Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Friday 30 September 2022
★★रामकथा 01/10/2022★★ ★★कलयुग की महिमा (३) ★★ श्रीरामचरितमानस में कलि महिमा का वर्णन :- (७)नर पीड़ित रोग न भोग कहीं। अभिमान बिरोध अकारनहीं॥ लघु जीवन संबदु पंच दसा। कलपांत न नास गुमानु असा॥2॥ भावार्थ:-मनुष्य रोगों से पीड़ित हैं, भोग (सुख) कहीं नहीं है। बिना ही कारण अभिमान और विरोध करते हैं। दस-पाँच वर्ष का थोड़ा सा जीवन है, परंतु घमंड ऐसा है मानो कल्पांत (प्रलय) होने पर भी उनका नाश नहीं होगा॥2॥ (८)धनवंत कुलीन मलीन अपी। द्विज चिन्ह जनेउ उघार तपी॥ नहिं मान पुरान न बेदहि जो। हरि सेवक संत सही कलि सो॥4॥ भावार्थ:-धनी लोग मलिन (नीच जाति के) होने पर भी कुलीन माने जाते हैं। द्विज का चिह्न जनेऊ मात्र रह गया और नंगे बदन रहना तपस्वी का। जो वेदों और पुराणों को नहीं मानते, कलियुग में वे ही हरिभक्त और सच्चे संत कहलाते हैं॥4॥ (९)कबि बृंद उदार दुनी न सुनी। गुन दूषक ब्रात न कोपि गुनी॥ कलि बारहिं बार दुकाल परै। बिनु अन्न दुखी सब लोग मरै॥5॥ भावार्थ:-कवियों के तो झुंड हो गए, पर दुनिया में उदार (कवियों का आश्रयदाता) सुनाई नहीं पड़ता। गुण में दोष लगाने वाले बहुत हैं, पर गुणी कोई भी नहीं। कलियुग में बार-बार अकाल पड़ते हैं। अन्न के बिना सब लोग दुःखी होकर मरते हैं॥5॥ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(199) #01/10/22 #dineshapna
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