Sunday 17 July 2022

★कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्★ 【भगवान श्रीकृष्ण जगद्गुरु है ! बाकी सभी ●सच्चे सद्गुरु या दिखावटी सद्गुरु ◆सच्चे आचार्य/शिक्षक या दिखावटी आचार्य/शिक्षक है !】 【दिखावटी सद्गुरु वह है जो उपदेश देता है कि मोह माया को छोड़कर ईश्वर की भक्ति करो और स्वयं आपकी माया का हरण करके स्वयं मोह माया मे डूबा रहता है ! दिखावटी आचार्य/शिक्षक वह है जो शिक्षा देने के बदले दक्षिणा लेने के स्थान पर शिष्यों से फीस के नाम पर लूटते है, ऐसे आचार्य/शिक्षक गुरु नहीं, व्यापारी/लूटेरे है !】 १★सद्गुरु को पहचाने !★ (ईश्वर की अनुभूति करवाने वाला ही पूर्ण सतगुरु होता है ! सतगुरु की पहचान उसके शरीर से नहीं बल्कि उसके द्वारा दिए जाने वाले ब्रह्माज्ञान से होती है ! सतगुरु अपनी शरण में आने वाले इंसान को कही कोई रास्ता नहीं बताता बल्कि एक छिन्न में निराकार ईश्वर को अंगसंग जना देता है ! जबकि आजकल कलयुग मे कुछ गुरु स्वयं सांसारिक मोह माया मे फँसे रहते है और जनता को ईश्वर की अनुभूति कराने का झूठा नाटक करके जनता से धन/वोट/समय लूटते रहते है !) (हम शिष्यों को सावधान रहकर सद्गुरु को पहचाने व दिखावटी धर्मगुरुओ से सावधान रहे !) २★गुरु - उत्तम, मध्यम व कनिष्ठ होते है !★ (जो गुरु/आचार्य उपदेश देने के पश्‍चात् शिष्य की पूछताछ नहीं करते, वे गुरु/आचार्य "कनिष्ठ" होते हैं । शिष्य उपदेश ग्रहण कर सके, उसका कल्याण हो, इस हेतु जो पुनः-पुनः उसे समझाते हैं व उस पर प्रेम करते हैं, वे "मध्यम" गुरु/आचार्य होते है ! यदि शिष्य ध्यान नहीं देता अथवा अनुरूप आचरण नहीं करता है, यह देखने पर जो गुरु/आचार्य प्रसंग के अनुरूप आचरण करने पर विवश कर देते हैं, वही गुरु/आचार्य "उत्तम" होते हैं !) (किन्तु वर्तमान कलयुग मे चौथे प्रकार के गुरु/आचार्य होते है जिन्हें केवल शिष्यों के धन/माया चाहिए, उपदेश केवल भ्रमित करने के लिए दिये जाते है!) ३★आचार्य/शिक्षक को पहचाने !★ (आचार्य/शिक्षक जो सांसारिक ज्ञान/शिक्षा देते है जो यह चाहते है कि उनका शिष्य अपना जीवन सुखमय/आनन्दमय व्यतित करते हुए अच्छे समाज का निर्माण करे !) (आजकल शिष्य गुरु/आचार्य/शिक्षक को पहचाने क्योंकि कुछ आचार्य/शिक्षक ने ज्ञान/शिक्षा को व्यापार बना दिया है और उन्हें दक्षिणा के स्थान पर फीस/धन की लूट चाहिए !) ४★शिष्य गुरु/आचार्य/शिक्षक को पहचान कर चयन करें !★ (आजकल कलयुग है इसलिए सच्चे गुरु/सच्चे आचार्य/सच्चे शिक्षक मुश्किल से मिलते है ! ●"आध्यात्मिक" गुरु जो ईश्वर का ज्ञान कराये व ईश्वर से मिलाये ! ●आचार्य जो "सांसारिक" जीवन जीना बताये जिससे स्वयं व दूसरों (समाज/देश) का जीवन सुखमय हो ! ●शिक्षक जो "सांसारिक" जीवन मे शिक्षा व धन कमाने का तरीका बताते है जिससे शिष्य अपना जीवन सुखमय जी सके !) (अतः भगवान श्रीकृष्ण को गुरु बनाते है तो "आध्यात्मिक व सांसारिक" दोनों जीवन सुखमय व आनन्दमय हो जायेंगे तथा फीस के स्थान पर केवल दक्षिणा देनी होगी ! ) [दक्षिणा - केवल भक्ति] सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(141) #17/07/22 #dineshapna





 

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