Monday 10 May 2021

• श्रीवल्लभाचार्य जी का "अष्ट आयामी सन्देश" - वल्लभ कुल व वैष्णवों को ! • श्रीवल्लभाचार्य जी का ●प्रेम, ●समर्पण, ●त्याग, ●समदृष्टि, ●जनकल्याण, ●निस्वार्थ सेवा, ●धर्म व ●ज्ञान ! • श्रीवल्लभाचार्य जी का ज्ञान, अब नाथद्वारा मठाधीश को ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆【१】◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ★नाथद्वारा मठाधीश किस दिशा मे चले ?★ ●जो अपने "बड़ों का सम्मान" न करें ! ●जो अपने "परिवार" का ध्यान न रखें ! ●जो अपनी "सनातन परम्पराओं" का ध्यान न रखें ! ●जो "पद" के लिए पुष्टि व समाज की परम्पराओं को नहीं माने ! ●जो "धन" के लिए अपने ईष्ट (भगवान) की सम्पत्तियो का नुकसान करें ! ●जो अपनो के "अन्तिम दर्शन" का सम्मान न करें ! ●जो अपनो का "अन्तिम संस्कार" भी न कर सकें ! ■जो व्यक्ति अपनो व अपने परिवार का नहीं, तो श्रीनाथजी, पुष्टि मार्ग, बृजवासियों, वैष्णवों व नाथद्वारावासीयो का कैसे हो सकता है ? कुछ तो सोचो !■ ■जो अपनो को अन्तिम बार अपने घर (मोती महल) मे नही आने दे व अन्तिम संस्कार मे शामिल नहीं हो सके ! उसके द्वारा आज श्रृद्धांजलि सभा रखना दिखावा मात्र है !■ ★जैसे श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक_बृजवासी #01/05/2021 #dineshapna •••••••••••••••••••••••【२】•••••••••••••••••••••••••• ★नाथद्वारा मन्दिर के "मठाधीश" किस दिशा मे चले ?★ ★मन्दिर मे "तिलकायत" नहीं,"मठाधीश" बन बैठे है ?★ ★जो स्वयं नियम/परम्पराओं को तोड़े, उसे "पद" का अधिकार कैसे ?★ ●नाथद्वारा मन्दिर मे तिलकायत बनने के लिए नियम व परम्परा है कि तिलकायत का ज्येष्ठ पुत्र ही तिलकायत बनता है, यदि तिलकायत का पुत्र नहीं हो तो पुत्र गोद लेने की परम्परा है ! ●पूर्व तिलकायत श्री दाऊजी तृतीय (राजीव जी) के कोई पुत्र नहीं था व न ही उन्होंने किसी को सामाजिक व वैध तरीक़े से गोद लिया है । ●वर्तमान तिलकायत श्री इन्द्रदमन जी (राकेश जी) न तो पूर्व तिलकायत श्री दाऊजी तृतीय (राजीव जी) के पुत्र है और न ही उनको गोद लिया गया । अर्थात् वर्तमान तिलकायत श्री इन्द्रदमन जी (राकेश जी) "गलत तरीकों से स्वघोषित" "तिलकायत" बने है ! इसलिए आज वैध रुप से "तिलकायत" का पद खाली है ! ●नाथद्वारा मन्दिर मे श्रीवल्लभाचार्य जी के कुल मे से नियम / परम्पराओं व वैध तरीकों से आज कोई भी "तिलकायत" नहीं है ! ◆ऐसी परिस्थिति मे नाथद्वारा मन्दिर की बागडोर उनके हाथों मे दी जानी चाहिए, जिनके हाथों मे श्रीवल्लभाचार्य जी से पूर्व थी । अर्थात् श्रीवल्लभाचार्य जी से पूर्व श्रीनाथजी की सेवा "बृजवासी" करते थे, अतः मन्दिर की बागडोर बृजवासियों के हाथों मे ही देना "उचित व वैध" है !◆ ★जैसे श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक_बृजवासी #02/05/2021 #dineshapna •••••••••••••••••••••••【३】•••••••••••••••••••••••••• ★नाथद्वारा मन्दिर के "मठाधीश" किस दिशा मे चले ?★ ★जो अपनो के "अन्तिम दर्शन" का सम्मान न करें !★ ★जो अपनो का "अन्तिम संस्कार" भी न कर सकें !