Friday 18 June 2021

नाथद्वारा श्रीनाथजी मन्दिर की 5 चुनौतीयाँ :- (४)पुष्टिमार्ग की परम्पराओं की पालना नहीं ! (i)नाथद्वारा मन्दिर की निजसेवा ब्राह्मण धर्म का पालन करने वालों के द्वारा करने की परम्परा है, जो ब्रह्मसंबंध, जनेऊ, चोटी, तिलक, सात्विक, श्रृद्धा व समर्पण भाव रखे ! किन्तु वर्तमान मे मन्दिर मे ऐसा नहीं हो रहा है ! (ii)नाथद्वारा मन्दिर मे प्रसाद निर्माण पारम्परिक तरीकों से नहीं हो रहा है जैसे - लकड़ी की भट्टी, खरास वाली आटाचक्की व अन्य का पारम्परिक प्रयोग से ! जबकि जगन्नाथपुरी मन्दिर मे आज भी उसी परम्परागत तरीको से प्रसाद बनता भी है व बँटता भी है ! (iii)श्रीनाथजी की निजसेवा की परम्परा प्रथम रुप से बृजवासियों की थी किन्तु वर्तमान मे उसके विपरीत अन्य व्यक्तियों को निज सेवा का कार्य दिया गया ! (iv)श्रीनाथजी मन्दिर मे श्रीकृष्ण भण्डार का अधिकारी बृजवासी बनने की परम्परा व अधिकार है किन्तु वर्तमान मे अन्य व्यक्ति को बना दिया, जो गलत है ! (v)श्रीवल्लभाचार्य जी श्रीनाथजी की सेवक / पुजारी के रुप मे सेवा करने की परम्परा थी तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी वल्लभ के वंशजों को "मुख्य पुजारी" ही माना है, किन्तु वर्तमान मे अपने आपको महाराजश्री / मठाधीश बना लिया है तथा श्रीनाथजी व उनकी सम्पत्तियों के भी मालिक बन रहे है, जो गलत है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #19/06/2021 #dineshapna













 

No comments:

Post a Comment