Friday 4 June 2021

रजनीश के एक अनुयायी ने उनसे प्रश्न किया । प्रश्न - कृपया बताये जेहादियों द्वारा जब मकान ओर संपत्ति जलाई जा रही हो, हत्याए की जा रही हो ,तब हमें क्या करना चाहिए? हिन्दू मुस्लिम भाई भाई का प्रचार करना चाहिए या सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाना चाहिए , कृपया मार्गदर्शन करें। उत्तर - तुम्हारा प्रश्न ही तुम्हारी मूढ़ता को बता रहा हैं, इतिहास से तुमने कुछ सीखा हो ऐसा मालूम नही पड़ता। महमूद गजनबी ने जब सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया तो सोमनाथ उस समय का भारत का सबसे बडा ओर धनी मंदिर था। उस मंदिर में पूजा करने वाले 1200 हिन्दू पुजारियो का खयाल था कि हम तो रातदिन ध्यान ,भक्ति ,पूजापाठ, में लगे रहते हैं। इसलिए भगवान हमारी रक्षा करेगा। उन्होंने रक्षा का कोई इंतजाम नही किया उल्टे जो क्षत्रिय अपनी रक्षा कर सकते थे उन्हें भी मना कर दिया नतीजन महमूद ने उन हजारो निहत्थे हिन्दू पुरोहितो की हत्या की, मूर्तियो ओर मंदिर को तोड़ा ओर अकूत धन संपत्ति हीरे जवाहरात सोना -चाँदी लूट कर ले गया उनका ध्यान भक्ति पूजा पाठ उनकी रक्षा ना कर सका। आज सैकड़ो साल बाद भी वही मूढ़ता जारी है, तुमने अपने महापुरूषों के जीवन से भी कुछ सीखा हो ऐसा मालूम नही पढ़ता है। यदि ध्यान में इतनी शक्ति होती कि वो दुष्टो का ह्रदय परिवर्तन कर सके तो रामचंद्र जी को हमेशा अपने साथ धनुष बाण रखने की जरूरत क्यों होती। ध्यान की शक्ति से ही वो राक्षस और रावण का हदय परिवर्तन कर देते उन्हें सुर-असुर भाई -भाई समझा देते और झगड़ा खत्म हो जाता लेकिन राम भी किसी को समझा ना पाए और राम रावण युद्ध का फैसला भी अस्र शस्त्र से ही हुआ। ध्यान में यदि इतनी शक्ति होती कि वो दुसरो के मन को परिवतिर्त कर सके। तो पूर्णावतार श्रीकृष्ण को कंश ओर जरासंघ का वध करने की जरूरत क्यो पड़ती! ध्यान से ही उन्हें बदल देते। ध्यान में यदि दूसरे के मन को बदलने की शक्ति होती तो महभारत का युद्ध ही नही होता, कृष्ण अपनी ध्यान की शक्ति से दुर्योधन को बदल देते ओर युद्ध टल जाता। लेकिन उल्टे कृष्ण ने अर्जुन को जो कि ध्यान में जाना चाहता था रोका और उसे युद्ध मे लगाया । महाभारत का युद्ध इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध है जिसमे करोडो लोगों का नरसंहार हुआ, पिछले 1200 सालों में भारत मे कितने महर्षि संत हुए ,गोरखनाथ से लेकर रैदास ओर कबीर तक गुरुनानक से लेकर गुरु गोविंदसिंह तक इन सबकी ध्यान की शक्ति भी मुस्लिम आक्रान्ताओ और अंग्रेजो को ना रोक सकी इस दौरान करोडो हिन्दुओ का नरसंहार हुआ ओर जबरदस्ती तलवार की नोक पर उनका धर्म परिवर्त्तन करवाया गया। मार मार कर उन्हें मुसलमान बनाया गया उन संतो की शिक्षा आक्रान्ताओ को बदल न सकी। गुरुनानक ने तो अपना धर्म दर्शन ही इस प्रकार दिया कि मुस्लमान उसे आसानी से समझ सके ,आत्मसात कर सके। लेकिन उसी गुरु परंपरा में गुरुगोविंद सिह को हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए, मुसलमानो के खिलाफ तलवार उठानी पड़ी निहत्थे सिख्खो को शस्त्र उठाने पड़े। इससे स्पष्ट हो जाता है कि ध्यान से स्वयं की ही चेतना का रूपांतरण हो सकता है लेकिन पदार्थ (भौतिक शरीर ) की रक्षा हमे ख़ुद करनी होगी उसके लिए विज्ञान ओर टेक्नॉलॉजी का सहारा लेना होगा।















 

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