★ ●व्यक्ति किसी के "अन्तिम दर्शन" के समय दुश्मन भी अपनी दुश्मनी को छोड़ कर दिवंगत व्यक्ति को सम्मान देता है किन्तु यहाँ पूर्व तिलकायत की पत्नी को अपने घर (मोती महल) मे आने से रोकना "सनातन धर्म" के अनुसार सबसे निकृष्ट कृत्य है ! ●मोती महल नाथद्वारा मन्दिर (श्रीनाथजी) की सम्पत्ति है, न कि वर्तमान "स्वघोषित तिलकायत" का निजी मकान ! यह भवन (मोती महल) को तिलकायत (मुख्य पुजारी) व उनके परिवार के लिए मन्दिर ने नि:शुल्क आवास हेतु दे रखा है ! ●चूंकि "श्रीमती महालक्ष्मी बहुजी" पूर्व तिलकायत की पत्नी है इसलिए श्रीनाथजी मन्दिर ने इनको मोतीमहल आवास हेतु दे रखा है ! इस कारण वर्तमान स्वघोषित तिलकायत इनको (पार्थिव शरीर को) मोतीमहल मे आने से रोकना गलत है ! ●जो पुष्टिमार्ग के प्रधान अपने बड़े भाई की पत्नी (भाभीजी) का अन्तिम समय मे भी सम्मान नहीं कर सकता है वह वैष्णवों व समाज को क्या धर्म की शिक्षा / ज्ञान देगा ? ●सनातन धर्म मे 16 संस्कारों मे सबसे महत्वपूर्ण, श्रेष्ठ व पूण्य का "अन्तिम संस्कार" है । यह कार्य उसका पुत्र, भाई, भतीजा या परिवार वाले करते है । इस समय दुष्ट से दुष्ट व्यक्ति भी अपनी दुष्टता छोड़कर यह पुण्य कार्य करता है । यह "शास्त्रों व लोक व्यवहार" का मत है । वर्तमान स्वघोषित तिलकायत ने उक्त पुण्य कार्य न करके पुष्टिमार्ग के वैष्णवों को क्या सन्देश दिया ? ■हम इसलिए कह रहे है कि आप हमारे श्रीनाथजी मन्दिर के प्रधान पुजारी बनकर बैठे हो, हम बृजवासियों को श्रीनाथजी से दूर करके स्वघोषित तिलकायत बने बैठे हो और हमारे मन्दिर व पुष्टिमार्ग की छवि धूमिल कर रहे हो ! इससे भी ज्यादा अपने कर्मचारियों के माध्यम से दिखावे की "श्रृद्धांजलि सभा" कराकर नाटक कर रहे हो ! जो गलत है !■ ★जैसे श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया ! ★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक_बृजवासी #03/05/2021 #dineshapna •••••••••••••••••••••••【४】•••••••••••••••••••••••••• ★नाथद्वारा मन्दिर के "मठाधीश" किस दिशा मे चले ?★ ●श्रीनाथजी श्रीकृष्ण का स्वरूप है अतः हमें श्रीकृष्ण को मानने के साथ अपनाना भी होगा ! अब यह बात हमारे पुष्टिमार्ग व श्रीवल्लभाचार्य जी के वंशज वर्तमान स्वघोषित तिलकायत तो कहेंगे नहीं ! इसलिए हमे ही श्रीकृष्ण को अपनाना होगा जैसे हम (बृजवासी) आज से सन् 1506 (515 वर्ष) से पूर्व श्रीकृष्ण को आत्मसात कर रखा था ! तथा जो सन्देश हमें श्रीकृष्ण ने आज से 5132 वर्ष पूर्व दिया था ! ●नाथद्वारा मन्दिर के वर्तमान स्वघोषित तिलकायत को भी श्रीकृष्ण का सन्देश है कि जैसे पाण्डवों ने युद्ध के बाद दोनों पक्षों के मरे हुए योद्धाओं का अंतिम संस्कार किया था। उसी प्रकार श्रीमती महालक्ष्मी बहुजी का अन्तिम संस्कार करना चाहिए । ●महाभारत का युद्ध धर्म के लिए हुआ था किन्तु आपने जो अघोषित युद्ध चालू कर रखा है वह अधर्म पर आधारित है क्योंकि पुष्टिमार्ग व श्रीवल्लभाचार्य जी के अनुसार जब आपने सभी कुछ श्रीनाथजी को समर्पण कर रखा है तो आपकी तो कोई सम्पत्ति है ही नहीं ! तब आप श्रीनाथजी की सम्पत्तियों के लिए क्यों लड़ रहे हो ! आपका सम्पत्ति के लिए लड़ना ही अधर्म है ! ●महाभारत के स्त्री पर्व के अनुसार युद्ध समाप्त होने के बाद युधिष्ठिर के कहने पर पांडवों ने ही दोनों पक्षों के मरे हुए योद्धाओं का अंतिम संस्कार किया था। उन्होंने इसलिए कोरवों के मरे हुए योद्धाओं का अंतिम संस्कार किया था क्योंकि मरने के बाद दुश्मनी खत्म हो जाती है और आखिर वह थे तो उनके भाई व परिवार के सदस्य ही । ■अभी भी वक्त है कि श्रीवल्लभाचार्य जी के सिद्धांतों व पद चिन्हों पर चले, नहीं तो हमें (बृजवासियों को) श्रीकृष्ण के सिद्धांतों व पद चिन्हों पर चलना होगा क्योंकि हम श्रीनाथजी (श्रीकृष्ण) को "मानते" भी है और "अपनाते" भी है !