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Thursday 17 June 2021
नाथद्वारा श्रीनाथजी मन्दिर की 5 चुनौतीयाँ :- (३)वल्लभाचार्यजी के सिद्धांतों की पालना नहीं ! (i)श्रीवल्लभाचार्य जी अपना सर्वश्व "श्रीनाथजी को समर्पण" करने व सेवा करने की आज्ञा दी, किन्तु आजकल स्वयं के साथ श्रीनाथजी का भी "स्वयं को अर्पण" करके सेवा कर रहे है ! (ii)श्रीवल्लभाचार्य जी ने कहा कि श्रीनाथजी "लौकिक कार्य की तरह" की गई सेवा अंगीकार नहीं करते है, भगवद् सेवा "भक्त का भाव" ही एकमात्र साधन है, किन्तु आजकल लौकिक कार्य की तरह ही सेवा कार्य हो रहा है ! (iii)श्रीवल्लभाचार्य जी ने "धर्म के लिए" तीन बार पृथ्वी परिक्रमा की, किन्तु आजकल "धन के लिए" मायानगरी की ही परिक्रमा करने के साथ स्थाई निवास भी बना लिया है ! (iv)श्रीवल्लभाचार्य जी ने केवल एक धोती मे ही अपना जीवन "श्रीनाथजी व जनकल्याण" के लिए अर्पण किया, किन्तु आजकल उन्हें धोती भर के धन "स्वयं के लिए" चाहिए ! (v)श्रीवल्लभाचार्य जी की अन्तिम शिक्षा जो उनके पुत्रों व वैष्णवो को दी, वह शिक्षा तो ग्रहण करनी चाहिए कि "जब तुम प्रभु से बहिँमुख हो जावोगे तब कलिकाल के प्रभाव मे रहने वाले तुम्हारे देह, मन इत्यादि निश्चित रुप से तुम्हारा नाश कर देगे," ऐसा मेरा मंतव्य है । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #18/06/2021 #dineshapna
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