया है और उन्हें दक्षिणा के स्थान पर फीस/धन की लूट करते है ! कुछ ने तो ट्रस्ट/संस्था के नाम से विद्यालय खोले व सेवा के स्थान पर लूट की दुकान चला रहे है !) (आम जनता सावधान रहे !) ४★आम जनता क्या करें !★ (श्रीकृष्ण को गुरु मानते हुए स्वयं धर्म के मार्ग पर चले ! अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाये व धर्मयुद्ध करें ! धर्मयुद्ध मे सामने अन्याय के साथ "मित्र/परिवार/सम्बन्धी/गुरु/मठाधीश" भी आ जाये, तो भी धर्मयुद्ध करें !) (श्रीकृष्ण को गुरु बनाये व धर्मयुद्ध करे !) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #22/07/22 #dineshapna








 

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