Wednesday 9 June 2021

★श्रीकृष्ण की सुनो ! श्रीनाथजी की मानो !★ ■बृजवासियों कुछ सोचो ! समझो ! उठो ! धर्म युद्ध करो ! श्रीनाथजी की आज्ञा की पालना करो ! सखा धर्म निभाओ !■ ■आओ ! नाथद्वारा मन्दिर को बचाओ ! घर मे थोडा विरोध करे, ताकि बड़े नुकसान से बचे !■ (१)श्रीनाथजी ने सन् 1478 को श्रीसद्दू पाण्डे जी (सनाढ्य) को "साक्षात् आज्ञा" व सन् 1492 को श्रीवल्लभाचार्य जी को "स्वप्न आज्ञा" दी ! उसके बाद बृजवासियों को "साक्षात् आज्ञा" दी ! इसलिए हमें उनकी उक्त सभी "साक्षात् आज्ञाओ" के अनुसार ही कार्य करना चाहिए तथा वह ही "हमारे लिए सर्वोपरि" है ! (२)बाद मे श्रीवल्लभाचार्य जी के वंशजों ने अपनी आज्ञा जोड़कर "सेवा पद्धति व पुष्टि मार्ग" को चलाया, जो सही था ! किन्तु तदुपरांत कुछ वल्लभ बालकों ने "अपने स्वार्थ व अपने को सर्वश्रेष्ठ बनाने" के चक्कर मे ऐसी - ऐसी "स्व आज्ञा" दे दी, जो "श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा" के विपरीत है ! यही गलत है, इसका ही विरोध है, इसी के लिए यह "धर्म युद्ध" है ! (३)वल्लभ कुल की "स्व आज्ञा" यह है कि "बृजवासियों के अधिकारो मे कमी", अपने आपको सर्वश्रेष्ठ मानना, श्रीनाथजी की "सम्पत्तियों को अपनी सम्पत्ति बनाना", मन्दिर को व्यापार की तरह चलाना, मन्दिर मे खास नियुक्ति अपने स्वार्थ के अनुरूप करना, बोर्ड मैम्बर्स का अपने अनुरूप चुनना व मन्दिर मे अनाचार, अव्यवस्था, परम्पराओं के टूटने पर चुप रहना ! इसकी सूची बहुत लम्बी है, यहाँ कुछ ही है ! (४)अभी भी समय है कि नाथद्वारा मठाधीश श्रीनाथजी के चरणों मे "अपने अहम् व स्वार्थ" को समर्पित करके श्रीनाथजी की "साक्षात् आज्ञानुसार कार्य" करे ! बृजवासियों को श्रीनाथजी के द्वारा दिये "सेवा अधिकार" मूल स्वरूप मे पुनः दे व "स्वयं श्रीवल्लभाचार्य जी बने" ! (५)यदि "वल्लभ कुल ऐसा नहीं करता" है तो श्रीनाथजी सर्वशक्तिमान है, वह अपनी आज्ञा की पालना कराने मे सक्षम है ! ध्यान रहे ! श्रीकृष्ण "धर्म की रक्षा" स्वयं भी करते है और "अन्य के माध्यम से भी" करते है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी (केवल श्रीनाथजी के लिए समर्पित सेवक) #10/06/2021 #dineshapna











 

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