Tuesday 16 August 2022

★ जो श्रीकृष्ण का नहीं, वह किसी काम का नहीं ! ★ ★ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पूर्व श्रीकृष्ण को आत्मसात करें ! ★ (जो जिम्मेदारी नहीं उठा सके, उसे जिम्मेदारी से मुक्त करो !) श्रीनाथजी मन्दिर मे जिम्मेदार चुप है, मन्दिर मे "सम्पत्ति की लूट व धर्म विरुद्ध आचरण" हो रहा है ! तो एक बृजवासी का मन्दिर मे "दर्शन व्यवस्था मे धर्म विरुद्ध आचरण" से सम्बंधित प्रश्न :- (२६)श्रीनाथजी सभी भक्तों के लिए समान है ! भक्तों के साथ अन्याय करना धर्म विरुद्ध आचरण है ! हकीकत मे उनके स्वघोषित बन्दो ने भक्तों को साधारण व वी.आई.पी. के नाम से बाँट दिया ! तो क्यों श्रीनाथजी दर्शन मे साधारण भक्तों के साथ अन्याय हो है ? (२७)श्रीनाथजी के दरबार मे कभी साधारण व विशेष का फर्क नहीं होता था ! पूर्व मे वैष्णव वार्ताओं मे साधारण भक्तों का बहुत महत्व बताया गया ! तो अब विशेष (धनपति) भक्तो को अनावश्यक महत्त्व देकर साधारण भक्तों को परेशान क्यों किया जा रहा है ? (२८)श्रीनाथजी मन्दिर मे पहले वी.आई.पी. दर्शन के नाम पर धन लूटा जाता था ! कोरोनाकाल मे भी जमकर धन लूटा गया ! अब उस वी.आई.पी. दर्शन की धन लूट को बन्द करने के स्थान पर मन्दिर मण्डल स्वयं ने यह धन लूट चालू कर दी है ! तो क्या यह साधारण भक्तों के साथ दर्शन व्यवस्था के नाम पर अन्याय नहीं है ? (२९)श्रीनाथजी मन्दिर मे नई दर्शन व्यवस्था से बृजवासीयो व जो प्रतिदिन दर्शन करने वाले स्थानीय व्यक्तियो के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है ! तो क्या बृजवासी व स्थानीय दर्शनार्थियों के लिए सुविधाजनक व्यवस्था नहीं हो सकती है ? (३०)श्रीनाथजी मन्दिर मे केवल धन के लिए सखा बृजवासियों को, स्थानीय दर्शनार्थियों को व साधारण दर्शनार्थियों को केवल दर्शन के लिए परेशान करना धर्म विरुद्ध आचरण है ! तो क्या सरकारी अधिकारियों के द्वारा इस प्रकार मन्दिर की आन्तरिक व्यवस्थाओ मे अनावश्यक हस्तक्षेप करना उचित है ? 【श्रीनाथजी मन्दिर मे लूट पर विस्तृत चर्चा आगामी पोस्ट मे ...............】 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(164) #17/08/22 #dineshapna









 

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