Friday 18 June 2021

★प्रभुजी का "प्रेममार्ग" ही महाप्रभुजी का "पुष्टिमार्ग"★ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) ने आज से 5132 वर्ष पूर्व बृज मे अवतार लिया तब बृजवासियों ने निस्वार्थ प्रेम व समर्पण के द्वारा श्रीकृष्ण से अनुग्रह मे "प्रेम भक्ति" प्राप्त की तथा श्रीकृष्ण ने बृजवासियों के साथ मित्रवत व्यवहार किया ! ◆सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) के द्वारा बृजवासियों को "मित्र बनाने" के कारण व श्रीकृष्ण के कृष्णावतार की लीला पूर्ण करने के बाद भी बृजवासियों को श्रीकृष्ण ने "अनुग्रह" मे "निस्वार्थ प्रेम भक्ति" दी ! ◆बृजवासी को सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) द्वारा "मित्र" बनाने के कारण उनके समकक्ष बृजवासी को प्रभुजी श्रीकृष्ण ने बनाये ! ◆बृजवासी 5132 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण से निस्वार्थ प्रेम को उनके लीला समाप्ति के बाद भी प्रतिमा रुप मे 4521 वर्ष बाद तक भी निरन्तर प्रेम करते रहे ! इसी "निस्वार्थ प्रेम" के कारण सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) को अपने मित्र बृजवासियों के लिए 611 वर्ष पूर्व पुनः प्रतिमा रुप मे उसी बृज मे साक्षात् प्रकट हुए ! श्रीकृष्ण व बृजवासी दोनों आपस मे मित्र होने के कारण एक "सर्वशक्तिमान प्रभु" तो दूसरा "प्रभुजी" कहलाये ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ◆बृजवासियों के "निस्वार्थ प्रेम" व "आत्मसमर्पण" के कारण श्रीकृष्ण ने "अनुग्रह" करके उन्हें प्रेम भक्ति दी तथा बृजवासीयो ने भी 5132 वर्षो से केवल "स्वरूप दर्शन" के अलावा अन्य कोई प्रार्थना नहीं की ! 【आत्मसमर्पण + अनुग्रह + स्वरूप दर्शन】 यही "प्रेममार्ग" आगे चलकर "पुष्टिमार्ग" कहलाया ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ◆बृजवासियों ने 4521 वर्ष तक श्रीकृष्ण के साथ एकीकार होकर जो दर्शन व प्रेममार्ग पर चले ! उसको ज्ञान व शब्द रुप मे प्रस्तुत करने के लिए श्रीनाथजी (श्रीकृष्ण) ने महाप्रभुजी को 514 वर्ष पूर्व आज्ञा कर बृज मे बुलाया ! ◆महाप्रभुजी ने श्रीनाथजी (श्रीकृष्ण) की आज्ञानुसार प्रभुजी (बृजवासी) के प्रेममार्ग को ज्ञान व शब्दों मे "पुष्टिमार्ग" के रुप मे वैष्णवजनों के समक्ष रखा ! ◆प्रभुजी (बृजवासियों) के "प्रेममार्ग" व महाप्रभुजी (वल्लभाचार्य जी) के "पुष्टिमार्ग" समान है ! सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) की आज्ञानुसार ही वल्लभाचार्य जी ने प्रेम मार्ग को पुष्टि मार्ग रुप मे जनकल्याण हेतु परिभाषित किया ! केवल अन्तर यह है कि "प्रेममार्ग" को बृजवासियों ने "वास्तिवकता मे जीया" है व "पुष्टिमार्ग" को वल्लभाचार्य जी ने संसार के जनकल्याण हेतु "ज्ञान व शब्दों मे" प्रकट किया है जिससे श्रीकृष्ण भक्ति का फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगो को मिल सके ! दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी - 18/06/2020 हल्दीघाटी युद्ध - महाराणा प्रताप - 18/06/1576 ●●●● 444 वर्ष ●●●● #dineshapna





 

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