Sunday 30 May 2021

■SRD v/s IMA या आर्युवेद v/s ऐलोपैथी■ इस लड़ाई को समझने से पहले कुछ तथ्यो को समझना होगा ! (१)कोई व्यक्ति या संस्था स्वयं आर्युवेदीक पद्धति या ऐलोपैथिक पद्धति नहीं है ! (२)सभी पद्धतियों के अपने अपने गुण - दोष या लाभ - हानि है ! अर्थात् कोई भी पद्धति पूर्ण या केवल गुण ही गुण हो और कोई दोष नहीं हो ऐसा नहीं है ! (३)आर्युवेद जड़ से रोगो का नाश करता है और साईड़ इफेक्ट नहीं है किन्तु शीघ्रता से लाभ प्राप्त नहीं होना व कुछ कठिन परिस्थितियों मे उपचार सम्भव नहीं है ! (४)ऐलोपैथी मे शीघ्र उपचार सम्भव है किन्तु साईड़ इफेक्ट हो सकता है व रोग को जड़ से समाप्त नहीं करती है ! इसके बावजूद कठिन परिस्थितियों मे केवल एकमात्र उपाय है ! (५)आर्युवेद से सभी शोध कार्य पूर्ण होने के कारण दवाओं मे परिवर्तन नहीं होता है, किन्तु ऐलोपैथी मे शोध कार्य चालू होने से उसमें निरन्तर परिवर्तन हो रहे है ! (६)आर्युवेद रोग व उसके कारण को ही समाप्त करने के कारण नये तरीकों के रोग पैदा होने की समस्या नहीं होती है किन्तु ऐलोपैथी मे केवल अस्थायी रोग का ईलाज होने से व वर्तमान जीवन पद्धति व खानपान सही नहीं होने के कारण अनेकानेक नये रोग पैदा हो रहे है ! (७)ऐलोपैथी मे कुछ डाँक्टर धन के लालच मे गलत ईलाज करते है, दवाइयों के मूल्य अत्यधिक मुनाफे के लिए लूटते है, अनावश्यक जाँच के नाम पर लूटा जा रहा है ! यह जनविरोधी कार्य ऐलोपैथी पद्धति नहीं कर रही है बल्कि कुछ लोभी डाँक्टर, दवा कम्पनियां व उसको नियन्त्रण करने वाली संस्था या सरकार कर रही है ! इसमें कोई संसय नहीं है ! अब स्वामी रामदेव व IMA के कुछ डाँक्टरों के बीच हो रहे विवाद को उक्त सात बिन्दुओं को ध्यान रखते हुए देखे तो हम पायेंगे कि हकीकत मे कोई विवाद ही नहीं है ! इसे जबरदस्ती तूल दिया जा रहा है ! यदि स्वामी रामदेव (SRD) ने कुछ डाँक्टरों की गलत कार्य पद्धति व कुछ दवाओं की सीमाओं के बारे मे कहा है तो IMA को फालतू विवाद को नहीं बढ़ाना चाहिए और अगर स्वामी रामदेव (SRD) ने सभी डाँक्टरों व ऐलोपैथी पद्धति के लिए कहा है तो गलत है, अत: इसके लिए उन्हें माफी माँगनी चाहिए ! ★इति विवाद: समाप्त:★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी - 30/05/2021 #dineshapna


 

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