Saturday 1 May 2021

★नाथद्वारा मन्दिर के "मठाधीश" किस दिशा मे चले ?★ ★मन्दिर मे "तिलकायत" नहीं,"मठाधीश" बन बैठे है ?★ ★जो स्वयं नियम/परम्पराओं को तोड़े, उसे "पद" का अधिकार कैसे ?★ ●नाथद्वारा मन्दिर मे तिलकायत बनने के लिए नियम व परम्परा है कि तिलकायत का ज्येष्ठ पुत्र ही तिलकायत बनता है, यदि तिलकायत का पुत्र नहीं हो तो पुत्र गोद लेने की परम्परा है ! ●पूर्व तिलकायत श्री दाऊजी तृतीय (राजीव जी) के कोई पुत्र नहीं था व न ही उन्होंने किसी को सामाजिक व वैध तरीक़े से गोद लिया है । ●वर्तमान तिलकायत श्री इन्द्रदमन जी (राकेश जी) न तो पूर्व तिलकायत श्री दाऊजी तृतीय (राजीव जी) के पुत्र है और न ही उनको गोद लिया गया । अर्थात् वर्तमान तिलकायत श्री इन्द्रदमन जी (राकेश जी) "गलत तरीकों से स्वघोषित" "तिलकायत" बने है ! इसलिए आज वैध रुप से "तिलकायत" का पद खाली है ! ●नाथद्वारा मन्दिर मे श्रीवल्लभाचार्य जी के कुल मे से नियम / परम्पराओं व वैध तरीकों से आज कोई भी "तिलकायत" नहीं है ! ◆ऐसी परिस्थिति मे नाथद्वारा मन्दिर की बागडोर उनके हाथों मे दी जानी चाहिए, जिनके हाथों मे श्रीवल्लभाचार्य जी से पूर्व थी । अर्थात् श्रीवल्लभाचार्य जी से पूर्व श्रीनाथजी की सेवा "बृजवासी" करते थे, अतः मन्दिर की बागडोर बृजवासियों के हाथों मे ही देना "उचित व वैध" है ! ★जैसे श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक_बृजवासी #02/05/2021 #dineshapna



 

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