Wednesday 9 June 2021

★श्रीकृष्ण की सुनो ! श्रीनाथजी की मानो !★ ■बृजवासियों कुछ सोचो ! समझो ! उठो ! धर्म युद्ध करो ! श्रीनाथजी की आज्ञा की पालना करो ! सखा धर्म निभाओ !■ ■आओ ! नाथद्वारा मन्दिर को बचाओ ! घर मे थोडा विरोध करे, ताकि बड़े नुकसान से बचे !■ (१)श्रीनाथजी के द्वारा सबसे पहले श्रीसद्दू पाण्डे जी व बृजवासियों को निज सेवा, सुरक्षा व साथ मे खेलने की साक्षात् आज्ञा दी । उसके 97 वर्षो के बाद श्रीवल्लभाचार्य जी को सेवा क्रम निर्धारित करने की साक्षात् आज्ञा दी । इस प्रकार बृजवासियों से "सखा भाव से सेवा" व वल्लभ को "सेवक भाव से सेवा" करने की आज्ञा दी । (२)किन्तु श्रीवल्लभाचार्य जी के बाद उनके वंशजों ने "सेवक भाव से सेवा" करने के स्थान पर "स्वामी भाव से सेवा" करने लगे । और इस कारण वल्लभ कुल द्वारा बृजवासी से "सखा भाव से सेवा" लेने के स्थान पर उनसे "नौकर भाव से सेवा" लेने लगे, जो गलत व अन्यायपूर्ण है । (३)इस प्रकार वल्लभ कुल ने पिछले 70 - 80 वर्षो मे तो "सेवाओ की सभी सीमाओं" को तोड़ते हुए "श्रीनाथजी व उनकी सम्पत्तियों पर अपना पैतृक अधिकार" समझने लगे, जो गलत व अन्यायपूर्ण है । (४)इस प्रकार "वल्लभ कुल" द्वारा श्रीनाथजी की "साक्षात् आज्ञा का उल्लंघन" किया गया । जबकि बृजवासियों ने वल्लभ कुल का सम्मान करते हुए, इस अन्याय पर भी चुप रहे । अब बृजवासियों को यह समझना होगा कि "श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा ही सर्वोपरि" है । जिसे बृजवासियों व वल्लभ कुल दोनों को मानना चाहिए । (५)उक्त कारणो से मन्दिर को नुकसान हो रहा है, इसलिए बृजवासियों को श्रीकृष्ण के सन्देश को मानते हुए "मन्दिर व श्रीनाथजी की रक्षा के लिए अन्याय/अधर्म के विरुद्ध युद्ध" करना होगा । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी (केवल श्रीनाथजी के लिए समर्पित सेवक) #09/06/2021 #dineshapna





 

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