Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Wednesday 26 January 2022
★संविधान की प्रस्तावना के अनुरूप विधायिका व कार्यपालिका सर्वजन हितार्थ क्यों नहीं ?★ 【"एक अधिनियम की प्रस्तावना, उसके उन मुख्य उद्देश्यों को निर्धारित करती है, जिसे प्राप्त करने का इरादा कानून रखता है।"】 ■संविधान की प्रस्तावना के कुछ शब्द, जिनके उद्देश्य के अनुरूप या जिनके हित के लिए संविधान बनाया गया, उनके विपरीत संविधान, कानून व नियमों मे परिवर्तन किया गया, जो गलत व जनहित के विपरीत है ! ◆हम भारत के लोग, ◆धर्मनिरपेक्ष, ◆लोकतंत्रात्मक गणराज्य ◆न्याय (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक) ◆स्वतंत्रता (विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की) ◆समता(प्रतिष्ठा और अवसर की) ◆बंधुता (व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली) ■संविधान की प्रस्तावना के अनुरूप संविधान मे परिवर्तन, कानून व नियम बनाने की जिम्मेदारी "विधायिका" (सरकार) की है, जो उन्होंने कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर पूर्ण रूप से नहीं निभाई क्योंकि इसके बीच उनका स्वार्थ आ गया ! ■इसी तरह संविधान, कानून व नियमों को जनहित मे लागू करने की जिम्मेदारी "कार्यपालिका" (प्रशासन) की है, वह भी कुछ सीमा तक अपने स्वार्थ या नेताओं के दबाव मे हकीकत मे जनहित के कार्य करने मे असफल रहा है ! ■उदाहरण के लिए 30 हिन्दू धर्म विरोधी कानून, आरक्षण, अतिक्रमण, विशेषजन हित मे सरकारी सम्पत्तियों का दुरुपयोग आदी !】 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी (35) #26/01/22 #dineshapna
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