Monday 31 May 2021

★★नाथद्वारा मन्दिर मे श्रीनाथजी की आज्ञा की पालना क्यों नहीं ?★★ ■बृजवासी (सनाढ्य ब्राह्मण) को श्रीनाथजी की निज सेवा से दूर क्यों किया जा रहा है ?■ (१)श्रीनाथजी के प्राकृट्य से 97 वर्ष तक (सन् 1409 से 1506) निज सेवा श्रीसद्दू पाण्डे जी ने (श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा से) की व अन्य बृजवासियों ने ही की ! (२)उसके बाद श्रीसद्दू पाण्डे जी ने निज सेवा श्रीवल्लभाचार्य जी को (सन् 1506 से) (श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा से) दी ! (३)इस प्रकार श्रीनाथजी की निज सेवा का अधिकार (श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा से) सनाढ्य ब्राह्मण व तैलंग ब्राह्मण को ही है ! अतः श्रीनाथजी की आज्ञानुसार सनाढ्य ब्राह्मण को श्रीनाथजी की निज सेवा करनी चाहिए ! (४)श्रीनाथजी की आज्ञा की पालना वल्लभ कुल के वंशज नहीं कर रहे है ! अतः उन्हें आज्ञा की पालना करनी चाहिए ! (५)ब्राह्मण संहिता के अनुसार ब्राह्मणो की उत्पत्ति ब्रह्मा जी से हुई ! उसके बाद उनके दो प्रकार हुए, एक "गौड़" (उत्तरी भाग मे रहने वाले) दूसरे "द्रविड़" (दक्षिण भाग मे रहने वाले) ! (६)गौड़ के पांच प्रकार व द्रविड़ के पांच प्रकार हुए, इस प्रकार कुल 10 प्रकार के ब्राह्मण है ! सनाढ्य ब्राह्मण "गौड़" है व तैलंग ब्राह्मण "द्रविड़" है ! (७)ब्राह्मण के गुण :- रिजुः तपस्वी सन्तोषी क्षमाशीलाे जितेन्र्दियः। दाता शूर दयालुश्च ब्राह्मणाे नवभिर्गुणै: ! 1- रिजु: सरल 2- तपस्वी 3- सन्तोषी 4- क्षमावान 5-इन्द्रियों का निग्रह करने वाला 6- दान करने वाला 7- बहादुर 8- दयालु 9- अभय रहे ! तो एक "तैलंग" ब्राह्मण कैसे अन्य ब्राह्मण "गौड़" के अधिकार छिन सकता है ! (८)श्रीनाथजी मन्दिर मे वल्लभाचार्य जी के वंशज व "तैलंग" ब्राह्मण एक "गौड़" ब्राह्मण के साथ अन्याय करने के साथ श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा का उल्लंघन करते हुए सनाढ्य ब्राह्मण को श्रीनाथजी की निज सेवा से विमुख करने का जघन्य अपराध कर रहे है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #31/05/2021 # dineshapna





 

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