■ ★जैसे श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - #एक_बृजवासी #04/05/2021#dineshapna •••••••••••••••••••••••【५】•••••••••••••••••••••••••• ★★श्रीवल्लभाचार्य जी बनो !★★ (१)श्रीवल्लभाचार्य जी सभी से "प्रेम" करते थे किन्तु उनके वंशज नाथद्वारा मठाधीश "अपनो से ही प्रेम" नहीं करते है, तो "वैष्णवों का क्या" होगा ! (२)श्रीवल्लभाचार्य जी ने "प्रेम" से पुष्टिमार्ग बना दिया किन्तु उनके वंशज नाथद्वारा मठाधीश ने "अपनो मे से ही प्रेम हटा" दिया, तो "पुष्टिमार्ग कैसे" बढ़ायेंगे ! ★श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक_बृजवासी #05/05/2021 #dineshapna •••••••••••••••••••••••【६】•••••••••••••••••••••••••• ★★श्रीवल्लभाचार्य जी बनो !★★ (३)श्रीवल्लभाचार्य जी ने सभी के लिए "समर्पण" किया किन्तु उनके वंशज नाथद्वारा मठाधीश अपने कर्मों मे से ही "समर्पण हटा दिया", तो "वैष्णवों को क्या सन्देश" देगें ! (४)श्रीवल्लभाचार्य जी ने "समर्पण" से पुष्टिमार्ग बना दिया किन्तु उनके वंशज नाथद्वारा मठाधीश ने "अपनो के लिए ही समर्पण नहीं" किया, तो "पुष्टिमार्ग कैसे" बढ़ायेंगे ! जब जनता के लिए "समर्पण" नहीं, तो जनता का "आर्शीवाद" नहीं, तो हमारे "महाराजश्री" नहीं ! जब भगवान के लिए "आत्मसमर्पण" नहीं, तो भगवान का "अनुग्रह" नहीं, तो हम "पुष्टिमार्गीय" नहीं ! ★श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक_बृजवासी #05/05/2021 #dineshapna •••••••••••••••••••••••【७】•••••••••••••••••••••••••• ★★श्रीवल्लभाचार्य जी बनो !★★ (५)श्रीवल्लभाचार्य जी ने श्रीनाथजी की सेवा के लिए धन सम्पत्ति का "त्याग" किया किन्तु उनके वंशज नाथद्वारा मठाधीश ने धन सम्पत्ति के लिए "श्रीनाथजी सेवा का त्याग" किया, तो "वैष्णवों को क्या सन्देश" देगें ! (६)श्रीवल्लभाचार्य जी ने "त्याग" से पुष्टिमार्ग बना दिया किन्तु उनके वंशज नाथद्वारा मठाधीश ने "अपनो का व पुष्टिमार्ग के सिद्धांतों का त्याग" किया, तो "पुष्टिमार्ग को कैसे" बढ़ायेंगे ! ★श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक_बृजवासी #06/05/2021 #dineshapna •••••••••••••••••••••••【८】•••••••••••••••••••••••••• ★★श्रीवल्लभाचार्य जी बनो !★★ (७)श्रीवल्लभाचार्य जी ने जनकल्याण के लिए ज्ञान का "प्रचार" किया किन्तु उनके वंशज नाथद्वारा मठाधीश स्वकल्याण के लिए धन का "प्रसार" कर रहे है, तो "वैष्णवों को क्या सन्देश" देगें ! (८)श्रीवल्लभाचार्य जी ने पुष्टिमार्ग व लक्ष्मीपति श्रीकृष्ण का "प्रचार" हेतु तीन बार भारत भ्रमण किया किन्तु उनके वंशज नाथद्वारा मठाधीश भौतिक मार्ग व लक्ष्मी जी के "प्रसार" हेतु बार बार मायानगरी का भ्रमण व रमण कर रहे है, तो "पुष्टिमार्ग को कैसे" बढ़ायेंगे ! ★श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक_बृजवासी #06/05/2021 #dineshapna CA. Dinesh Sanadhya - ●Chartered Accountant, ●Social Activist, ●Political Analyst, ●Spiritual Thinker, ●Founder of Life Management #dineshapna - 11/05/2021
















 

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